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कोरोना से मौत पर शव शहर से बाहर दफनाने की मांग, जनहित याचिका पर हुई सुनवाई

कोरोना से मौत के बाद शव को शहर से बाहर दूर स्थान पर दफनाने को लेकर जनहित याचिका पर राजस्थान हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस संगीत लोढ़ा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए महाधिवक्ता मनीष व्यास को इस बारे में जोधपुर जिला कलेक्टर द्वारा जारी दोनों आदेशों की प्रति 3 जुलाई तक कोर्ट में पेश करने को कहा है.

PIL in High Court, Rajasthan High Court
राजस्थान हाई कोर्ट में जनहित याचिका पर हुई सुनवाई
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Published : Jun 29, 2020, 10:09 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट खंडपीठ में कोरोना से मृत्यु होने पर शव को शहर से बाहर दूरस्थ स्थान पर दफनाने का आदेश देने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. जस्टिस संगीत लोढ़ा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास को इस संबंध में जोधपुर जिला कलेक्टर द्वारा जारी दोनों आदेश की प्रति कोर्ट में पेश करने का निर्देश देते हुए 3 जुलाई को अगली तारीख मुकरर्र कर दी है.

राजस्थान हाई कोर्ट में जनहित याचिका पर हुई सुनवाई

माइनॉरिटी रिलीफ सोसायटी की ओर से राजस्थान हाइकोर्ट मुख्यपीठ जोधपुर में सोसायटी के उपाध्यक्ष अब्दुल मतीन की ओर से अधिवक्ता शेखर मेवाड़ा और करमेंन्द्र सिंह ने जनहित याचिका दाखिल की.

गौरतलब है कि पूर्व में राजस्थान हाईकोर्ट एकलपीठ में याचिका दायर की गई थी, जिस पर कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, जोधपुर जिला कलेक्टर और पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी किए थे. लेकिन गंभीर मुद्दे और व्यापक जनहित होने के चलते एकलपीठ ने 04 जून को याचिका यह कहते हुए निस्तारित कर दी थी कि ये मामला जनहित का है और राजस्थान हाईकोर्ट खंडपीठ में ही सुनवाई हो सकती है. ऐसे में खंडपीठ के समक्ष जनहित याचिका पेश करने के निर्देश दिए थे. जिस पर सोसायटी की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट खंडपीठ के समक्ष जनहित याचिका पेश की गई.

पढ़ें- विशेष संपर्क अभियान के दूसरे दिन भाजपा नेताओं ने विशिष्ट जनों से किया संपर्क

सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास ने पक्ष रखते हुए कहा कि प्रशासन की ओर से शवों को उनके परिजनों को सुपुर्द कर रहे हैं. अभी तक ऐसा एक भी संक्रमण का मामला सामने नहीं आया है, जो किसी शव को दफनाने की वजह से संक्रमित हुआ हो. सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी और प्रोटोकॉल के अनुसार ही शवों को दफनाने के लिए प्रकिया अपनाई जा रही है. प्रशासन पहले से ही काफी सजग व सतर्क है.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शेखर मेवाड़ा ने याचिका में कहा था कि कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों को सिवांची गेट कब्रिस्तान में दफनाया जा रहा है. इस कब्रिस्तान के चारो ओर हजारों की संख्या में घनी आबादी बसी हुई है. जिसमें सकीना कॉलोनी, जाकिर हुसैन कॉलोनी, हकीम कॉलोनी व अन्य सैकड़ों परिवार कब्रिस्तान के चारों ओर निवास करते हैं. जाकिर हुसैन कॉलोनी में निवास करने वाले परिवारों के घरों की खिड़की-दरवाजे तक कब्रिस्तान में खुले हुए हैं. किसी भी समय मय्यत आने पर कब्र की खुदाई करने वाले, दफनाने का कार्य करने वाले, फकीरों के परिवार तो कब्रिस्तान के अंदर ही रहते हैं, जिनके संक्रमित होने की पूरी संभावना है.

