जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय में अपने ही आश्रम की नाबालिग के साथ यौन दुराचार के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम, सहआरोपी शिल्पी और शरदचंद की अपीलों पर सोमवार को सुनवाई आगे नहीं बढ़ पाई. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ के समक्ष आसाराम, शिल्पी और शरदचंद की अपील सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई थी, लेकिन अधिवक्ता की ओर से समय मांगने पर तीन मई तक सुनवाई टाल दी गई. आसाराम की ओर से सजा के खिलाफ पेश की गई अपील पर मुंबई के वरिष्ठ अधिवक्ता शिरीष गुप्ते के सहयोगी ने न्यायालय से समय मांगा, जिस पर न्यायालय ने समय दिया है.
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वहीं, आसाराम की ओर से जोधपुर से वरिष्ठ अधिवक्ता जगमालसिंह चौधरी व उनके सहयोगी प्रदीप सिंह चौधरी भी न्यायालय में मौजूद रहे. गौरतलब है कि आसाराम अपने ही आश्रम की नाबालिग के साथ यौन दुराचार के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. सूदन शर्मा जिनको पोक्सो एक्ट के तहत दायर मामलों की सुनवाई करने के अधिकार था. करीब छह वर्ष की सुनवाई के बाद 25 अप्रैल 2018 को फैसला सुनाते हुए जहां मुख्य अभियुक्त आसाराम को प्राकृतिक उम्र की समाप्ति तक के लिए उम्र कैद की सजा सुनाई थी. वहीं, सह आरोपी शिल्पी व शरदचंद को बीस बीस साल की सजा के आदेश दिये गये थे. सजा के खिलाफ आसाराम, शिल्पी व शरदचंद ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपीले पेश कर रखी है.