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लक्ष्मी विलास होटल मामला: CBI ने मांगा समय, HC ने 3 सप्ताह बाद सुनवाई के दिए निर्देश

उदयपुर की लक्ष्मी विलास होटल (Laxmi Vilas Hotel) मामले में CBI ने समय मांगा है. मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने 5 अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई 29 जुलाई तक स्थगित कर दी है.

Laxmi Vilas Hotel Case,  Rajasthan High Court Order
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Jul 5, 2021, 9:52 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में उदयपुर की लक्ष्मी विलास होटल (Laxmi Vilas Hotel) के विनिवेश मामले में दायर 5 अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई 29 जुलाई तक स्थगित कर दी गई. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता की अदालत में सोमवार को याचिकाकर्ता ज्योत्सना सूरी सहित अन्य 4 याचिकाएं सुनवाई के लिए थी, लेकिन सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश हुए अश्विनी कुमार ने कहा कि इन मामलों में सीबीआई की ओर से एएसजी वीएस राजु पैरवी करेंगे लेकिन वो कोविड संक्रमित हैं. ऐसे में 3 सप्ताह का समय दिया जाए. वरिष्ठ न्यायाधीश मेहता ने सीबीआई के अनुरोध पर मामले की सुनवाई 29 जुलाई तक स्थगित कर दी.

पढ़ें- बीसीआर कार्यकारिणी समिति की बैठक में मृत्यु दावों का किया गया निस्तारण

गौरतलब है कि उदयपुर की लक्ष्मी विलास होटल (Laxmi Vilas Hotel) के विनिवेश मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट में चल रहे मामले में अगले आदेश तक अंतरिम रोक लगाने के साथ ही रिकॉर्ड कॉल कर दिया है. उच्च न्यायालय ने 21 अक्टूबर 2020 को याचिकाकर्ता ज्योत्सना सूरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी, आशीष गुहा, प्रदीप बैजल और कांतिलाल की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सीबीआई कोर्ट की प्रोसेडिंग पर रोक लगा दी थी.

भारत होटल्स प्रा. लि. की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी की ओर से सांसद पीपी चौधरी ने पैरवी करते हुए कहा था कि जब इस होटल का विनिवेश हुआ था उस समय तय कीमत से 25 फीसदी ज्यादा रकम पर किया गया था. साथ ही उन्होंने सीबीआई कोर्ट की ओर से सीबीआई द्वारा इस मामले में लगाई गई क्लोजर रिपोर्ट की अनदेखी करने का भी तर्क देते हुए 15 सितंबर 2020 को जारी जोधपुर की सीबीआई विशेष अदालत के आदेशों को अपास्त करने की मांग की.

पढ़ें- हाईकोर्ट फैसला : स्कूल व्याख्याता भर्ती की अंतिम चयन सूची जारी करने पर लगी रोक हटाई

आशीष गुहा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव सेन ने पक्ष रखा. वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी ने स्वंय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पक्ष रखते हुए कहा था कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ की गई थी. पूर्व में भी राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर हुई थी, जिसमें कहा गया था कि किसी प्रकार का घोटाला नहीं हुआ है. वहीं, केन्द्र सरकार की ओर से एसवी राजु एएसजी ने पक्ष रखा था.

प्रदीप बैजल की ओर से अधिवक्ता निशांत बोडा मौजूद रहे. सभी अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने के बाद जस्टिस विजय विश्नोई ने सीबीआई कोर्ट की ओर से 15 सितम्बर 2020 को पारित आदेश एवं अगली प्रोसेडिंग पर अंतरिम रोक लगाते हुए रिकॉर्ड कॉल किया था.

सीबीआई कोर्ट ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण शौरी, ज्योत्सना सूरी, आशीष गुहा, प्रदीप बैजल और कांतिलाल के खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के आदेश के साथ सभी की गिरफ्तारी वारंट जारी करने के निर्देश दिए थे. जिस पर पूर्व में राजस्थान उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में तब्दील करते हुए जमानत मुचलके पेश करने के निर्देश दिए थे.

