ETV Bharat / city

बोझ उठाने वालों की जिंदगी बनी बोझ, कुलियों ने कहा- बड़ी मुश्किल से हो रहा गुजारा

author img

By

Published : May 28, 2020, 1:11 PM IST

रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के रुकने और पैसेंजर्स के सर्कुलेटिंग एरिया में उतरने से पहले ही दौड़ लगाकर यात्रियों का सामान उठाने की आपाधापी करने वाले कुलियों की जिंदगी लॉकडाउन में ठहर सी गई है. जोधपुर रेलवे स्टेशन पर इन दिनों सन्नाटा पसरा है. प्लेटफॉर्म पर ट्रेंन के हार्न की आवाज भी गुम है. मेहनत के बाद कुछ कमाई होने पर कुलियों के परिवार का लालन-पालन होता है. डेली कमाने खाने वाले इन परिवारों के आगे दो जून की रोटी का संकट खड़ा हो गया है. अब जब ट्रेन चले तो इनकी समस्या का समाधान हो.

कुलियों के सामने रोजी रोटी का संकट  जोधपुर रेल मंडल  ईटीवी भारत स्पेशल खबर  news of jodhpur  Jodhpur railway station  porter in jodhpur  coolie situation in lockdown  crisis of livelihood in front of porters
कुलियों के सामने रोजी-रोटी का संकट

जोधपुर. जोधपुर रेल मंडल के मुख्य रेलवे स्टेशन जोधपुर से रोजाना 30 से 35 यात्री ट्रेनों की आवाजाही लॉकडाउन से पहले होती थी. इस स्टेशन पर काम करने वाले 93 कुली, जिन्हें अब यात्री सहायक कहा जाता है उनकी आजीविका चलती थी. लेकिन लॉकडाउन के चलते अब इनकी परेशानियां बढ़ गई हैं और आमदनी भी पूरी तरह से ठप हो गई है. आगे नियमित ट्रेनें कब चलेंगी, चलेंगी तो कुली कैसे काम करेंगे. इसे लेकर किसी प्रकार को कोई नियम अभी तक नहीं आया है.

कुलियों के सामने रोजी-रोटी का संकट

ऐसे में कुली वर्ग कोरोना का बेजा दंश झेल रहा है. इनके लिए रेलवे या सरकार की ओर से किसी प्रकार की कोई मदद की घोषणा नहीं हुई है. इसके चलते ज्यादातर कुली जो आसपास के गांव के हैं, वे यहां से जा चुके हैं. सिर्फ जोधपुर शहर में रहने वाले 15 कुली कभी-कभार यहां नजर आते हैं.

यह भी पढ़ेंः क्या होगा प्याज का?...पिछले साल 100 रुपए में बिकी, अब 5 रुपए में भी खरीदार नहीं

कुली संघ के ओमप्रकाश आचार्य बताते हैं कि यहां काम करते हुए प्रतिमाह प्रत्येक कुली 12 से 15 हजार रुपए कमा लेता था, जिससे उसका घर चलता था. लेकिन लॉकडाउन की घोषणा के दिन से ही हमारी आमदनी बंद हो गई. बीते दिनों में एक बार जोधपुर रेल मंडल के अधिकारियों ने यूनियन के मार्फत जोधपुर में रह हे कुलियों को राशन उपलब्ध करवाया था. रेलवे या राज्य सरकार की ओर से कोई मदद नहीं हुई. जबकि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने कुलियों के लिए भी राशि जारी की, जिससे वे परिवार चला सकें.

कुलियों के सामने रोजी रोटी का संकट  जोधपुर रेल मंडल  ईटीवी भारत स्पेशल खबर  news of jodhpur  Jodhpur railway station  porter in jodhpur  coolie situation in lockdown  crisis of livelihood in front of porters
बोझ उठाने वालों की जिंदगी बनी बोझ

यह भी पढ़ेंः कोरोना की मार से हर कोई बेहाल...बिना पास बाहर निकलने की नहीं कोई आस

कुली कैलाशचंद बताते हैं कि दो माह से घर चलाना मुश्किल हो गया है. इधर- उधर से उधार मांगकर काम चला रहे हैं. कोई मदद नहीं मिली है, अब आगे ट्रेनें शुरू हो रही हैं, लेकिन सिर्फ चार ट्रेन, उसमें भी हम काम करेंगे या नहीं. इसको लेकर कोई निर्देश नहीं मिले हैं. इसी तरह से जोधपुर रेलवे स्टेशन के सामने करीब 45 छोटे होटल और ढाबों के कामगारों की परेशानी है. करीब 1 हजार से ज्यादा छोटे मोट कर्मचारी हैं. जो इनमें काम करते हैं. लॉकडाउन के चलते सभी ढाबे अभी बंद हैं.

