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दीपावली विशेष : मंदी का असर चांदी के सिक्कों पर भी, मांग कम होने से उत्पादन में आ रही कमी

मंदी का असर चांदी के सिक्कों पर भी देखने को मिल रहा है. जिसके चलते चांदी के सिक्कों का उत्पादन घट गया है. जिससे व्यापारी वर्ग में निराशा है. बता दें कि व्यापारियों को धनतेरस पर अच्छा कारोबार होने की उम्मीद है.

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Published : Oct 23, 2019, 5:03 PM IST

जोधपुर. चांदी को धातु के रूप में समृद्धि का प्रतीक माना जाता है यही कारण है कि दीपावली पर हर घर में छोटा बड़ा चांदी का सिक्का या चांदी का सामान लाकर उसका लक्ष्मी पूजन में उपयोग किया जाता है. जोधपु में भी यह परंपरा बहुत पुरानी है. खासियत यह है कि यहां का देसी टच सालों से सिक्कों में डाला जाता है.

समय बदलने के साथ सिक्कों के साथ-साथ चांदी के नोट भी बनने लगे हैं. जोधपुर के सिक्कों की एक खासियत यह भी है कि यह 99% खरे होते हैं और इन सिक्कों को बाकायदा जोधपुर सर्राफा एसोसिएशन प्रमाणित भी करती है. जिसकी वजह से सिक्कों को अगर वापस बेचना पड़े तो भाव के अनुसार उनकी उतनी ही कीमत प्राप्त हो जाती है.

मंदी का असर चांदी के सिक्कों पर भी

जोधपुर के सिक्कों में गणेश, लक्ष्मी और सरस्वती का चित्र

एक खासियत यह भी है कि अन्य शहरों में जो सिक्के बनते हैं, उनमें गणेश और लक्ष्मी का ही चित्र होता है. जबकि जोधपुर के सिक्कों में त्रिमूर्ति गणेश, लक्ष्मी और सरस्वती के चित्र अंकित किए जाते हैं. इसके अलावा सर्राफा एसोसिएशन का भी चित्र लगाया जाता है. इस बार सिक्कों की खपत कम होने का अंदाजा मांग के अनुसार लगाया जा रहा है.

करीब 40 साल से सिक्के बनाने वाले कमल सोनी बताया कि इस बार उनकी टकसाल से सिर्फ 400 किलो चांदी के ही सिक्के बनाने के आर्डर मिले हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह की तीन टकसाल जोधपुर में हैं. कुल मिलाकर 12 क्विंटल सिक्के ही बाजार में आ पाएंगे. इसकी वजह से बाजार में मांग में कमी आई है. जबकि गत बार 3 टन चांदी के सिक्के बाजार में गए थे.

जोधपुर ज्वेलर्स एसोसिएशन के नवीन सोनी ने बताया कि चांदी के सिक्कों की सर्वाधिक खरीद दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस पर होती है. अभी मांग कम है. पुष्य नक्षत्र होने से बाजार में तेजी आई है. उम्मीद है कि धनतेरस तक अच्छा कारोबार होगा.

सौ ग्राम तक का सिक्का और नोट

टकसाल में 2, 5,10, 20, 50 और 100 ग्राम वजन तक सिक्का डाला जाता है. इसके अलावा इसी क्रम में नोट के आकार में भी चांदी डाली जाती है. यह काम नवरात्री शुरू होने के साथ शुरू हो जाता है.

मार्क से असली नकली का फर्क

बाजार में दिवाली पर चांदी के सिक्कों के साथ-साथ चांदी की तरह दिखने वाले मेटल के नकली सिक्के भी धड़ल्ले से बिकते हैं, लेकिन जोधपुर में सर्राफा एसोसिएशन के मार्क से ही असली सिक्के की पहचान होती है. इसके चलते लोगों को सही वजन व खरी चांदी के सिक्के मिल पाते हैं.

जोधपुर. चांदी को धातु के रूप में समृद्धि का प्रतीक माना जाता है यही कारण है कि दीपावली पर हर घर में छोटा बड़ा चांदी का सिक्का या चांदी का सामान लाकर उसका लक्ष्मी पूजन में उपयोग किया जाता है. जोधपु में भी यह परंपरा बहुत पुरानी है. खासियत यह है कि यहां का देसी टच सालों से सिक्कों में डाला जाता है.

समय बदलने के साथ सिक्कों के साथ-साथ चांदी के नोट भी बनने लगे हैं. जोधपुर के सिक्कों की एक खासियत यह भी है कि यह 99% खरे होते हैं और इन सिक्कों को बाकायदा जोधपुर सर्राफा एसोसिएशन प्रमाणित भी करती है. जिसकी वजह से सिक्कों को अगर वापस बेचना पड़े तो भाव के अनुसार उनकी उतनी ही कीमत प्राप्त हो जाती है.

मंदी का असर चांदी के सिक्कों पर भी

जोधपुर के सिक्कों में गणेश, लक्ष्मी और सरस्वती का चित्र

एक खासियत यह भी है कि अन्य शहरों में जो सिक्के बनते हैं, उनमें गणेश और लक्ष्मी का ही चित्र होता है. जबकि जोधपुर के सिक्कों में त्रिमूर्ति गणेश, लक्ष्मी और सरस्वती के चित्र अंकित किए जाते हैं. इसके अलावा सर्राफा एसोसिएशन का भी चित्र लगाया जाता है. इस बार सिक्कों की खपत कम होने का अंदाजा मांग के अनुसार लगाया जा रहा है.

