जोधपुर. जिले में एक सीए और व्यापारी ने मिलकर करोड़ों रुपए की जीएसटी की चोरी करने का मामला सामने आया है. स्टेट जीएसटी ने एक नेटवर्क की तलाश की है, जिसके मास्टर माइंड ने मजूदरों और ठेले वालों के नाम पर फर्म खोल कर फर्जी बिलिंग कर टैक्स की चोरी की है. इसको लेकर जीएसटी की टीमों ने जोधपुर और बाड़मेर में कई जगह छापे मारे, जिसमें पांच बोगस फर्मों से 80 करोड़ रुपए का फर्जी लेनदेन भी सामने आया है. अभी तक एक करोड़ की टैक्स चोरी भी सामने आई है.
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बता दें, हाल ही में स्टेट जीएसटी कमिश्नर अभिषेक भगोटिया ने सभी जिलों के अधिकारियों को बोगस फर्मों से टैक्स चोरी कर आईटीसी बेनिफिट लेने वाली फर्मों पर नजर रखने के निर्देश दिए थे, जिसके तहत स्थानीय जीएसटी अधिकारियों को शहर के कुछ स्क्रैप कारोबारियों पर शक हुआ. इस पर एडिशनल कमिश्नर महिपाल भारद्वाज के निर्देश पर उपायुक्त (एंटी इवेजिन) भारतसिंह शेखावत की टीम में शामिल सहायक आयुक्त मुकेश गर्ग, नितिन तिवाड़ी और पेमाराम ने इसकी पड़ताल शुरू की थी. प्रारंभिक जांच में ही बोगस फर्मों से फर्जी बिल जारी होने का खुलासा हो गया, जिसमें ज्यादातर फर्में नई थीं. इस तरह की अनियमितताएं सामने आने पर बुधवार को जीएसटी की टीमों ने जोधपुर बासनी, शास्त्री नगर, कमला नेहरू नगर, चौखा के रामदेव नगर और बाड़मेर में 6 ठिकानों पर कार्रवाई शुरू की. इस प्रकरण में राडार पर आए एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के खिलाफ जांच टीमों को पुख्ता साक्ष्य भी मिले हैं.
5 फर्मों के सब कुछ फर्जी
स्टेट जीएसटी की एंटी इवेजिन टीम की जांच में सामने आया की बडे स्क्रेप कारोबारियों को बिलिंग करने वाली फर्मों के मालिक तो मजदूर हैं, कोई ठेले चलाता है तो कोई सैलून में बाल काटता है. रामदेव एंटरप्राइजेज, पैसिफिक एंटरप्राइजेज, राजेंद्र इम्पैक्स, उदयराज कॉर्पोरेशन, एसएलवी इंटरनेशनल तो पूरी तरह से बोगस पाई गईं. इनके पते और किराएनामे भी फर्जी थे. इन फर्मों में पिछले चार-पांच महीनों में ही 80 करोड़ से ज्यादा के लेनदेन किए गए थे, जिसे जीएसटी रिटर्न में घोषित किया गया था.
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हस्ताक्षर करने के हर महीने 10 हजार
स्टेट जीएसटी टीम की ओर से छानबीन में सामने आया है कि एक ऐसे व्यक्ति के नाम फर्म है जो सैलून में बाल काटकर अपना गुजारा करता था. पूछताछ में उसने बताया कि जोधपुर के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और कारोबारी उसके पैन कार्ड, आधार कार्ड और चेक या कागजों पर साइन करने के बदले उसे हर महीने 10 हजार रुपए देते हैं.