कुलियों के सामने रोजी रोटी का संकट  जोधपुर रेल मंडल  ईटीवी भारत स्पेशल खबर  news of jodhpur  Jodhpur railway station  porter in jodhpur  coolie situation in lockdown  crisis of livelihood in front of porters
होटल और ढाबों पर काम करने वाले भी हुए परेशान

इन होटलों में उत्तराखंड के कारिगर काम करते हैं, जो यहां अटके हुए हैं. हाल ही में कुछ बसों से लोग जोधपुर से रवाना हुए हैं. उत्तराखंड के निवासी नितेश राय बताते हैं कि घर जाना है, लेकिन अभी फंसे हुए हैं. सरकार की ओर से हमें कोई मदद नहीं मिल रही है.

जोधपुर. जोधपुर रेल मंडल के मुख्य रेलवे स्टेशन जोधपुर से रोजाना 30 से 35 यात्री ट्रेनों की आवाजाही लॉकडाउन से पहले होती थी. इस स्टेशन पर काम करने वाले 93 कुली, जिन्हें अब यात्री सहायक कहा जाता है उनकी आजीविका चलती थी. लेकिन लॉकडाउन के चलते अब इनकी परेशानियां बढ़ गई हैं और आमदनी भी पूरी तरह से ठप हो गई है. आगे नियमित ट्रेनें कब चलेंगी, चलेंगी तो कुली कैसे काम करेंगे. इसे लेकर किसी प्रकार को कोई नियम अभी तक नहीं आया है.

कुलियों के सामने रोजी-रोटी का संकट

ऐसे में कुली वर्ग कोरोना का बेजा दंश झेल रहा है. इनके लिए रेलवे या सरकार की ओर से किसी प्रकार की कोई मदद की घोषणा नहीं हुई है. इसके चलते ज्यादातर कुली जो आसपास के गांव के हैं, वे यहां से जा चुके हैं. सिर्फ जोधपुर शहर में रहने वाले 15 कुली कभी-कभार यहां नजर आते हैं.

यह भी पढ़ेंः क्या होगा प्याज का?...पिछले साल 100 रुपए में बिकी, अब 5 रुपए में भी खरीदार नहीं

कुली संघ के ओमप्रकाश आचार्य बताते हैं कि यहां काम करते हुए प्रतिमाह प्रत्येक कुली 12 से 15 हजार रुपए कमा लेता था, जिससे उसका घर चलता था. लेकिन लॉकडाउन की घोषणा के दिन से ही हमारी आमदनी बंद हो गई. बीते दिनों में एक बार जोधपुर रेल मंडल के अधिकारियों ने यूनियन के मार्फत जोधपुर में रह हे कुलियों को राशन उपलब्ध करवाया था. रेलवे या राज्य सरकार की ओर से कोई मदद नहीं हुई. जबकि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने कुलियों के लिए भी राशि जारी की, जिससे वे परिवार चला सकें.

कुलियों के सामने रोजी रोटी का संकट  जोधपुर रेल मंडल  ईटीवी भारत स्पेशल खबर  news of jodhpur  Jodhpur railway station  porter in jodhpur  coolie situation in lockdown  crisis of livelihood in front of porters
बोझ उठाने वालों की जिंदगी बनी बोझ

यह भी पढ़ेंः कोरोना की मार से हर कोई बेहाल...बिना पास बाहर निकलने की नहीं कोई आस

कुली कैलाशचंद बताते हैं कि दो माह से घर चलाना मुश्किल हो गया है. इधर- उधर से उधार मांगकर काम चला रहे हैं. कोई मदद नहीं मिली है, अब आगे ट्रेनें शुरू हो रही हैं, लेकिन सिर्फ चार ट्रेन, उसमें भी हम काम करेंगे या नहीं. इसको लेकर कोई निर्देश नहीं मिले हैं. इसी तरह से जोधपुर रेलवे स्टेशन के सामने करीब 45 छोटे होटल और ढाबों के कामगारों की परेशानी है. करीब 1 हजार से ज्यादा छोटे मोट कर्मचारी हैं. जो इनमें काम करते हैं. लॉकडाउन के चलते सभी ढाबे अभी बंद हैं.

कुलियों के सामने रोजी रोटी का संकट  जोधपुर रेल मंडल  ईटीवी भारत स्पेशल खबर  news of jodhpur  Jodhpur railway station  porter in jodhpur  coolie situation in lockdown  crisis of livelihood in front of porters
होटल और ढाबों पर काम करने वाले भी हुए परेशान

इन होटलों में उत्तराखंड के कारिगर काम करते हैं, जो यहां अटके हुए हैं. हाल ही में कुछ बसों से लोग जोधपुर से रवाना हुए हैं. उत्तराखंड के निवासी नितेश राय बताते हैं कि घर जाना है, लेकिन अभी फंसे हुए हैं. सरकार की ओर से हमें कोई मदद नहीं मिल रही है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.