इसके अलावा सिवांची गेट कब्रिस्तान के रास्ते से प्रतापनगर आने जाने का आम रास्ता होने से लोगों का आवागमन भी लगा रहता है. सिवांची गेट कब्रिस्तान को मुसलमानों की प्राकृतिक मृत्यु होने पर दफनाने के काम में लिया जाता है. सिवांची गेट कब्रिस्तान के चारो ओर घनी आबादी वाले कब्रिस्तान में कोरोना वायरस से संक्रमित शवों को दफनाने से, चारों ओर बसी आबादी में से कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो गया तो स्थिति भयानक व अनियंत्रित हो सकती है. इसलिए जोधपुर में कोरोना वायरस से मरने वालों के शवों को सिवांची गेट कब्रिस्तान के स्थान पर, जोधपुर से दूरस्थ स्थान जहां दूर-दूर तक आबादी नहीं रहती है, वहां दफनाने के निर्देश जारी करवाकर कब्रिस्तान के आस-पास रहने वालों लोगों को सुरक्षा व राहत प्रदान कराएं.

संक्रामक रोग संस्थान के अपग्रेडेशन प्रोजेक्ट को लेकर सुनवाई

राजस्थान हाईकोर्ट में वर्तमान हालात में जोधपुर ही नहीं, वरन पूरे प्रदेश के लिए अत्यंत ही आवश्यक प्रोजेक्ट, जिसके तहत जोधपुर स्थित संक्रामक रोग संस्थान का अपग्रेडेशन, रीमॉडलिंग व रिनोवेशन किया जाना था. जिसके बारे में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई सोमवार को जस्टिस संगीत लोढ़ा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ में हुई.

पढ़ें- हाईकोर्ट के खुलने पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ हुई सुनवाई

सुनवाई के दौरान प्रस्तावित प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन को मॉनिटरिंग करने बाबत 14 दिसम्बर 2019 को गठित समिति के क्रियाकलापों के बारे में पूछने पर सरकार की ओर से बताया गया कि विपरीत परिस्थितियों के चलते समिति की बैठक ही नहीं हो सकी. यही कारण रहा कि संस्थान के लिए प्रस्तावित कार्य पूरा नहीं किया जा सका.

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश हुए एएजी पंकज शर्मा ने बताया कि अब कोर्ट की ओर से गठित समिति की बैठक एक सप्ताह में कर कोर्ट के निर्देशों की पालना रिपोर्ट पेश की जाएगी. इस पर खंडपीठ की ओर से कहा गया कि यदि समिति के सदस्यों की ओर से फिजिकल बैठक आयोजित करना संभव नहीं हो तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मीटिंग करते हुए 14 जुलाई तक रिपोर्ट पेश करें. सुनवाई में न्यायमित्र विकास बालिया व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहे.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट खंडपीठ में कोरोना से मृत्यु होने पर शव को शहर से बाहर दूरस्थ स्थान पर दफनाने का आदेश देने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. जस्टिस संगीत लोढ़ा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास को इस संबंध में जोधपुर जिला कलेक्टर द्वारा जारी दोनों आदेश की प्रति कोर्ट में पेश करने का निर्देश देते हुए 3 जुलाई को अगली तारीख मुकरर्र कर दी है.

राजस्थान हाई कोर्ट में जनहित याचिका पर हुई सुनवाई

माइनॉरिटी रिलीफ सोसायटी की ओर से राजस्थान हाइकोर्ट मुख्यपीठ जोधपुर में सोसायटी के उपाध्यक्ष अब्दुल मतीन की ओर से अधिवक्ता शेखर मेवाड़ा और करमेंन्द्र सिंह ने जनहित याचिका दाखिल की.

गौरतलब है कि पूर्व में राजस्थान हाईकोर्ट एकलपीठ में याचिका दायर की गई थी, जिस पर कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, जोधपुर जिला कलेक्टर और पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी किए थे. लेकिन गंभीर मुद्दे और व्यापक जनहित होने के चलते एकलपीठ ने 04 जून को याचिका यह कहते हुए निस्तारित कर दी थी कि ये मामला जनहित का है और राजस्थान हाईकोर्ट खंडपीठ में ही सुनवाई हो सकती है. ऐसे में खंडपीठ के समक्ष जनहित याचिका पेश करने के निर्देश दिए थे. जिस पर सोसायटी की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट खंडपीठ के समक्ष जनहित याचिका पेश की गई.

