जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court News) ने सिरोही में सार्वजनिक धन के दुरूपयोग (misuse of public money in Sirohi) को लेकर दायर याचिका को निस्तारित करते हुए निर्देश दिये है कि प्रतिवेदन की प्रति संभागीय आयुक्त को दी जाए. जिस पर जांच कर तीन माह में उचित कारवाई की जाएगी. अन्यथा याचिकाकर्ता प्रतिकूल आदेश होने पर याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र है.
वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश समीर जैन की खंडपीठ के समक्ष सिरोही के मांगूसिंह दवेड़ा ने एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें अधिवक्ता ओमप्रकाश ने बताया कि सिरोही में जिला परिषद की ओर से शहर के प्रमुख क्षेत्रो में दीवार पर चित्रों की प्रदर्शनी बनवाई थी. जो कार्य जिला परिषद की ओर से स्वीकृत किया गया वो केवल 13 लाख रुपये का था, जबकि बिना टेंडर प्रक्रिया के 56 लाख रुपये का भुगतान किया गया.
सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की गई है. जिसकी शिकायत जिला कलेक्टर सिरोही को भी की गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है. न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे निस्तारित कर निर्देश दिये कि याचिकाकर्ता संभागीय आयुक्त जोधपुर को एक प्रतिवेदन पेश करे.
जिसपर संभागीय आयुक्त याचिकाकर्ता की ओर से लगाए गए आरोपों की जांच करे. यदि आरोप प्रमाणित हो जाते है तो तीन माह में उचित कारवाई की जाए. याचिकाकर्ता को स्वतंत्रता दी है कि यदि कोई प्रतिकूल आदेश पारित हो तो वह याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र रहेगा.
बैंक और बीमा कंपनी के बीच विवाद पर भी हुई सुनवाई...
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सब्सिडी में देरी होने पर अब सात प्रतिशत ब्याज देय करने के आदेश के साथ राजस्थान उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश समीर जैन की खंडपीठ के समक्ष भल्लाराम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई.
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सुनवाई के दौरान एम के पोद्दार प्रबंध निदेशक कृषि बीमा कंपनी भारत व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहे. एमडी ने बताया कि कम्पनी किसानों को ब्याज का भुगतान करने को तैयार है. इस पर न्यायालय ने कहा कि 01 नवम्बर 2016 से प्रतिवर्ष सात प्रतिशत साधारण ब्याज की दर से भुगतान किया जाये.
भारतीय कृषि बीमा कम्पनी एवं जोधपुर सेंट्रल कॉ-ऑपरेटिव बैंक ब्याज को साढ़े तीन- साढ़े तीन प्रतिशत समान रूप से वहन करेंगे. बैंक और बीमा कम्पनी के बीच परस्पर विवाद होने की वजह से किसानो को ब्याज का भुगतान नहीं हुआ था. न्यायालय ने निर्देश दिए है कि 15 दिनो में किसानों के खाते में भुगतान किया जाए. साथ ही कई अहम निर्देश भी दिये गये है. याचिकाकर्ता भल्लाराम की ओर से अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखा.