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नर्सिंग अधिकारी पद पर भर्ती मामले में केंद्र सरकार और एम्स को नोटिस जारी

राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्सिंग अधिकारी पद पर भर्ती मामले में केंद्र सरकार और एम्स को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. वहीं, जोधपुर शहर की आम समस्याओं को लेकर जनहित याचिकाओं में दिए गए आदेशों की पालना करवाने के लिए दायर अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने जेडीए और प्रशासन से जवाब मांगा है.

ase of recruitment for the post of Nursing Officer,  Rajasthan High Court Order
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Aug 14, 2020, 10:30 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत में एक याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 25 अगस्त तक जवाब तलब किया है. एएसजी संजीत पुरोहित ने केंद्र सरकार के नाम नोटिस लिया.

ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली की ओर से भोपाल, जोधपुर, पटना और रायपुर एम्स के लिए नर्सिंग अधिकारी पद के लिए 551 रिक्त पदों पर आवेदन मांगे थे. भर्ती में परंपरागत आरक्षण के साथ ही 80 प्रतिशत पदों को महिलाओं के लिए और 20 प्रतिशत पद पुरुष अभ्यर्थियों के लिए रखे गए, जिस पर राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई.

पढ़ें- बसपा विधायकों के दल-बदल मामले में हाईकोर्ट में बहस पूरी, 17 अगस्त को आएगा फैसला

याचिकाकर्ता मनोहर राम की ओर से याचिका दायर कर अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह चौधरी ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2018 में जारी सूचना के अनुसार एम्स में नर्सिंग अधिकारी भर्ती में नियमानुसार आरक्षण की घोषणा की गई थी. लेकिन एम्स की केंद्रीय समिति की 27 जुलाई 2019 को हुई चतुर्थ बैठक में महिलाओं के लिए 80 प्रतिशत पद आरक्षित किए जाने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया. उन्होंने कहा कि यह निर्णय असंवैधानिक है. कोर्ट ने केंद्र सरकार और एम्स को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

हाईकोर्ट ने जेडीए और प्रशासन से मांगा जवाब

जोधपुर शहर की आम समस्याओं को लेकर जनहित याचिकाओं में दिए गए आदेशों की पालना करवाने के लिए दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट ने जेडीए और प्रशासन से जवाब मांगा है. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस संगीत लोढ़ा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान एनएचएआई की ओर से पक्ष रखते हुए कहा गया कि रिंग रोड निर्माण के लिए जमीन की जरूरत है.

नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया को रिंग रोड निर्माण के काम को गति देने और जल्द पूरा करने के लिए गेंवा में 7.53 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है. जमीन चिह्नित की जा चुकी है, लेकिन इस पर अतिक्रमण और अवैध कब्जों की वजह से अड़चन आ रही है. एनएचएआई ने एक अर्जी पेश कर हाईकोर्ट से आग्रह किया कि वह जेडीए और जिला प्रशासन को निर्देश दे कि यह जमीन उसे अतिक्रमण व कब्जा मुक्त कर शीघ्र सुपुर्द करें.

पढ़ें- जोधपुरः राजमाता विजयाराजे कृषि उपज मंडी (अनाज) के अध्यक्ष जगराम को हाईकोर्ट से राहत

जेडीए और प्रशासन ने जवाब के लिए एक सप्ताह का समय मांगा है. याचिकाकर्ता रवि लोढ़ा की ओर से अधिवक्ता अशोक छंगाणी ने अवमाननाकर्ता अधिकारियों के नाम जोड़ने के लिए पूर्व में पेश किए गए प्रार्थना पत्र पर नोट प्रेस का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि वे कुछ अफसरों को और जुड़वाने के लिए अर्जी पेश करना चाहते हैं, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया.

प्रार्थना पत्र पर जवाब पेश करने के लिए एएजी सुनील बेनिवाल ने एक सप्ताह की मोहलत मांगी. जबकि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि रिंग रोड का काम बहुत धीमी गति से हो रहा है. इस संबंध में प्रोजेक्ट मैनेजर अजय विश्नोई ने स्टेट्स बताने के लिए एक सप्ताह की मोहलत मांगी, जिसे स्वीकार कर लिया अब अगली सुनवाई 24 अगस्त को मुकर्रर की है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत में एक याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 25 अगस्त तक जवाब तलब किया है. एएसजी संजीत पुरोहित ने केंद्र सरकार के नाम नोटिस लिया.

ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली की ओर से भोपाल, जोधपुर, पटना और रायपुर एम्स के लिए नर्सिंग अधिकारी पद के लिए 551 रिक्त पदों पर आवेदन मांगे थे. भर्ती में परंपरागत आरक्षण के साथ ही 80 प्रतिशत पदों को महिलाओं के लिए और 20 प्रतिशत पद पुरुष अभ्यर्थियों के लिए रखे गए, जिस पर राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई.

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याचिकाकर्ता मनोहर राम की ओर से याचिका दायर कर अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह चौधरी ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2018 में जारी सूचना के अनुसार एम्स में नर्सिंग अधिकारी भर्ती में नियमानुसार आरक्षण की घोषणा की गई थी. लेकिन एम्स की केंद्रीय समिति की 27 जुलाई 2019 को हुई चतुर्थ बैठक में महिलाओं के लिए 80 प्रतिशत पद आरक्षित किए जाने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया. उन्होंने कहा कि यह निर्णय असंवैधानिक है. कोर्ट ने केंद्र सरकार और एम्स को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

हाईकोर्ट ने जेडीए और प्रशासन से मांगा जवाब

जोधपुर शहर की आम समस्याओं को लेकर जनहित याचिकाओं में दिए गए आदेशों की पालना करवाने के लिए दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट ने जेडीए और प्रशासन से जवाब मांगा है. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस संगीत लोढ़ा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान एनएचएआई की ओर से पक्ष रखते हुए कहा गया कि रिंग रोड निर्माण के लिए जमीन की जरूरत है.

नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया को रिंग रोड निर्माण के काम को गति देने और जल्द पूरा करने के लिए गेंवा में 7.53 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है. जमीन चिह्नित की जा चुकी है, लेकिन इस पर अतिक्रमण और अवैध कब्जों की वजह से अड़चन आ रही है. एनएचएआई ने एक अर्जी पेश कर हाईकोर्ट से आग्रह किया कि वह जेडीए और जिला प्रशासन को निर्देश दे कि यह जमीन उसे अतिक्रमण व कब्जा मुक्त कर शीघ्र सुपुर्द करें.

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जेडीए और प्रशासन ने जवाब के लिए एक सप्ताह का समय मांगा है. याचिकाकर्ता रवि लोढ़ा की ओर से अधिवक्ता अशोक छंगाणी ने अवमाननाकर्ता अधिकारियों के नाम जोड़ने के लिए पूर्व में पेश किए गए प्रार्थना पत्र पर नोट प्रेस का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि वे कुछ अफसरों को और जुड़वाने के लिए अर्जी पेश करना चाहते हैं, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया.

प्रार्थना पत्र पर जवाब पेश करने के लिए एएजी सुनील बेनिवाल ने एक सप्ताह की मोहलत मांगी. जबकि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि रिंग रोड का काम बहुत धीमी गति से हो रहा है. इस संबंध में प्रोजेक्ट मैनेजर अजय विश्नोई ने स्टेट्स बताने के लिए एक सप्ताह की मोहलत मांगी, जिसे स्वीकार कर लिया अब अगली सुनवाई 24 अगस्त को मुकर्रर की है.

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