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जोधपुर एम्स में पहली बार ट्राई रजिस्ट्रेशन तकनीक से हुई एंजियोग्राफी, सटीक पता लगेगा ब्लॉकेज कहां है और स्टेंट लगाना है या नहीं - ट्राई रजिस्ट्रेशन एंजियोग्राफी

जोधपुर एम्स में एक ऐसी तकनीक से एंजियोग्राफी की गई, जिससे ब्लॉकेज की लोकेशन के बारे में स्पष्ट जानकारी भी मिली और इसकी भी सटीक जानकारी मिल गई कि मरीज को स्टेंट लगाने की आवश्यकता है या नहीं. आमतौर पर सीने में दर्द पर एंजियोग्राफी करने पर कई बार ब्लॉकेज की लोकेशन को लेकर सही जानकारी नहीं मिल पाती.

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जोधपुर एम्स में पहली बार ट्राई रजिस्ट्रेशन तकनीक से हुई एंजियोग्राफी
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Published : Mar 1, 2021, 11:29 AM IST

जोधपुर. सीने में दर्द पर आमतौर पर एंजियोग्राफी करने पर कई बार ब्लॉकेज की लोकेशन लेकर सही जानकारी नहीं मिल पाती, कई बार मरीजों को स्टेंट की आवश्यकता नहीं होने के बावजूद भी खतरे से बचने के लिए लगा दिया जाता है, लेकिन अब एम्स में एक ऐसी तकनीक से एंजियोग्राफी की गई. जिससे ब्लॉकेज की लोकेशन के बारे में स्पष्ट जानकारी भी मिली और इसकी भी सटीक जानकारी मिल गई कि मरीज को स्टेंट लगाने की आवश्यकता है या नहीं.

इस तकनीक को ट्राई रजिस्ट्रेशन (आईवीयूएस-आईएफआर और एनजीओ का - रजिस्ट्रेशन) नाम दिया गया है. इसलिए एम्स में पहली बार 2 रोगियों का उपचार किया गया. एम्स के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुरेंद्र देवड़ा ने बताया कि 52 वर्षीय एक मरीज को सीने में दर्द की शिकायत पर एंजियोग्राफी की गई, लेकिन सीने की कौन सी नस में ब्लॉकेज है, इसका सही पता नहीं लग पाया. इस पर हमने नई तकनीक आईवीयूएस आईएफआर एनजीओ का - रजिस्ट्रेशन की मदद ली, जिससे ब्लॉकेज के साथ ही यह भी पता लग गया कि उन्हें स्टेंट लगाने की आवश्यकता नहीं है.

इसके बाद मरीज का इलाज दवाइयों से किया गया. इसी प्रकार एक 70 वर्षीय मरीज का भी इलाज किया गया. उन्हें वर्ष 2018 में सीने में दर्द के चलते दो स्टेंट लगाए गए थे. हाल ही में फिर से दर्द उठने पर वे एम्स में भर्ती हुए. साथ ही एंजियोग्राफी कराई तो बॉर्डर लाइन ब्लॉकेज पाया गया. फिर नई तकनीक से जांच की तो ब्लॉकेज स्पष्ट दिखाई दिया. इसके बाद उन्हें एक और स्टेंट लगाया गया. अब दोनों मरीज स्वस्थ हैं.

पढ़ें- कोरोना वैक्सीनेशन का दूसरा चरण आज से शुरू, कहां करें रजिस्टर, जानिए जरूरी बातें

उपचार में हृदय रोग विभाग के डॉ. राहुल, डॉ. अतुल, नर्सिंग ऑफिसर बाबूलाल, नंदराम व टेक्नीशियन साजिद ने सहयोग किया. एम्स के डायरेक्टर डॉ. संजीव मिश्रा ने बताया कि उत्तर भारत में ट्राई तकनीकी सहायता से पहली बार इलाज किया गया. वहीं डीएन एकेडमिक डॉक्टर कुलदीप सिंह ने बताया कि ऐसी नई तकनीक से उच्च शिक्षा में हो रहे अनुसंधान में भी सहायता मिलेगी, जो भविष्य में इलाज की दिशा तय करेगी.

