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HC ने प्रमुख विधि सचिव को दिए निर्देश, वाणिज्यिक अदालतों के लिए रजिस्ट्रार जनरल के साथ करें विचार-विमर्श

राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख विधि सचिव को निर्देश दिया है कि वाणिज्यिक न्यायालय खोले जाने की मांग पर रजिस्ट्रार जनरल से विचार विमर्श करें. साथ ही 4 दिसंबर को हाईको4ट में प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश करें.

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राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Nov 11, 2020, 2:39 AM IST

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश देवेंद्र कच्छवाहा के समक्ष वाणिज्यिक न्यायालय की सुनवाई के दौरान राज्य के प्रमुख विधि सचिव विनोद कुमार भारवानी हाजिर हुए. कोर्ट ने उन्हें निर्देश दिया कि जोधपुर सहित अन्य जगह और वाणिज्यिक न्यायालय खोले जाने की मांग पर आज ही रजिस्ट्रार जनरल से विचार विमर्श करें.

उन्होंने ये भी निर्देश दिए कि राज्य में और न्यायालय खोले जाने पर व उनकी सुविधाओं और स्टाफ की भर्ती आदि पर होने वाले व्यय, बजट स्वीकृति और भुगतान की व्यवस्था पर राज्य के प्रमुख वित्त सचिव, प्रमुख विधि सचिव और रजिस्ट्रार जनरल नियमित बैठक कर देखें कि भविष्य में उच्च न्यायालय प्रशासन द्वारा भेजे प्रस्तावों पर अनावश्यक देरी न हो. उन्होंने निर्देश दिए कि आगामी पेशी 4 दिसंबर तक इस बाबत हुई प्रगति रपट भी पेश की जाए.

राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता अनिल भंडारी और सुनील भंडारी ने कहा कि वर्तमान में जोधपुर में वाणिज्यिक न्यायालय के लगभग 2700 प्रकरण लंबित हैं, जिसमें से बीकानेर जिले के 600 प्रकरण हैं, जोधपुर में 3 और बीकानेर में 1. इसी प्रकार अजमेर, कोटा और उदयपुर में एक-एक न्यायालय और खोले जाएं.

पढ़ें- कांग्रेस ने बोर्ड बना तो लिया है, लेकिन ज्यादा दिन चला नहीं पाएगी : कुसुम यादव

उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारी द्वारा जिला कलेक्टर को लिखे जाने के बावजूद भी जोधपुर के नवनिर्मित वाणिज्यिक न्यायालय में पार्किंग की सुविधा मुहैया नहीं की जा रही है. बहस के दौरान खंडपीठ ने प्रमुख विधि सचिव पर नाराजगी जताई कि हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से भिजवाए गए प्रस्तावों पर अनावश्यक रूप से देरी से आधी अधूरी स्वीकृति दी जाती है और वित्त विभाग की ओर से बजट स्वीकृत होने के बावजूद समय पर राशि मुहैया नहीं कराई जाती है.

खंडपीठ ने कहा कि हालत यह है कि एक जगह तो वाणिज्यिक न्यायालय 10 बाई 10 के कमरे में चल रहा है. उन्होंने कहा कि वर्तमान महामारी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सारी सुविधाएं हाईकोर्ट को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से उधार लेकर करनी पड़ रही है. उन्होंने विधि सचिव को कहा कि वे जोधपुर के अधीनस्थ न्यायालयों का मुआयना कर उनमें हो रही असुविधाओं का निराकरण करने की व्यवस्था करें.

उन्होंने प्रमुख वित्त सचिव, प्रमुख विधि सचिव और रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिए कि राज्य की अदालतों में सुविधाएं, नए कोर्ट और अन्य जरूरी खर्चों के वास्ते बिना अड़चन बजट स्वीकृति आदि के वास्ते नियमित बैठक करें. जिससे अदालती कामकाज में दिक्कत नहीं हो. राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह और राजस्थान उच्च न्यायालय की ओर से अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य ने बहस की. खंडपीठ ने कहा कि अगली पेशी 4 दिसंबर तक सरकार प्रगति रिपोर्ट पेश करें.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश देवेंद्र कच्छवाहा के समक्ष वाणिज्यिक न्यायालय की सुनवाई के दौरान राज्य के प्रमुख विधि सचिव विनोद कुमार भारवानी हाजिर हुए. कोर्ट ने उन्हें निर्देश दिया कि जोधपुर सहित अन्य जगह और वाणिज्यिक न्यायालय खोले जाने की मांग पर आज ही रजिस्ट्रार जनरल से विचार विमर्श करें.

उन्होंने ये भी निर्देश दिए कि राज्य में और न्यायालय खोले जाने पर व उनकी सुविधाओं और स्टाफ की भर्ती आदि पर होने वाले व्यय, बजट स्वीकृति और भुगतान की व्यवस्था पर राज्य के प्रमुख वित्त सचिव, प्रमुख विधि सचिव और रजिस्ट्रार जनरल नियमित बैठक कर देखें कि भविष्य में उच्च न्यायालय प्रशासन द्वारा भेजे प्रस्तावों पर अनावश्यक देरी न हो. उन्होंने निर्देश दिए कि आगामी पेशी 4 दिसंबर तक इस बाबत हुई प्रगति रपट भी पेश की जाए.

राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता अनिल भंडारी और सुनील भंडारी ने कहा कि वर्तमान में जोधपुर में वाणिज्यिक न्यायालय के लगभग 2700 प्रकरण लंबित हैं, जिसमें से बीकानेर जिले के 600 प्रकरण हैं, जोधपुर में 3 और बीकानेर में 1. इसी प्रकार अजमेर, कोटा और उदयपुर में एक-एक न्यायालय और खोले जाएं.

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उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारी द्वारा जिला कलेक्टर को लिखे जाने के बावजूद भी जोधपुर के नवनिर्मित वाणिज्यिक न्यायालय में पार्किंग की सुविधा मुहैया नहीं की जा रही है. बहस के दौरान खंडपीठ ने प्रमुख विधि सचिव पर नाराजगी जताई कि हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से भिजवाए गए प्रस्तावों पर अनावश्यक रूप से देरी से आधी अधूरी स्वीकृति दी जाती है और वित्त विभाग की ओर से बजट स्वीकृत होने के बावजूद समय पर राशि मुहैया नहीं कराई जाती है.

खंडपीठ ने कहा कि हालत यह है कि एक जगह तो वाणिज्यिक न्यायालय 10 बाई 10 के कमरे में चल रहा है. उन्होंने कहा कि वर्तमान महामारी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सारी सुविधाएं हाईकोर्ट को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से उधार लेकर करनी पड़ रही है. उन्होंने विधि सचिव को कहा कि वे जोधपुर के अधीनस्थ न्यायालयों का मुआयना कर उनमें हो रही असुविधाओं का निराकरण करने की व्यवस्था करें.

उन्होंने प्रमुख वित्त सचिव, प्रमुख विधि सचिव और रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिए कि राज्य की अदालतों में सुविधाएं, नए कोर्ट और अन्य जरूरी खर्चों के वास्ते बिना अड़चन बजट स्वीकृति आदि के वास्ते नियमित बैठक करें. जिससे अदालती कामकाज में दिक्कत नहीं हो. राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह और राजस्थान उच्च न्यायालय की ओर से अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य ने बहस की. खंडपीठ ने कहा कि अगली पेशी 4 दिसंबर तक सरकार प्रगति रिपोर्ट पेश करें.

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