जोधपुर. डॉक्टर पिता ने अपने डॉक्टर बेटे को यूरोलॉजिस्ट बनाने के लालच में 50 लाख रुपए दांव पर लगा दिये. लेकिन दरअसल वे ठगी का शिकार हो रहे थे. मामला पुराना है लेकिन थाने अब शिकायत दर्ज कराई गई है. आरोपी की तरफ से जो चेक दिए गए थे वे बाउंस होने पर मामला उजागर हुआ.
बताया जा रहा है इस मामले में आरोपी निरंजन छंगाणी मुंबई जेल से जनवरी में ही जमानत पर छूटकर जोधपुर आया तो पीड़ित डॉक्टर पिता ने उससे संपर्क किया. लेकिन संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने पुलिस की शरण ली. बनाड़ थानाधिकारी सीताराम खोजा ने बताया कि बनाड़ रोड स्थित निजी अस्पताल के संचालक डॉक्टर पृथ्वीसिंह की तरफ से धोखाधड़ी में केस दर्ज करवाया गया है.
इनका आरोप है कि उनकी पहचान पूर्व में जालोरी गेट के अंदर रहने वाले निखिल निरंजन छंगाणी से हुई थी. उनका पुत्र भरत पाल रोड स्थित एक निजी स्कूल में पढ़ता था और निखिल भी उसके साथ था. उसके पिता डॉक्टर और मां भी निजी स्कूल में अध्यापिका थी. वर्ष 2014 में निखिल ने डॉक्टर पृथ्वीसिंह को उनके बेटे भरत को मास्टर डिग्री करवाने को कहा था. तब बदले में 50 लाख रूपए मांगे थे.
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इस पर डॉक्टर पृथ्वीसिंह उसके बहकावे में आ गए और वर्ष 2014 में उसे 25 लाख रूपए चेक के जरिए दिए. इसमें कई तरह की प्रोसेसिंग फीस का हवाला दिया गया. बाद में वर्ष 2015 में आरोपी ने डॉक्टर से 25 लाख रूपए नगद लिए थे. मगर इन छह- सात सालों में उनके पुत्र को मास्टर्स के लिए कहीं एडमिशन नहीं मिला. न ही आरोपी ने रकम को लौटाया.
थानाधिकारी खोजा ने बताया कि निखिल निरंजन छंगाणी ने कुछ और लोगों से भी ऐसे ही रकम ली थी. किसी किसी का एडमिशन हो गया होगा. तब डॉक्टर उनके झांसे में आ गए. उसके खिलाफ मुंबई में भी इसी प्रकार केस हो रखा है और वह इस साल जनवरी में ही जेल से जमानत पर रिहा हुआ था. घटना को लेकर अब बनाड़ पुलिस अनुसंधान में जुटी है.