किस साइज का स्टेंट लगेगा इसकी भी स्पष्ट जानकारी देगी यह नई तकनीक

बदलते परिवेश में खराब खाने की आदतों के चलते बुजुर्गों के साथ ही अब युवाओं व बच्चों को भी दिल की धमनियों में ब्लॉकेज की शिकायत हो रही है. ऐसे में ट्राई रजिस्ट्रेशन तकनीक इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इसकी सहायता से यह स्पष्ट पता चल सकता है कि मरीज के हृदय की कौन सी नस में कहां ब्लॉकेज हैं. साथ ही इलाज स्टेंट से होगा या दवाइयों से इसकी भी जानकारी मिल जाएगी. इसके अलावा स्टेंट की साइज का भी पता लग पाएगा.

जोधपुर. सीने में दर्द पर आमतौर पर एंजियोग्राफी करने पर कई बार ब्लॉकेज की लोकेशन लेकर सही जानकारी नहीं मिल पाती, कई बार मरीजों को स्टेंट की आवश्यकता नहीं होने के बावजूद भी खतरे से बचने के लिए लगा दिया जाता है, लेकिन अब एम्स में एक ऐसी तकनीक से एंजियोग्राफी की गई. जिससे ब्लॉकेज की लोकेशन के बारे में स्पष्ट जानकारी भी मिली और इसकी भी सटीक जानकारी मिल गई कि मरीज को स्टेंट लगाने की आवश्यकता है या नहीं.

इस तकनीक को ट्राई रजिस्ट्रेशन (आईवीयूएस-आईएफआर और एनजीओ का - रजिस्ट्रेशन) नाम दिया गया है. इसलिए एम्स में पहली बार 2 रोगियों का उपचार किया गया. एम्स के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुरेंद्र देवड़ा ने बताया कि 52 वर्षीय एक मरीज को सीने में दर्द की शिकायत पर एंजियोग्राफी की गई, लेकिन सीने की कौन सी नस में ब्लॉकेज है, इसका सही पता नहीं लग पाया. इस पर हमने नई तकनीक आईवीयूएस आईएफआर एनजीओ का - रजिस्ट्रेशन की मदद ली, जिससे ब्लॉकेज के साथ ही यह भी पता लग गया कि उन्हें स्टेंट लगाने की आवश्यकता नहीं है.

इसके बाद मरीज का इलाज दवाइयों से किया गया. इसी प्रकार एक 70 वर्षीय मरीज का भी इलाज किया गया. उन्हें वर्ष 2018 में सीने में दर्द के चलते दो स्टेंट लगाए गए थे. हाल ही में फिर से दर्द उठने पर वे एम्स में भर्ती हुए. साथ ही एंजियोग्राफी कराई तो बॉर्डर लाइन ब्लॉकेज पाया गया. फिर नई तकनीक से जांच की तो ब्लॉकेज स्पष्ट दिखाई दिया. इसके बाद उन्हें एक और स्टेंट लगाया गया. अब दोनों मरीज स्वस्थ हैं.

पढ़ें- कोरोना वैक्सीनेशन का दूसरा चरण आज से शुरू, कहां करें रजिस्टर, जानिए जरूरी बातें

उपचार में हृदय रोग विभाग के डॉ. राहुल, डॉ. अतुल, नर्सिंग ऑफिसर बाबूलाल, नंदराम व टेक्नीशियन साजिद ने सहयोग किया. एम्स के डायरेक्टर डॉ. संजीव मिश्रा ने बताया कि उत्तर भारत में ट्राई तकनीकी सहायता से पहली बार इलाज किया गया. वहीं डीएन एकेडमिक डॉक्टर कुलदीप सिंह ने बताया कि ऐसी नई तकनीक से उच्च शिक्षा में हो रहे अनुसंधान में भी सहायता मिलेगी, जो भविष्य में इलाज की दिशा तय करेगी.

किस साइज का स्टेंट लगेगा इसकी भी स्पष्ट जानकारी देगी यह नई तकनीक

बदलते परिवेश में खराब खाने की आदतों के चलते बुजुर्गों के साथ ही अब युवाओं व बच्चों को भी दिल की धमनियों में ब्लॉकेज की शिकायत हो रही है. ऐसे में ट्राई रजिस्ट्रेशन तकनीक इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इसकी सहायता से यह स्पष्ट पता चल सकता है कि मरीज के हृदय की कौन सी नस में कहां ब्लॉकेज हैं. साथ ही इलाज स्टेंट से होगा या दवाइयों से इसकी भी जानकारी मिल जाएगी. इसके अलावा स्टेंट की साइज का भी पता लग पाएगा.

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