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Research for Diseases in India : देश में 70 फीसदी बीमार नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के, प्रभावी नियंत्रण के लिए अभी रिसर्च की जरूरत

देश में असंक्रामक बीमारियों मरीज सबसे ज्यादा हैं. कुल बीमारियों में से ऐसे मरीजों का आंकड़ा 70 फीसदी (70 percent patient in India of non communicable diseases) है. इन बीमारियों के इलाज भी उपलब्ध हैं. लेकिन उपचार के लिए मरीज इनसे जुड़ नहीं पाते. इसी समस्या के निदान के लिए 7 राज्यों के कम्युनिकेबल डिजीज प्रोग्राम के प्रमुख व इनके नीति निर्धारक जोधपुर में जुटे हैं.

70 percent patient in India of non communicable diseases
देश में 70 फीसदी बीमार नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के, प्रभावी नियंत्रण के लिए अभी रिसर्च की जरूरत
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Published : Jun 26, 2022, 6:53 PM IST

जोधपुर. भारत में 70 फीसदी मरीज असंक्रामक रोगों की चपेट में हैं. लेकिन परेशानी इस बात की है कि इन्हें रोकने के प्रभावी उपाय से लोग कैसे जुड़ें. इस समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिए 7 राज्यों के कम्युनिकेबल डिजीज प्रोग्राम के प्रमुख व इनके नीति निर्धारक शहर में आयोजित समिट में जुटे हैं.

देश में हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या अधिक है. अभी भी बड़ी संख्या में लोगों को पता नहीं है कि वे इससे पीड़ित हैं. जो पीड़ित हैं उनमें आधे से ज्यादा दवाइयां नहीं लेते है. ऐसे में यह कमी है कि क्यूं सारे लोग उपचार नहीं जुड़ते और जो लोग जुड़ते हैं वे पूरी दवाइयां क्यों नहीं लेते? यह पता लगाने के लिए हम काम करेंगे. क्यों ऐसी बीमारियों से जुड़े कार्यक्रम सफल नहीं हो पाए. कमियां सरकार को बताएंगे जिससे सरकार प्रभावी तरीके से कार्यक्रम बना सके. ऐसे कारणों को ढूंढ़ने के लिए देश के सात राज्यों के नॉन कम्युनिकेबल डिजीज प्रोग्राम के प्रमुख व इनके नीति निर्धारक दो दिन के लिए जोधपुर में जुटे हैं. जोधपुर स्थित आईसीएमआर के एनआईआईआरएनसीडी केंद्र में आयेाजित समिट के पहले दिन इस बात पर चर्चा हुई कि इस तरह की कमियों से कैसे निजात पाया जाए.

मरीजों को नहीं पता खुद की बीमारियों के बारे में, जानिए क्या कहा एक्सपर्ट ने...

पढ़ें: ICMR-NIN बताएगा मजबूत इम्युनिटी के लिए आहार में क्या करना होगा बदलाव

अभी भी रिसर्च की जरूरत: एनआईआईआरएनसीडी के निदेशक डॉ अरुण शर्मा ने बताया कि समिट में राजस्थान के प्रतिनिधि ने बताया कि हमारे पास इस बात का डेटा नहीं है कि प्रदेश में कितने लोग उच्च रक्तदाब से पीड़ित हैं. विशेषज्ञों ने यह इस बात को लेकर भी चिंता जताई कि अभी देश में एकरूपता से इन रोगों को लेकर रिसर्च नहीं हुआ है. यानी कि डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर, कैंसर, स्ट्रॉक पर 5 से 7 राज्यों में ही रिसर्च हुई है. जबकि जरूरत पूरे देश में होने की (Research needed for various diseases in India) है. जिससे ही समग्र नीति बनाकर नियंत्रण के प्रयास हो सकें.

