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Textile Waste Treatment Plant : बार्क के ट्रीटमेंट प्लांट से खत्म होगी इंडस्ट्रीज के प्रदूषित पानी की परेशानी... - ETV Bharat Rajasthan news

जोधपुर में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) की ओर से (Textile Waste Treatment Plant developed by barc) टेक्सटइाल अपशिष्ट ट्रीटमेंट प्लांट 'भारत टेक्स्ड्स' का जल्द व्यावसायिक उपयोग शुरू किया जाएगा. इसके जरिए प्रदूषित जल को रंगहीन बनाकर रिसायकल किया जाएगा.

Water Treatment Plant in Barc
जोधपुर में तैयार हुआ टेक्सटइाल अपशिष्ट ट्रीटमेंट प्लांट
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Published : Jul 4, 2022, 9:58 PM IST

जोधपुर. राज्य की ज्यादातर कपड़े की फैक्ट्रियां नदियों के आस-पास के शहरों में ही (Textile Waste Treatment Plant) लगी हैं. जिसके कारण नदियों का पानी प्रदूषित हो चुका है. भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (BARC) की ओर से तैयार किए गए टेक्सटइाल अपशिष्ट ट्रीटमेंट प्लांट 'भारत टेक्स्ड्स' के जरिए पानी को रिसायकल करने का काम किया जाएगा. हालांकि, इस प्लांट के 6 माह की वर्किंग के परिणाम का विश्लेषण करने के बाद इसका व्यावसायिक उपयोग शुरू होगा.

सोमवार को जोधपुर की एक टैक्साइटल फैक्ट्री में 25 हजार लीटर की क्षमता का प्रोटोटाइप प्लांट शुरू किया गया. इस मौके पर परमाणु ऊर्जा आयोग के चेयरमैन और परमाणु ऊर्जा विभाग के अध्यक्ष डॉ. के. एन. व्यास भी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि यहां एक यूनिट लगाई गई है. छह माह बाद प्लांट के टेस्ट के बाद (BHARAT TEXDS in Jodhpur) उसका अध्ययन होगा. इस दौरान जो कमियां निकल कर आएंगी, उनको बार्क के वैज्ञानिक दूर करेंगे. ये तकनीक देश में स्मॉल इंडस्ट्रीज के लिए फायदेमंद साबित होगी.

बार्क के ट्रीटमेंट प्लांट से खत्म होगी इंडस्ट्रीज के प्रदूषित पानी की परेशानी

पानी को किया जा सकेगा रिसायकल : उन्होंने बताया कि बार्क ने भाभा विकिरण सहायक फ़िल्टर तकनीकी युक्त ट्रीटमेंट प्लांट बनाया है. तकनीक से प्रदूषित जल को रंगहीन बनाया जाएगा. जिससे वह पानी दुबारा रिसायकल किया जा सकेगा और फैक्ट्रीयों में काम आ सकेगा. वर्तमान में जोधपुर प्रदूषण नियंत्रण मंडल का प्लांट लगा है, लेकिन उससे पानी पूरी तरह से उपचारित नहीं हो पा रहा है. खासकर टैक्साइल्स फैक्ट्री में धुलने वाले रंगीन कपडें का रंग पानी से नहीं निकलता है. यह पानी जोधपुर से जुड़ी जोजरी और लूणी में जाता है, जिससे ये दोनों नदियां प्रदूषित हो चुकी हैं.

बालोतरा, पाली में भी लगेगा प्रोटोटाइप प्लांट : जोधपुर में इस प्लांट को लगाने के लिए रसायन विज्ञान के प्रोफेसर रह चुके डॉ. गजेंद्र सिंघवी ने पहल की है. उन्होंने अपने फैक्ट्री में यह प्लांट लगवाया है. इससे पहले उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण मंडल का गठन कर प्लांट लगाया था. सिंघवी का कहना है कि अभी 25 लीटर पानी प्रतिदिन की क्षमता रखी गई है. बाद में इसे 1 लाख से 10 लाख लीटर तक की क्षमता के लिए तैयार करेंगे. ये नदियों के लिए बहुत फायदेमंद होगा. प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुरूप स्वचछ भारत मिशन के तहत इसमें अनुदान भी दिया है. जल्द ही ऐसे प्रोटोटाइप प्लांट पाली और बालोतरा में भी ट्रायल के लिए लगाए जाएंगे.