पढ़ें- नाबालिग टेनिस खिलाड़ी से दुष्कर्म करने वाले कोच की जमानत याचिका खारिज

सभी ने सीबीआई अदालत में जमानत मुचलके पेश कर दिए थे. सभी पर आरोप था कि उन्होंने उदयपुर की लक्ष्मी विलास होटल को विनिवेश गलत तरीके से करते हुए सरकार को सदोष राजस्व की हानि पहुंचाई है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में उदयपुर की लक्ष्मी विलास होटल (Laxmi Vilas Hotel) के विनिवेश मामले में दायर 5 अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई 29 जुलाई तक स्थगित कर दी गई. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता की अदालत में सोमवार को याचिकाकर्ता ज्योत्सना सूरी सहित अन्य 4 याचिकाएं सुनवाई के लिए थी, लेकिन सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश हुए अश्विनी कुमार ने कहा कि इन मामलों में सीबीआई की ओर से एएसजी वीएस राजु पैरवी करेंगे लेकिन वो कोविड संक्रमित हैं. ऐसे में 3 सप्ताह का समय दिया जाए. वरिष्ठ न्यायाधीश मेहता ने सीबीआई के अनुरोध पर मामले की सुनवाई 29 जुलाई तक स्थगित कर दी.

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गौरतलब है कि उदयपुर की लक्ष्मी विलास होटल (Laxmi Vilas Hotel) के विनिवेश मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट में चल रहे मामले में अगले आदेश तक अंतरिम रोक लगाने के साथ ही रिकॉर्ड कॉल कर दिया है. उच्च न्यायालय ने 21 अक्टूबर 2020 को याचिकाकर्ता ज्योत्सना सूरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी, आशीष गुहा, प्रदीप बैजल और कांतिलाल की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सीबीआई कोर्ट की प्रोसेडिंग पर रोक लगा दी थी.

भारत होटल्स प्रा. लि. की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी की ओर से सांसद पीपी चौधरी ने पैरवी करते हुए कहा था कि जब इस होटल का विनिवेश हुआ था उस समय तय कीमत से 25 फीसदी ज्यादा रकम पर किया गया था. साथ ही उन्होंने सीबीआई कोर्ट की ओर से सीबीआई द्वारा इस मामले में लगाई गई क्लोजर रिपोर्ट की अनदेखी करने का भी तर्क देते हुए 15 सितंबर 2020 को जारी जोधपुर की सीबीआई विशेष अदालत के आदेशों को अपास्त करने की मांग की.

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आशीष गुहा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव सेन ने पक्ष रखा. वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी ने स्वंय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पक्ष रखते हुए कहा था कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ की गई थी. पूर्व में भी राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर हुई थी, जिसमें कहा गया था कि किसी प्रकार का घोटाला नहीं हुआ है. वहीं, केन्द्र सरकार की ओर से एसवी राजु एएसजी ने पक्ष रखा था.

प्रदीप बैजल की ओर से अधिवक्ता निशांत बोडा मौजूद रहे. सभी अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने के बाद जस्टिस विजय विश्नोई ने सीबीआई कोर्ट की ओर से 15 सितम्बर 2020 को पारित आदेश एवं अगली प्रोसेडिंग पर अंतरिम रोक लगाते हुए रिकॉर्ड कॉल किया था.

सीबीआई कोर्ट ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण शौरी, ज्योत्सना सूरी, आशीष गुहा, प्रदीप बैजल और कांतिलाल के खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के आदेश के साथ सभी की गिरफ्तारी वारंट जारी करने के निर्देश दिए थे. जिस पर पूर्व में राजस्थान उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में तब्दील करते हुए जमानत मुचलके पेश करने के निर्देश दिए थे.

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सभी ने सीबीआई अदालत में जमानत मुचलके पेश कर दिए थे. सभी पर आरोप था कि उन्होंने उदयपुर की लक्ष्मी विलास होटल को विनिवेश गलत तरीके से करते हुए सरकार को सदोष राजस्व की हानि पहुंचाई है.

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