जोधपुर. अगर आप सैकंड हैंड गाडी खरीद रहे हैं तो पूरी पड़ताल कर लें. सिर्फ आरसी के आधार पर ही वाहन न खरीदें. गाड़ी के इंजन व चेसिस नंबर सही दिख रहे होते हैं लेकिन वे टेंपर्ड हो सकते हैं. आपको चोरी की गाड़ी बेची जा सकती है.
जोधपुर की चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस ने दूसरे राज्यों से गाड़ियों की एनओसी लेकर राजस्थान में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आरसी बनाने वाली गैंग का पर्दाफाश किया है. इस तरह का मामला पहली बार सामने आया है. चौंकाने वाली बात ये है कि बदमाशों के पास से अलग-अलग जिलों के परिवहन विभाग की ओर से जारी 25 आरसी भी मिली हैं, जिनके वाहनों का अस्तित्व भी नहीं है.
पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया है कि इस गिरोह को जैसे ही चोरी की गई लग्जरी गाडियां मिलती हैं, ये उनपर आरसी की नंबर प्लेट लगाकर बाजार में बेच देते हैं. गिरफ्तार तीन आरोपियों में एक जोधपुर परिवहन विभाग में संविदा पर कार्यरत कार्मिक भी है. लेकिन जो एनओसी के आधार पर आरसी जारी की जाती है उसके लिए परिवहन विभाग के अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं. ऐसे में परिवहन विभाग पर भी शक की सुई घूम रही है.
मंगलवार को पुलिस की ओर से किए गए खुलासे की जानकारी देते हुए डीसीपी वेस्ट दिगंत आनंद ने बताया कि यह अपने आप में अलग तरह का मामला है. इसमें चोरी हुए वाहनों की आरसी दूसरे राज्यों से लाकर उनकी आरसी उठाई जा रही है. यह गिरोह लंबे समय से इस काम में लगा हुआ है. इनके संपर्क अन्य वाहन चोर गिरोह से भी हैं.
परिवहन विभाग की मिलीभगत के सवाल पर डीसीपी ने कहा कि जांच के दौरान हम इस पर भी काम करेंगे. उन्होंने बताया कि बरामद आरसी केवल जोधपुर जिले की नहीं है, राज्य के अन्य जिलों की भी हैं. यह भी सामने आया कि ज्यादातर एनओसी पूर्वोत्तर राज्यों की हैं जिनके आधार पर राजस्थान में आरसी जारी हो रही है.
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उन्होंने बताया कि वाहन चोरी रोकने के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस को एम्स रोड पर मंगलम रेस्टोरेंट के पास तीन ल्गजरी गाडियां होने की जानकारी मिली. उनके दस्तावेज फर्जी थे. जिस पर पुलिस की टीम ने मौके पर जाकर देखा तो हुंडई की तीन क्रेटा कारें मिली. दो कारों पर राजस्थान के नंबर थे तो एक पर कंपनी के टेंपरेरी नंबर थे. शोरूम से जांच करवाई तो पता चला कि राजस्थान नंबर की कारों का रजिस्ट्रेशन हरियाणा में हो रखा था.
बदमाशों ने इंजन व चेसिस नंबर टेंपर कर दिए. एनओसी के आधार पर आरटीओं से आरसी प्राप्त कर ली. पुलिस ने मौके से ही विक्रम यादव को हिरासत में लिया तो सामने आया कि उसने मनीष गौड़ को भगवानदास की चोरी की क्रेटा गाडियां दी. मनीष परिवहन विभाग में संविदा पर काम करता है. भगवानदास ने महज एक लाख रुपए में मनीष के मार्फत विक्रम से क्रेटा कार ली.
लंबी पूछताछ के बाद विक्रम यादव की निशानदेही पर पुलिस को 25 आरसी मिली. जिनके वाहन नहीं हैं. लेकिन उनके नंबर परिवहन विभाग से जारी हो रखे थे. पुलिस ने जयपुर जिले के शाहपुरा के चिमनपुरा निवासी विक्रम यादव, पाल रोड बालाजी नगर निवासी मनीष गौड व बालोतरा निवासी भगवानदास को गिरफ्तार किया है.
फरिदाबाद की गाड़ी पर बालोतरा का रजिस्ट्रेशन
एम्स रोड से थानाधिकारी लिखराम बटेसर, सब इंस्पेक्टर भगाराम, हैड कांस्टेबल रतनाराम, भविष्यकुमार, कांस्टेबल प्रेम, सुरेश, वीराराम, नरपतसिंह व रामप्रसाद की टीम ने गाडियां बरामद कर पड़ताल शुरू की. गाड़ियों के इंजन व चेसिस नंबर की तकनीकी पड़ताल में सामने आया कि गाडियां हरियाणा में रजिस्टर्ड हैं. इनमें भगवानदास जो कि बालोतरा का रहने वाला है उसके पास मिली क्रेटा पर बालोतरा परिवहन विभाग की नंबर प्लेट थी.
वह गाडी फरिदाबाद में पहले से ही रजिस्टर्ड थी. इसी तरह से मनीष के बपास मिली गाड़ी हरियाणा के ही हतिन जिले व विक्रम के पास मिली कार हरियाणा के बादशाहपुर में रजिस्टर्ड थी. पुलिस सभी संबंधित विभागों से भी पता कर रही है.