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राज्य सीमा पर फंसे प्रवासियों के लिए अभी तक पर्याप्त व्यवस्था नहीं, सरकार के अब तक के प्रयास संतोषजनक नहीं: राजस्थान HC

राजस्थान हाईकोर्ट में हरिसिंह राजपुरोहित की ओर से दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई. इस दौरान अब तक के प्रयासों पर हाईकोर्ट ने असंतोष जताया है. वहीं याचिकाकर्ता की बहस पूरी होने पर सरकार की ओर से एएजी ने बहस के लिए एक दिन का समय मांगा हैं, जिस पर कोर्ट ने 18 मई को अगली सुनवाई के लिए निर्देश दिए है.

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याचिका पर हुई सुनवाई
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Published : May 14, 2020, 2:31 PM IST

जोधपुर. लॉकडाउन के दौरान प्रवासी राजस्थानी श्रमिकों को राज्य सीमा पर प्रवेश नहीं देने पर राजस्थान हाईकोर्ट में हरिसिंह राजपुरोहित की ओर से दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान अब तक के प्रयासों पर हाईकोर्ट ने असंतोष जताया है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से बहस पूरी कर ली गई है, वहीं राज्य सरकार की ओर से एएजी ने बहस के लिए एक दिन का समय मांगा है, जिस पर कोर्ट ने 18 मई तक सुनवाई के लिए समय दिया है.

18 मई को अगली सुनवाई के लिए निर्देश

राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस संगीत लोढ़ा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि आखिर बॉर्डर पर फंसे श्रमिकों को लाने के लिए सरकार ने क्या व्यवस्था की है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखा. इससे पहले बुधवार की देर शाम तक राज्य सरकार की ओर से एएजी पंकज शर्मा ने जवाब पेश किया गया है.

पढ़ेंः कोरोना का नया हॉटस्पॉट बनता जा रहा जयपुर का करधनी इलाका

सरकार ने अपने जवाब में माना कि अब तक 20 लाख 97 हजार राजस्थानी प्रवासियों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया है. जिसमें से केवल 16 हजार श्रमिकों को लाने की व्यवस्था की गई है. इस पर हाईकोर्ट ने असंतोष जताते हुए कहा कि सरकार को जितने प्रयास करने चाहिए उतने क्यों नहीं किए गए.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजपुरोहित ने गुरुवार को मुख्यतय चार बिन्दुओं पर अपनी बहस की, जिसमें सबसे पहले पैदल चलने वाले लोगों के लिए एनओसी और पास की बाध्यता समाप्त हो, कोई श्रमिक राज्य सीमा पर पहुंच गया है, तो रोडवेज की बसों से उन्हें गंतव्य स्थान पर पहुंचाने की व्यवस्था हो और खाने पीने की पर्याप्त व्यवस्था हो.

दूसरे बिन्दू में कहा कि सरकार ने दो मई को कहा था कि केन्द्र सरकार से अनुमति मिल गई है. अब रोडवेज और निजी बसों के जरिए प्रवासी श्रमिकों और लोगों को प्रदेश जाया जायेगा, लेकिन सरकार ने अभी तक ऐसा नहीं किया है. इसीलिए जल्द बसों की व्यवस्था कर लोगों को घर पहुंचाएं.

पढ़ेंः विशेष: MSME के लिए राहत पैकेज की घोषणा, एक्सपर्ट से जानें- कैसे मजबूत होंगे छोटे उद्योग-धंधे?

तीसरे बिन्दू में सरकार ने कहा कि 13 से 18 मई तक 11 ट्रेनों के जरिए 16 हजार लोगों को प्रदेश लाया जायेगा, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. क्योकि रजिस्ट्रेशन करीब 21 लाख लोगों का है और यह व्यवस्था ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. सरकार को मुम्बई, गुजरात, कर्नाटक, आंधप्रदेश और तेलंगाना से सुबह और शाम ट्रेनों को संचालन कर प्रवासियों को राजस्थान लाया जाए.

चौथे बिन्दू में कहा कि राजस्थान के जितने भी प्रवासी अन्य राज्यों में है, वहां कि सरकारों से बातचीत कर उनके खाने पीने रहने की व्यवस्था सुनिश्चित करें, क्योकि अब तक जो सामग्री थी वो समाप्त हो चुकी है. उनको किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो ऐसी व्यवस्था की जाए.

