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कोई तो बचा लो : जोधपुर में ऑक्सीजन के लिए हाथ जोड़कर गुहार लगाते रहे परिजन, देखें VIDEO

बढ़ते कोरोना के मामलों के कारण अब जोधपुर में भी दिल्ली जैसे हालात नजर आने लगे हैं. लोग अपनों को बचाने के लिए हाथ जोड़ते, गिड़गिड़ाते दिख रहे हैं.

situation in jodhpur hospital
जोधपुर में स्थिति बदहाल
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Published : Apr 28, 2021, 2:31 PM IST

जोधपुर. कोरोना के कारण लगातार हालात बिगड़ते नजर आ रहे हैं. हर तरफ ऑक्सीजन और वेंटिलेटर बेड की किल्लत हो रही है. आलम यह है कि अपनों को बचाने के लिए लोग चीखते-चिल्लाते नजर आ रहे हैं. हर तरफ ऑक्सीजन और वेंटिलेटर बेड की किल्लत है. मंगलवार रात को जब मथुरादास माथुर अस्पताल के जनाना विंग में कोरोना केयर सेंटर पर हंगामा के दौरान काम बंद हो गया तो बाहर एक एंबुलेंस में ब्यावर से आया एक व्यक्ति अपने भाई का जीवन बचाने के लिए गुहार लगाता नजर आया.

हाथ जोड़ते गुहार लगाते नजर आने लगे परिजन...

उसने बताया कि अंदर गया तो पता चला डॉक्टर नहीं हैं. मेरे भाई को बचा लो, ब्यावर से लेकर आया हूं. उसकी ऑक्सीजन कम हो रही है. एंबुलेंस में बैठी महिला भी लगातार यही गुहार लगा रही थी कि कोई तो बुलाकर इसे बचा लो.

पढ़ें : पूर्व मंत्री जनार्दन सिंह गहलोत का निधन, कबड्डी खेल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में रही है अहम भूमिका

हालांकि, बाद में एक नर्सिंगकर्मी ने आकर उसे देखा और अंदर ले जाकर बड़ी मशक्कत के बाद एक बेड उपलब्ध करवाया, जहां उसका उपचार शुरू हो सका. लेकिन जोधपुर में जिस गति से संक्रमण बढ़ रहा है, उसके चलते अपनों को बचाना लोगों के लिए बड़ी मुश्किल होता जा रहा है. इसी 'जंग' के बीच हर दिन 30 से 40 परिवार अपनों को खो रहे हैं.

जोधपुर. कोरोना के कारण लगातार हालात बिगड़ते नजर आ रहे हैं. हर तरफ ऑक्सीजन और वेंटिलेटर बेड की किल्लत हो रही है. आलम यह है कि अपनों को बचाने के लिए लोग चीखते-चिल्लाते नजर आ रहे हैं. हर तरफ ऑक्सीजन और वेंटिलेटर बेड की किल्लत है. मंगलवार रात को जब मथुरादास माथुर अस्पताल के जनाना विंग में कोरोना केयर सेंटर पर हंगामा के दौरान काम बंद हो गया तो बाहर एक एंबुलेंस में ब्यावर से आया एक व्यक्ति अपने भाई का जीवन बचाने के लिए गुहार लगाता नजर आया.

हाथ जोड़ते गुहार लगाते नजर आने लगे परिजन...

उसने बताया कि अंदर गया तो पता चला डॉक्टर नहीं हैं. मेरे भाई को बचा लो, ब्यावर से लेकर आया हूं. उसकी ऑक्सीजन कम हो रही है. एंबुलेंस में बैठी महिला भी लगातार यही गुहार लगा रही थी कि कोई तो बुलाकर इसे बचा लो.

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हालांकि, बाद में एक नर्सिंगकर्मी ने आकर उसे देखा और अंदर ले जाकर बड़ी मशक्कत के बाद एक बेड उपलब्ध करवाया, जहां उसका उपचार शुरू हो सका. लेकिन जोधपुर में जिस गति से संक्रमण बढ़ रहा है, उसके चलते अपनों को बचाना लोगों के लिए बड़ी मुश्किल होता जा रहा है. इसी 'जंग' के बीच हर दिन 30 से 40 परिवार अपनों को खो रहे हैं.

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