जोधपुर. नगर निगम को 2 हिस्सों में बांटने के बाद अब व्यवहारिक रूप से वार्डों के व्यवस्थागत ढांचे में दिक्कतों का दौर शुरू हो गया है. खासतौर से बोर्ड बनने के 2 माह में ही सफाई व्यवस्था चरमरा गई है. नगर निगम दक्षिण क्षेत्र में हालात बिगड़ते जा रहे हैं, क्योंकि यहां के वार्डों का क्षेत्रफल काफी बड़ा है और यहां विभाजन के बाद कर्मचारियों की संख्या का वितरण भी गड़बड़ा गया है. जिसके चलते वार्डों में जगह-जगह गंदगी के ढेर लग रहे हैं.
यह सभी पार्षदों के लिए प्रतिदिन परेशानी का सबब बनती जा रही है, क्योंकि नगर निगम के विभाजन से पहले जोधपुर शहर में 65 वार्ड थे. जिन्हें 160 में परिवर्तित कर दिया गया, लेकिन सफाई कर्मियों का वितरण अब प्रति वार्ड की संख्या के हिसाब से नहीं हो पा रहा है. पूर्व में जहां प्रत्येक वार्ड में सफाई कर्मी लगाए गए थे और उन पर एक जमादार नियुक्त किया गया था. अगर इस व्यवस्था से वितरण किया जाए तो 5000 से ज्यादा सफाई कर्मियों की आवश्यकता होती है. जबकि नगर निगम के पास इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारी नहीं है.
मौजूदा हालात में प्रत्येक वार्ड में 10-10 कर्मचारियों को लगाया गया है, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहे हैं. क्योंकि प्रत्येक वार्ड का एक प्रभारी बनाए जाने के बाद 9 सफाईकर्मी रहते हैं. इनमें भी कोई न कोई अवकाश पर होने से वार्ड में प्रतिदिन पांच से छह कर्मचारी ही काम कर रहे हैं. इसके चलते जगह-जगह गंदगी के ढेर लग गए हैं.
महापौर वनिता सेठ का कहना है कि कर्मचारियों की कमी है. इसके अलावा जो कचरा उठाने वाले वाहन थे. वार्ड के वितरण के हिसाब से उन्हें भी कमी बन गई है. हम प्रयास कर रहे हैं कि कुछ वालों को एक साथ जोड़ कर व्यवस्था बना ली जाए, लेकिन इसको लेकर पार्षद राजी नहीं है. दूसरी ओर नगर निगम प्रतिपक्ष नेता गणपत सिंह का कहना है कि सुबह उठते ही पार्षद के पास सबसे बड़ी परेशानी सफाई की होती है, क्योंकि पूरे कर्मचारी नहीं मिल पा रहे हैं. कर्मचारियों का वितरण सही ढंग से करना बहुत जरूरी है. वार्ड नंबर 11 से पार्षद रागिनी शर्मा का कहना है कि वार्ड में दो तीन से ज्यादा सफाई कर्मी नहीं आ रहे हैं जिसके चलते हमारे पास शिकायतें आ रही है.
डोर टू डोर व्यवस्था भी धराशायी
वार्डों में सफाई की व्यवस्था चरमराने के साथ-साथ डोर टू डोर व्यवस्था में कचरा संगठन में लगे वाहन भी अब तरीके से काम नहीं कर रहे हैं. इनमें ज्यादातर को वार्डो का कचरा ही उठाना पड़ता है, इसके अलावा प्रत्येक वार्ड में तीन से चार वाहन लगाए गए थे. उनका समीकरण भी विभाजन के बाद गड़बड़ा गया है. ऐसे में पूरे शहर की सफाई व्यवस्था का प्रबंधन नए सिरे से करने की आवश्यकता है.