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सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास ने पक्ष रखते हुए कहा कि प्रशासन की ओर से शवों को उनके परिजनों को सुपुर्द कर रहे हैं. अभी तक ऐसा एक भी संक्रमण का मामला सामने नहीं आया है, जो किसी शव को दफनाने की वजह से संक्रमित हुआ हो. सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी और प्रोटोकॉल के अनुसार ही शवों को दफनाने के लिए प्रकिया अपनाई जा रही है. प्रशासन पहले से ही काफी सजग व सतर्क है.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शेखर मेवाड़ा ने याचिका में कहा था कि कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों को सिवांची गेट कब्रिस्तान में दफनाया जा रहा है. इस कब्रिस्तान के चारो ओर हजारों की संख्या में घनी आबादी बसी हुई है. जिसमें सकीना कॉलोनी, जाकिर हुसैन कॉलोनी, हकीम कॉलोनी व अन्य सैकड़ों परिवार कब्रिस्तान के चारों ओर निवास करते हैं. जाकिर हुसैन कॉलोनी में निवास करने वाले परिवारों के घरों की खिड़की-दरवाजे तक कब्रिस्तान में खुले हुए हैं. किसी भी समय मय्यत आने पर कब्र की खुदाई करने वाले, दफनाने का कार्य करने वाले, फकीरों के परिवार तो कब्रिस्तान के अंदर ही रहते हैं, जिनके संक्रमित होने की पूरी संभावना है.

इसके अलावा सिवांची गेट कब्रिस्तान के रास्ते से प्रतापनगर आने जाने का आम रास्ता होने से लोगों का आवागमन भी लगा रहता है. सिवांची गेट कब्रिस्तान को मुसलमानों की प्राकृतिक मृत्यु होने पर दफनाने के काम में लिया जाता है. सिवांची गेट कब्रिस्तान के चारो ओर घनी आबादी वाले कब्रिस्तान में कोरोना वायरस से संक्रमित शवों को दफनाने से, चारों ओर बसी आबादी में से कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो गया तो स्थिति भयानक व अनियंत्रित हो सकती है. इसलिए जोधपुर में कोरोना वायरस से मरने वालों के शवों को सिवांची गेट कब्रिस्तान के स्थान पर, जोधपुर से दूरस्थ स्थान जहां दूर-दूर तक आबादी नहीं रहती है, वहां दफनाने के निर्देश जारी करवाकर कब्रिस्तान के आस-पास रहने वालों लोगों को सुरक्षा व राहत प्रदान कराएं.

संक्रामक रोग संस्थान के अपग्रेडेशन प्रोजेक्ट को लेकर सुनवाई

राजस्थान हाईकोर्ट में वर्तमान हालात में जोधपुर ही नहीं, वरन पूरे प्रदेश के लिए अत्यंत ही आवश्यक प्रोजेक्ट, जिसके तहत जोधपुर स्थित संक्रामक रोग संस्थान का अपग्रेडेशन, रीमॉडलिंग व रिनोवेशन किया जाना था. जिसके बारे में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई सोमवार को जस्टिस संगीत लोढ़ा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ में हुई.

पढ़ें- हाईकोर्ट के खुलने पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ हुई सुनवाई

सुनवाई के दौरान प्रस्तावित प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन को मॉनिटरिंग करने बाबत 14 दिसम्बर 2019 को गठित समिति के क्रियाकलापों के बारे में पूछने पर सरकार की ओर से बताया गया कि विपरीत परिस्थितियों के चलते समिति की बैठक ही नहीं हो सकी. यही कारण रहा कि संस्थान के लिए प्रस्तावित कार्य पूरा नहीं किया जा सका.

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश हुए एएजी पंकज शर्मा ने बताया कि अब कोर्ट की ओर से गठित समिति की बैठक एक सप्ताह में कर कोर्ट के निर्देशों की पालना रिपोर्ट पेश की जाएगी. इस पर खंडपीठ की ओर से कहा गया कि यदि समिति के सदस्यों की ओर से फिजिकल बैठक आयोजित करना संभव नहीं हो तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मीटिंग करते हुए 14 जुलाई तक रिपोर्ट पेश करें. सुनवाई में न्यायमित्र विकास बालिया व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहे.

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