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जोधपुर: भोगिशैल परिक्रमा पर कोरोना की मार, प्रशासन ने अनुमति देने से किया इनकार - भोगीशैल परिक्रमा

जोधपुर में भोगिशैल परिक्रमा का आयोजन 3 साल के अंतराल में किया जाता है. वहीं इस बार कोरोना के चलते प्रशासन ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया है. जिसके बाद परिक्रमा का आयोजन इस बार फीका पड़ता नजर आ रहा है.

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भोगीशैल परिक्रमा पर कोरोना की मार
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Published : Sep 19, 2020, 1:30 PM IST

जोधपुर: प्रत्येक 3 साल के अंतराल के बाद हिंदू पंचांग के अनुसार पुरुषोत्तम मास आता है. इस दौरान जोधपुर में भोगिशैल परिक्रमा का आयोजन किया जाता है. जिसमें श्रद्धालु पूरे शहर के चारों ओर परिक्रमा कर शहर के लिए सुख शांति की प्रार्थना करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से परिक्रमा का आयोजन फीका पड़ता नजर आ रहा है.

भोगीशैल परिक्रमा पर कोरोना की मार

बता दें कि सैकड़ों वर्ष से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन इस बार होना संभव नहीं है, क्योंकि प्रशासन ने यात्रा की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. इस परिक्रमा में जोधपुर शहर के अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी शामिल होते हैं. साथ ही हजारों की संख्या में लोग इसमें शामिल होते हैं.

इस बार श्राद्ध पक्ष के बाद अब पुरुषोत्तम मास शुरू हो चुका है. ऐसे में जोधपुर में यात्रा का आयोजन करने वाले हिंदू सेवा मंडल की ओर से स्थानीय प्रशासन को कोरोना के चलते इस बार प्रतीकात्मक रूप से यात्रा निकालने की अनुमति मांगी गई है. जिसके बाद प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया है.

पढ़ें: कर्मचारी महासंघ के बाद सचिवालय कर्मचारी संघ ने भी किया एक दिन के वेतन कटौती का विरोध

मंडल के सचिव विष्णु प्रजापत ने बताया कि 10 से 20 लोगों के साथ लेकर सैकड़ों वर्ष पुरानी परिक्रमा की परंपरा को जारी रखना चाहते थे. जिसके लिए प्रशासन से निवेदन किया गया था लेकिन प्रशासन की ओर से मना कर दिया गया है. जबकि देश के कई हिस्सों में इस तरह की ऐतिहासिक परिक्रमा यात्राओं को लेकर अनुमति जारी की गई है. हिंदू सेवा मंडल का कहना है कि यात्रा तिथि अभी आगे है. ऐसे में हम एक बार फिर प्रशासन से अपील करेंगे कि सभ्यता और संस्कृति को बचाने के लिए इस यात्रा को निकालने की अनुमति प्रदान करें.

जोधपुर: प्रत्येक 3 साल के अंतराल के बाद हिंदू पंचांग के अनुसार पुरुषोत्तम मास आता है. इस दौरान जोधपुर में भोगिशैल परिक्रमा का आयोजन किया जाता है. जिसमें श्रद्धालु पूरे शहर के चारों ओर परिक्रमा कर शहर के लिए सुख शांति की प्रार्थना करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से परिक्रमा का आयोजन फीका पड़ता नजर आ रहा है.

भोगीशैल परिक्रमा पर कोरोना की मार

बता दें कि सैकड़ों वर्ष से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन इस बार होना संभव नहीं है, क्योंकि प्रशासन ने यात्रा की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. इस परिक्रमा में जोधपुर शहर के अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी शामिल होते हैं. साथ ही हजारों की संख्या में लोग इसमें शामिल होते हैं.

इस बार श्राद्ध पक्ष के बाद अब पुरुषोत्तम मास शुरू हो चुका है. ऐसे में जोधपुर में यात्रा का आयोजन करने वाले हिंदू सेवा मंडल की ओर से स्थानीय प्रशासन को कोरोना के चलते इस बार प्रतीकात्मक रूप से यात्रा निकालने की अनुमति मांगी गई है. जिसके बाद प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया है.

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मंडल के सचिव विष्णु प्रजापत ने बताया कि 10 से 20 लोगों के साथ लेकर सैकड़ों वर्ष पुरानी परिक्रमा की परंपरा को जारी रखना चाहते थे. जिसके लिए प्रशासन से निवेदन किया गया था लेकिन प्रशासन की ओर से मना कर दिया गया है. जबकि देश के कई हिस्सों में इस तरह की ऐतिहासिक परिक्रमा यात्राओं को लेकर अनुमति जारी की गई है. हिंदू सेवा मंडल का कहना है कि यात्रा तिथि अभी आगे है. ऐसे में हम एक बार फिर प्रशासन से अपील करेंगे कि सभ्यता और संस्कृति को बचाने के लिए इस यात्रा को निकालने की अनुमति प्रदान करें.

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