पढ़ें: विमानन मंत्रालय ने टीके पहुंचाने के लिए आईसीएमआर को ड्रोन के इस्तेमाल की सशर्त मंजूरी दी

रिसर्च बैंच से बेड तक पहुंचाने के प्रयास: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक डॉ समिरन पांडा ने बताया कि बीमारी के लिए होने वाली रिसर्च जनस्वास्थ्य से जुड़े कार्यक्रमों के लिए कितनी प्रभावशाली है, उसका कितना असर हो रहा है या नहीं हो रहा है, इसको लेकर हम यहां मंथन कर रहे हैं. बैंच से बैड तक रिसर्च को पहुंचाना बीमारी का समाधान निकालने को इंप्लिमेंटेशन आफ रिसर्च कहा जाता है. यह संक्रामक और असंक्रामक दोनों तरह के रोगों में लागू होता है. ऐसे में यह प्रयास होगा कि बीमारियों की रिसर्च के बेहतर परिणाम जनस्वास्थ्य के लिए आएं. समिट में राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, केरला, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तराखंड के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.

जोधपुर. भारत में 70 फीसदी मरीज असंक्रामक रोगों की चपेट में हैं. लेकिन परेशानी इस बात की है कि इन्हें रोकने के प्रभावी उपाय से लोग कैसे जुड़ें. इस समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिए 7 राज्यों के कम्युनिकेबल डिजीज प्रोग्राम के प्रमुख व इनके नीति निर्धारक शहर में आयोजित समिट में जुटे हैं.

देश में हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या अधिक है. अभी भी बड़ी संख्या में लोगों को पता नहीं है कि वे इससे पीड़ित हैं. जो पीड़ित हैं उनमें आधे से ज्यादा दवाइयां नहीं लेते है. ऐसे में यह कमी है कि क्यूं सारे लोग उपचार नहीं जुड़ते और जो लोग जुड़ते हैं वे पूरी दवाइयां क्यों नहीं लेते? यह पता लगाने के लिए हम काम करेंगे. क्यों ऐसी बीमारियों से जुड़े कार्यक्रम सफल नहीं हो पाए. कमियां सरकार को बताएंगे जिससे सरकार प्रभावी तरीके से कार्यक्रम बना सके. ऐसे कारणों को ढूंढ़ने के लिए देश के सात राज्यों के नॉन कम्युनिकेबल डिजीज प्रोग्राम के प्रमुख व इनके नीति निर्धारक दो दिन के लिए जोधपुर में जुटे हैं. जोधपुर स्थित आईसीएमआर के एनआईआईआरएनसीडी केंद्र में आयेाजित समिट के पहले दिन इस बात पर चर्चा हुई कि इस तरह की कमियों से कैसे निजात पाया जाए.

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अभी भी रिसर्च की जरूरत: एनआईआईआरएनसीडी के निदेशक डॉ अरुण शर्मा ने बताया कि समिट में राजस्थान के प्रतिनिधि ने बताया कि हमारे पास इस बात का डेटा नहीं है कि प्रदेश में कितने लोग उच्च रक्तदाब से पीड़ित हैं. विशेषज्ञों ने यह इस बात को लेकर भी चिंता जताई कि अभी देश में एकरूपता से इन रोगों को लेकर रिसर्च नहीं हुआ है. यानी कि डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर, कैंसर, स्ट्रॉक पर 5 से 7 राज्यों में ही रिसर्च हुई है. जबकि जरूरत पूरे देश में होने की (Research needed for various diseases in India) है. जिससे ही समग्र नीति बनाकर नियंत्रण के प्रयास हो सकें.

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रिसर्च बैंच से बेड तक पहुंचाने के प्रयास: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक डॉ समिरन पांडा ने बताया कि बीमारी के लिए होने वाली रिसर्च जनस्वास्थ्य से जुड़े कार्यक्रमों के लिए कितनी प्रभावशाली है, उसका कितना असर हो रहा है या नहीं हो रहा है, इसको लेकर हम यहां मंथन कर रहे हैं. बैंच से बैड तक रिसर्च को पहुंचाना बीमारी का समाधान निकालने को इंप्लिमेंटेशन आफ रिसर्च कहा जाता है. यह संक्रामक और असंक्रामक दोनों तरह के रोगों में लागू होता है. ऐसे में यह प्रयास होगा कि बीमारियों की रिसर्च के बेहतर परिणाम जनस्वास्थ्य के लिए आएं. समिट में राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, केरला, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तराखंड के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.

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