करीब 40 साल से सिक्के बनाने वाले कमल सोनी बताया कि इस बार उनकी टकसाल से सिर्फ 400 किलो चांदी के ही सिक्के बनाने के आर्डर मिले हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह की तीन टकसाल जोधपुर में हैं. कुल मिलाकर 12 क्विंटल सिक्के ही बाजार में आ पाएंगे. इसकी वजह से बाजार में मांग में कमी आई है. जबकि गत बार 3 टन चांदी के सिक्के बाजार में गए थे.

जोधपुर ज्वेलर्स एसोसिएशन के नवीन सोनी ने बताया कि चांदी के सिक्कों की सर्वाधिक खरीद दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस पर होती है. अभी मांग कम है. पुष्य नक्षत्र होने से बाजार में तेजी आई है. उम्मीद है कि धनतेरस तक अच्छा कारोबार होगा.

सौ ग्राम तक का सिक्का और नोट

टकसाल में 2, 5,10, 20, 50 और 100 ग्राम वजन तक सिक्का डाला जाता है. इसके अलावा इसी क्रम में नोट के आकार में भी चांदी डाली जाती है. यह काम नवरात्री शुरू होने के साथ शुरू हो जाता है.

मार्क से असली नकली का फर्क

बाजार में दिवाली पर चांदी के सिक्कों के साथ-साथ चांदी की तरह दिखने वाले मेटल के नकली सिक्के भी धड़ल्ले से बिकते हैं, लेकिन जोधपुर में सर्राफा एसोसिएशन के मार्क से ही असली सिक्के की पहचान होती है. इसके चलते लोगों को सही वजन व खरी चांदी के सिक्के मिल पाते हैं.

Intro:जोधपुर। 



चांदी को धातु के रूप में समृद्धि का प्रतीक माना जाता है यही कारण है कि दीपावली पर हर घर में छोटा बड़ा चांदी का सिक्का या चांदी का सामान लाकर उसका लक्ष्मी पूजन में उपयोग किया जाता है जोधपुर शहर में भी यह परंपरा बहुत पुरानी है खासियत यह है कि यहां की देसी टच सालों में सिक्के डाले जाते हैं अब समय बदलने के साथ सिखों के साथ-साथ चांदी के नोट भी बनने लगे हैं जोधपुर के सिक्कों की एक खासियत यह भी है कि यह 99% खड़े होते हैं और इन सिक्कों को बाकायदा जोधपुर सर्राफा एसोसिएशन प्रमाणित भी करती है जिसकी वजह से सिक्कों को अगर वापस बेचना पड़े तो भी भाव के अनुसार उनको उतने ही कीमत प्राप्त हो जाती है एक खासियत यह भी है कि बाकी जहां अन्य शहरों में जो सिक्के बनते हैं और गणेश और लक्ष्मी का ही चित्र होता है जबकि जोधपुर के सिक्कों में त्रिमूर्ति गणेश लक्ष्मी और सरस्वती के चित्र अंकित किए जाते हैं इसके अलावा सर्राफा एसोसिएशन का भी लगाया जाता है इस बार सिक्कों की खपत कम होने का अंदाजा मांग के अनुसार लगाया जा रहा है करीब 40 साल से सिक्के बनाने वाले कमल सोनी बताते हैं कि इस बार उनकी टकसाल से सिर्फ 400 किलो चांदी के ही सिक्के बंनाने के आर्डर मिले है।  उन्होंने बताया कि इस तरह की तीन टकसाल जोधपुर में है कुल मिलाकर 12 क्विंटल सिक्के ही बाज़ार में आ पाएंगे इसकी वजह बाजार में मांग में कमी आना। जबकि गत बार 3 टन चांदी के सिक्के बाजार में गए थे।।




Body:जोधपुर ज्वेलर्स एसोसिएशन के नवीन सोनी बताते है कि चांदी के सिक्कों की सर्वाधिक खरीद दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस को होती है। अभी मांग कम है पुष्य नक्षत्र होने से बाजार के तेजी आई है उम्मीद है कि धन तेरस तक अच्छा कारोबार होगा। 


सौ ग्राम तक का सिक्का और नोट

 टकसाल में  2,  5,  10, 20, 50 व100 ग्राम वजन तक सिक्का ढाला जाता है। इसके अलावा इसी क्रम में नोट आकार में चांदी ढाली जाती है। यह काम नवरात्री शुरू होने के साथ शुरू हो जाता है। 


मार्का से असली नकली का फर्क


बाजार में दिवाली पर चांदी के सिक्कों के साथ साथ चांदी की तरह दिखने वाले मेटल के नकली सिक्के भी धड़ल्ले से बिकते हैं लेकिन जोधपुर में सराफा एसोसिएशन का मार्ग का ही असली सिक्के की पहचान होती है इसके चलते लोगों को सही वज़न व खरी चांदी के सिक्के मिल पाते हैं




बाईट 1 व 2 कमल सोनी, सिक्के निर्माता

बाईट 3 नवीन सोनी, अध्यक्ष ज्वेलर्स एसोसिएशन




Conclusion:
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