जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस दिनेश मेहता ने नर्स ग्रेड-द्वितीय भर्ती के मामले में एक याचिका की सुनवाई में महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए मेरिट में आ चुके याचिकाकर्ता जोधपुर निवासी निधि प्रजापत पत्नी स्वर्गीय श्री धीरज प्रजापत सहित समस्त अन्य विधवा अभ्यर्थियों को हर हालत में 31 अक्टूबर से पहले नियुक्ति पत्र जारी किये जाने के निर्देश दिए हैं.
अपनी ही तरह अन्य तलाकशुदा अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दिए जाने और याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं देने को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई में चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह स्वीकार किया गया कि विधवा महिलाओं को अभी नियुक्ति दिया जाना शेष है और इस वर्ग में एक भी अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं दी गई है. सर्किट हाउस रोड स्थित पार्वती नगर, जोधपुर निवासी निवासी याचिकाकर्ता निधि प्रजापत की ओर से वीसी से पैरवी करते हुए अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने कहा कि याचिकाकर्ता के 52.29 अंक प्राप्त हुए और अंतिम मेरिट लिस्ट में उसका नाम होने के बावजूद नियुक्ति नहीं दी गई.
जबकि वर्तमान कोरोना काल मे इस वर्ग को सबसे पहले नियुक्ति दी जानी चाहिए थी, लेकिन राज्य सरकार असंवेदनशील होने के कारण इस पूरे वर्ग को नियुक्ति से वंचित कर दिया. केंद्रीय सरकार ने इस वर्ग के लिए विशेष आरक्षण का प्रावधान कर रखा है. याचिकाकर्ता का चयन मेरिट सूची में हो चुका है और उसके दस्तावेज वेरिफिकेशन हो चुके हैं. इसके साथ मेरिट में स्थान भी है बावजूद इसके याचिकाकर्ता को नियुक्ति से वंचित कर दिया गया है.
पढ़ेंः जोधपुर: पुलिस से मारपीट करने वाले शख्स को कोर्ट ने भेजा जेल
इसी माह में लगातार सात बार सुनवाई के बाद सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने वीसी पर पक्ष रखते हुए स्वीकार किया कि कुछ वर्गों को अभी नियुक्तियां देनी शेष है और जयपुर बेंच में विधवाओं से सम्बंधित एक रिट याचिका विचाराधीन है, जिसमें निर्णय सुरक्षित है. जिस कारण नियुक्ति नहीं दी जा सकती. याचिकाकर्ता की ओर से शपथ पत्र पेश कर बताया गया कि जयपुर बेंच में विधवाओं से संबंधित रिट याचिका में केवल एक ही याचिकाकर्ता है और मामला भी अलग है और कोर्ट को गुमराह किया जा रहा है.
जयपुर बेंच में विचाराधीन मामला वर्ग परिवर्तन से संबंधित है जो याचिकाकर्ता के केस पर लागू ही नहीं होता है. याचिकाकर्ता विधवा है और उसके एक 3 साल क बच्चा भी है, जिसका वर्तमान कोरोना स्थिति में भरण पोषण भी करना मुश्किल हो रहा है.