जोधपुर. राज्य की ज्यादातर कपड़े की फैक्ट्रियां नदियों के आस-पास के शहरों में ही (Textile Waste Treatment Plant) लगी हैं. जिसके कारण नदियों का पानी प्रदूषित हो चुका है. भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (BARC) की ओर से तैयार किए गए टेक्सटइाल अपशिष्ट ट्रीटमेंट प्लांट 'भारत टेक्स्ड्स' के जरिए पानी को रिसायकल करने का काम किया जाएगा. हालांकि, इस प्लांट के 6 माह की वर्किंग के परिणाम का विश्लेषण करने के बाद इसका व्यावसायिक उपयोग शुरू होगा.

सोमवार को जोधपुर की एक टैक्साइटल फैक्ट्री में 25 हजार लीटर की क्षमता का प्रोटोटाइप प्लांट शुरू किया गया. इस मौके पर परमाणु ऊर्जा आयोग के चेयरमैन और परमाणु ऊर्जा विभाग के अध्यक्ष डॉ. के. एन. व्यास भी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि यहां एक यूनिट लगाई गई है. छह माह बाद प्लांट के टेस्ट के बाद (BHARAT TEXDS in Jodhpur) उसका अध्ययन होगा. इस दौरान जो कमियां निकल कर आएंगी, उनको बार्क के वैज्ञानिक दूर करेंगे. ये तकनीक देश में स्मॉल इंडस्ट्रीज के लिए फायदेमंद साबित होगी.

बार्क के ट्रीटमेंट प्लांट से खत्म होगी इंडस्ट्रीज के प्रदूषित पानी की परेशानी

पानी को किया जा सकेगा रिसायकल : उन्होंने बताया कि बार्क ने भाभा विकिरण सहायक फ़िल्टर तकनीकी युक्त ट्रीटमेंट प्लांट बनाया है. तकनीक से प्रदूषित जल को रंगहीन बनाया जाएगा. जिससे वह पानी दुबारा रिसायकल किया जा सकेगा और फैक्ट्रीयों में काम आ सकेगा. वर्तमान में जोधपुर प्रदूषण नियंत्रण मंडल का प्लांट लगा है, लेकिन उससे पानी पूरी तरह से उपचारित नहीं हो पा रहा है. खासकर टैक्साइल्स फैक्ट्री में धुलने वाले रंगीन कपडें का रंग पानी से नहीं निकलता है. यह पानी जोधपुर से जुड़ी जोजरी और लूणी में जाता है, जिससे ये दोनों नदियां प्रदूषित हो चुकी हैं.

बालोतरा, पाली में भी लगेगा प्रोटोटाइप प्लांट : जोधपुर में इस प्लांट को लगाने के लिए रसायन विज्ञान के प्रोफेसर रह चुके डॉ. गजेंद्र सिंघवी ने पहल की है. उन्होंने अपने फैक्ट्री में यह प्लांट लगवाया है. इससे पहले उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण मंडल का गठन कर प्लांट लगाया था. सिंघवी का कहना है कि अभी 25 लीटर पानी प्रतिदिन की क्षमता रखी गई है. बाद में इसे 1 लाख से 10 लाख लीटर तक की क्षमता के लिए तैयार करेंगे. ये नदियों के लिए बहुत फायदेमंद होगा. प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुरूप स्वचछ भारत मिशन के तहत इसमें अनुदान भी दिया है. जल्द ही ऐसे प्रोटोटाइप प्लांट पाली और बालोतरा में भी ट्रायल के लिए लगाए जाएंगे.

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