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जोधपुरः कृषक कल्याण टैक्स से खाद्यान्न मिलों के संचालन पर संकट

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Published : May 11, 2020, 11:35 AM IST

कृषि मंडियों में 2 फीसदी कृषक कल्याण टैक्स के बढ़ने से खाद्यान्न मिलों के संचालक के सामने संकट खड़ा हो गया है. जिसके बाद मंडियों में कारोबार अनिश्चितकालीन बंद है.

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कृषक कल्याण टैक्स

जोधपुर. राज्य सरकार द्वारा कृषि मंडियों में 2 फीसदी कृषक कल्याण के रूप में विशेष कर लगाए जाने के बाद से ही प्रदेश की मंडियों में कारोबार बंद है. मंडियों के साथ-साथ अब उन क्षेत्रों के मिल मालिक भी चिंता में है जो खाद्यान्न तैयार करते हैं. इनमें दाल, तेल मिल, आटा मिल, ग्वार मिल और अन्य शामिल है.

मिलों के संचालन का संकट

इनके संचालकों का कहना है कि पहले ही देश के अन्य प्रदेशों से कहीं ज्यादा टैक्स राजस्थान की मंडी में लग रहा था अब सरकार ने 2 फीसदी शेष कर और लगा दिया है. अब यह प्रदेश में 3.60 फीसदी हो गया है और उसका दायरा सभी फसलों तक बढ़ा दिया है. पहले गेहूं, बाजरा, जो पर टैक्स नहीं था, लेकिन अब इन पर भी यह टैक्स लागू होगा. वहीं इससे बाजार में दाल, तेल के साथ साथ आटा भी महंगा होगा.

पढ़ेंः दूसरे राज्यों में फंसे हैं 19 लाख राजस्थानी, सांसद-विधायक ही बताएं पहले किसे लाएं : CM गहलोत

ऐसे हालात में पड़ोसी राज्यों में जहां नाम मात्र का टैक्स लगता है, उनकी लागत काम आएगी और बाहर से दाल, आटा और तेल आने लगेगा तो प्रदेश की मिले बंद हो जाएगी. बासनी कृषि उपज मंडी समिति के प्रतिनिधि राजा पटवा बताते हैं कि पड़ोसी राज्य के मिल मालिकों के भाव 3.60 फीसदी सस्ते होंगे, तो वह हमारे राज्य के किसान से फसल को सीधी खरीद और बढ़ा लेंगे. जिसके चलते सरकार जो राजस्व प्राप्त करना चाहती है, उस से भी हाथ धोना पड़ेगा.

मिल संचालक श्रेयस मेहता बताते हैं कि 3.60 फीसदी टैक्स के साथ खरीद कर वापस बाजार में माल बेचना आसान नहीं होगा. मिलों का संचालन ठप होगा तो बेरोजगारी बढ़ जाएगी. साथ ही बताया कि इसको लेकर एक प्रतिनिधिमंडल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पूरी हकीकत बताई है और मांग की है कि वह इस फैसले को वापस लें.

पढ़ेंः बड़ा फैसला : अब एक से दूसरे जिले में जाने के लिए पास की अनिवार्यता खत्म

मंडी और मिल मालिकों के बीच की कड़ी के रूप में काम करने वाले ब्रोकर का कारोबार भी खत्म हो जाएगा. ब्रोकर पुखराज सुथार बताते हैं कि इतना टैक्स देने के बाद मिल मालिक बाजार के भाव से मुकाबला नहीं कर पाएगा और इसका सीधा असर संचालन पर आएगा. जोधपुर में 150 से अधिक खाद्यान्न मिलों का संचालन प्रभावित होगा. जिससे बेरोजगारी बढ़ जाएगी, क्योंकि गुजरात का हरियाणा में मंडी टैक्स नाम मात्र का है.

जोधपुर. राज्य सरकार द्वारा कृषि मंडियों में 2 फीसदी कृषक कल्याण के रूप में विशेष कर लगाए जाने के बाद से ही प्रदेश की मंडियों में कारोबार बंद है. मंडियों के साथ-साथ अब उन क्षेत्रों के मिल मालिक भी चिंता में है जो खाद्यान्न तैयार करते हैं. इनमें दाल, तेल मिल, आटा मिल, ग्वार मिल और अन्य शामिल है.

मिलों के संचालन का संकट

इनके संचालकों का कहना है कि पहले ही देश के अन्य प्रदेशों से कहीं ज्यादा टैक्स राजस्थान की मंडी में लग रहा था अब सरकार ने 2 फीसदी शेष कर और लगा दिया है. अब यह प्रदेश में 3.60 फीसदी हो गया है और उसका दायरा सभी फसलों तक बढ़ा दिया है. पहले गेहूं, बाजरा, जो पर टैक्स नहीं था, लेकिन अब इन पर भी यह टैक्स लागू होगा. वहीं इससे बाजार में दाल, तेल के साथ साथ आटा भी महंगा होगा.

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ऐसे हालात में पड़ोसी राज्यों में जहां नाम मात्र का टैक्स लगता है, उनकी लागत काम आएगी और बाहर से दाल, आटा और तेल आने लगेगा तो प्रदेश की मिले बंद हो जाएगी. बासनी कृषि उपज मंडी समिति के प्रतिनिधि राजा पटवा बताते हैं कि पड़ोसी राज्य के मिल मालिकों के भाव 3.60 फीसदी सस्ते होंगे, तो वह हमारे राज्य के किसान से फसल को सीधी खरीद और बढ़ा लेंगे. जिसके चलते सरकार जो राजस्व प्राप्त करना चाहती है, उस से भी हाथ धोना पड़ेगा.

मिल संचालक श्रेयस मेहता बताते हैं कि 3.60 फीसदी टैक्स के साथ खरीद कर वापस बाजार में माल बेचना आसान नहीं होगा. मिलों का संचालन ठप होगा तो बेरोजगारी बढ़ जाएगी. साथ ही बताया कि इसको लेकर एक प्रतिनिधिमंडल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पूरी हकीकत बताई है और मांग की है कि वह इस फैसले को वापस लें.

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मंडी और मिल मालिकों के बीच की कड़ी के रूप में काम करने वाले ब्रोकर का कारोबार भी खत्म हो जाएगा. ब्रोकर पुखराज सुथार बताते हैं कि इतना टैक्स देने के बाद मिल मालिक बाजार के भाव से मुकाबला नहीं कर पाएगा और इसका सीधा असर संचालन पर आएगा. जोधपुर में 150 से अधिक खाद्यान्न मिलों का संचालन प्रभावित होगा. जिससे बेरोजगारी बढ़ जाएगी, क्योंकि गुजरात का हरियाणा में मंडी टैक्स नाम मात्र का है.

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