जोधपुर. टिड्डियों का आंतक पूरे राजस्थान में फैला है. इन टिड्डियों के हमले से कोई भी जिला अछूता नहीं है. वहीं, टिड्डियों के हमले के कारण किसानों को काफी नुकसान भुगतना पड़ा है, जिसको लेकर किसानों ने इन टिड्डियों के खात्मे के लिए कई जतन किए, पर सब बेकार रहे. टिड्डियों ने किसानों की पूरी फसलों को बर्बाद कर दिया है.
वहीं, जून और जुलाई में टिड्डियों का बड़ा हमला हो सकता है. इसको लेकर कृषि विभाग और टिड्डी नियंत्रक संगठन ने भी तैयारी कर ली है. जोधपुर संभाग के प्रभावित जिलों में 25 ड्रोन टिड्डीयों पर एअर स्ट्राइक किया जाएगा.
बता दें कि प्रदेश में ऐसा पहली टिड्डियों पर ड्रोन के जरिए दवाई का स्प्रे किया जाएगा, जिसको लेकर ट्रॉयल भी शुरू हो गया है. इसके लिए निजी कंपनियों की सहायता ली जा रही है. जोधपुर जिले के फलोदी में रविवार को ट्रॉयल किया गया है. इधर लोक्ट्स ग्लोबल फॉरकॉस्ट ने जून और जुलाई के लिए नया मैप जारी करते हुए अलर्ट जारी किया है.
इस मैप में ये भी बताया गया है कि टिड्डयों ने अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान में प्रवेश किया है. जहां से वे पाकिस्तान के पख्तून इलाकों से होते हुए पंजाब प्रांत से भारत के कश्मीर होते हुए लद्दाख तक पहुंच सकती है. साथ ही पश्चिमी सीमा से भी दलों का आगमन होगा. इधर जोधपुर में भी आने वाले दिनों में होने वाले हमले को ध्यान रखते हुए तैयारी हो गई है. कृषि विभाग के टिड्डी नियंत्रक संगठन मिलकर काम कर रहे हैं.
किसान भी करते हैं टिड्डियों को भगाने में मदद...
टिड्डी चेतावनी संगठन के संयुक्त निदेशक संजय आर्य ने बताया कि 25 ड्रोन की आपूर्ति हो रही है. जिसके मार्फत नियंत्रण का काम शुरू हो रहा है. ये काम पूरे संभाग के प्रभावित क्षेत्रों में कृषि विभाग के साथ शुरू हुआ है. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक विजय कुमार पाण्डेय का कहना है कि अफ्रिका और पाकिस्तान में भारी मात्रा में टिड्डियों का प्रजनन हुआ है. ऐसे में जून और जुलाई में बड़ा दल आ सकता है, हम इसके लिए तैयार है. हम इन दलों की ट्रेकिंग और ट्रेसिंग के बाद स्प्रे कर कार्रवाई करते हैं. इसमें किसानों का भी सहयोग मिलता है.
उनका कहना है कि वर्तमान में आ रही टिड्डियों से कोई नुकसान नहीं है, लेकिन मानसून में जुलाई में खरीफ की बुवाई जो कि जोधपुर जिले में ही करीब 14 लाख हैक्टयर भूमि पर होगी. उस समय के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के फूट एंड एग्रीकल्चर ऑग्रेनाइजेशन की भविष्यवाणी है, जिसमें बताया गया है कि अफ्रिका व पाकिस्तान में प्रजनन हुआ हे वे दल आ सकते हैं.
हरियाणा में भी टिड्डी दलों ने किया था हमला...
किसानों के लिए टिड्डी दल बड़ा खतरा बन कर उभरा है. करोड़ों की संख्या में उड़ने वाले ये टिड्डी जहां भी जाते हैं, वहां के खेत-खलिहानों में तबाही ला देते हैं. आज पूरा उत्तर भारत इस टिड्डी दल से खौफ में है, लेकिन आपको बता दें कि ये खतरा कोई नया नहीं है, करीब दो सौ सालों से पहले से भी ये टिड्डी दल समय-समय पर हमला कर खेत खलिहानों को बर्बाद करते आए हैं
टिड्डी चेतावनी संगठन के मुताबिक ऐतिहासिक रूप से रेगिस्तानी टिड्डी हमेशा से ही मानव कल्याण की दृष्टि से बड़ा खतरा रही है. प्राचीन ग्रंथ बाइबल और पवित्र कुरान में रेगिस्तानी टिड्डी को मनुष्यों के लिए अभिशाप के रूप में माना गया है. टिड्डों की तरफ से किए गए नुकसान का दायरा इतना बड़ा है जो कल्पना से भी परे है, क्योंकि इनकी बहुत अधिक खाने की क्षमता के कारण भुखमरी तक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
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जहां जाते हैं, विनाश करते हैं...
औसत रूप से एक छोटे टिड्डी का झुंड एक दिन में इतना खाना खा जाता है, जितना दस हाथी, 25 ऊंट या 2500 व्यक्ति खा सकते हैं. टिड्डियां पत्ते, फूल, फल, बीज, तने और उगते हुए पौधों को भी खा जाते हैं और जब ये समूह में पेड़ों पर बैठते हैं तो इनके भार से पेड़ तक टूट जाते हैं.
टिड्डियों की कई प्रजातियां होती हैं ...
भारतीय टिड्डी चेतावनी संगठन के अनुसार टिड्डी कई प्रकार के होते हैं. रेगिस्तानी टिड्डी, बॉम्बे टिड्डी, प्रवासी टिड्डी, इटेलियन टिड्डी, मोरक्को टिड्डी, लाल टिड्डी, भूरी टिड्डी, दक्षिणी अमेरिकन टिड्डी, ऑस्ट्रेलियन टिड्डी और वृक्ष टिड्डी प्रमुख प्रजातियां शामिल हैं.