पढ़ेंः COVID-19: बीते 12 घंटों में 66 नए कोरोना केस, 2 माह की बच्ची और बुजुर्ग की मौत, कुल आंकड़ा पहुंचा 4,394 पर

याचिकाकर्ता की बहस पूरी होने पर सरकार की ओर से एएजी शर्मा ने बहस शुरू की, लेकिन कुछ देर बार एक दिन का समय मांगा जिस पर कोर्ट ने 18 मई को अगली सुनवाई के लिए निर्देश दिए है.

जोधपुर. लॉकडाउन के दौरान प्रवासी राजस्थानी श्रमिकों को राज्य सीमा पर प्रवेश नहीं देने पर राजस्थान हाईकोर्ट में हरिसिंह राजपुरोहित की ओर से दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान अब तक के प्रयासों पर हाईकोर्ट ने असंतोष जताया है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से बहस पूरी कर ली गई है, वहीं राज्य सरकार की ओर से एएजी ने बहस के लिए एक दिन का समय मांगा है, जिस पर कोर्ट ने 18 मई तक सुनवाई के लिए समय दिया है.

18 मई को अगली सुनवाई के लिए निर्देश

राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस संगीत लोढ़ा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि आखिर बॉर्डर पर फंसे श्रमिकों को लाने के लिए सरकार ने क्या व्यवस्था की है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखा. इससे पहले बुधवार की देर शाम तक राज्य सरकार की ओर से एएजी पंकज शर्मा ने जवाब पेश किया गया है.

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सरकार ने अपने जवाब में माना कि अब तक 20 लाख 97 हजार राजस्थानी प्रवासियों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया है. जिसमें से केवल 16 हजार श्रमिकों को लाने की व्यवस्था की गई है. इस पर हाईकोर्ट ने असंतोष जताते हुए कहा कि सरकार को जितने प्रयास करने चाहिए उतने क्यों नहीं किए गए.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजपुरोहित ने गुरुवार को मुख्यतय चार बिन्दुओं पर अपनी बहस की, जिसमें सबसे पहले पैदल चलने वाले लोगों के लिए एनओसी और पास की बाध्यता समाप्त हो, कोई श्रमिक राज्य सीमा पर पहुंच गया है, तो रोडवेज की बसों से उन्हें गंतव्य स्थान पर पहुंचाने की व्यवस्था हो और खाने पीने की पर्याप्त व्यवस्था हो.

दूसरे बिन्दू में कहा कि सरकार ने दो मई को कहा था कि केन्द्र सरकार से अनुमति मिल गई है. अब रोडवेज और निजी बसों के जरिए प्रवासी श्रमिकों और लोगों को प्रदेश जाया जायेगा, लेकिन सरकार ने अभी तक ऐसा नहीं किया है. इसीलिए जल्द बसों की व्यवस्था कर लोगों को घर पहुंचाएं.

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तीसरे बिन्दू में सरकार ने कहा कि 13 से 18 मई तक 11 ट्रेनों के जरिए 16 हजार लोगों को प्रदेश लाया जायेगा, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. क्योकि रजिस्ट्रेशन करीब 21 लाख लोगों का है और यह व्यवस्था ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. सरकार को मुम्बई, गुजरात, कर्नाटक, आंधप्रदेश और तेलंगाना से सुबह और शाम ट्रेनों को संचालन कर प्रवासियों को राजस्थान लाया जाए.

चौथे बिन्दू में कहा कि राजस्थान के जितने भी प्रवासी अन्य राज्यों में है, वहां कि सरकारों से बातचीत कर उनके खाने पीने रहने की व्यवस्था सुनिश्चित करें, क्योकि अब तक जो सामग्री थी वो समाप्त हो चुकी है. उनको किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो ऐसी व्यवस्था की जाए.

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याचिकाकर्ता की बहस पूरी होने पर सरकार की ओर से एएजी शर्मा ने बहस शुरू की, लेकिन कुछ देर बार एक दिन का समय मांगा जिस पर कोर्ट ने 18 मई को अगली सुनवाई के लिए निर्देश दिए है.

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