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चैत्र नवरात्रों के अंतिम दिन सच्चे मन से करें सिद्धिदात्री की आराधना - सच्चे मन से करें सिद्धिदात्री की आराधना

चैत्र नवरात्रि का बुधवार को अंतिम दिन है. इस दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है. बता दें कि मां दुर्गा का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला है.

मां सिद्धिदात्री की आराधना, Worship of Mother Siddhidatri
सच्चे मन से करें सिद्धिदात्री की आराधना
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Published : Apr 21, 2021, 6:33 AM IST

जयपुर. चैत्र नवरात्र का आज अंतिम दिन है और आज के दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है. मां दुर्गा का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला है. आज के दिन देवी स्वरूप 9 कन्याओं को भोजन करवा कर उन्हें वस्त्र भेंट कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए.

सिंह पर सवार मां सिद्धिदात्री का सौम्य स्वरूप बहुत आकर्षक है. चार भुजाओं में मां के एक हाथ में चक्र, एक हाथ मे गदा, हाथ में शंख और एक हाथ मे कमल का फूल धारण किए हुए है.

मां की आराधना करने से सभी प्रकार का ज्ञान आसानी से मिल जाता है. मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से पहले स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. फिर मंदिर की चौकी पर लाल कपड़ा बिछा मां की प्रतिमा स्थापित करें. फिर दीपक रोशन कर हाथो में पुष्प लेकर माँ सिद्धिदात्री की आराधना करें.

पढ़ें- राजेंद्र राठौड़ का पलटवार, कहा- चिकित्सा मंत्री ऑक्सीजन मामले में रायता फैलाने का काम कर रहे हैं

मान्यता है कि सिद्धिदात्री को लाल और पीला रंग पसंद है, इसलिए उनका मनपसंद भोग नारियल, खीर और पंचामृत का भोग लगाएं. वहीं लाल चुनरी ओढ़ाकर श्रृंगार पिटारी अर्पित करें. नवमी के दिन चंडी हवन करने काफी शुभ माना गया है. वहीं यह भी मान्यता है कि, भगवान शिव ने सिद्धिदात्री की कृपा से ही अनेकों सिद्धियां प्राप्त की थी. मां की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था. इसी कारण शिव अर्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए. इसीलिए कहा जाता है कि अगर भक्त सच्चे मन से माँ सिद्धिदात्री की पूजा करें तो यह सभी सिद्धियां उन्हें भी मिल सकती हैं.

जयपुर. चैत्र नवरात्र का आज अंतिम दिन है और आज के दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है. मां दुर्गा का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला है. आज के दिन देवी स्वरूप 9 कन्याओं को भोजन करवा कर उन्हें वस्त्र भेंट कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए.

सिंह पर सवार मां सिद्धिदात्री का सौम्य स्वरूप बहुत आकर्षक है. चार भुजाओं में मां के एक हाथ में चक्र, एक हाथ मे गदा, हाथ में शंख और एक हाथ मे कमल का फूल धारण किए हुए है.

मां की आराधना करने से सभी प्रकार का ज्ञान आसानी से मिल जाता है. मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से पहले स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. फिर मंदिर की चौकी पर लाल कपड़ा बिछा मां की प्रतिमा स्थापित करें. फिर दीपक रोशन कर हाथो में पुष्प लेकर माँ सिद्धिदात्री की आराधना करें.

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मान्यता है कि सिद्धिदात्री को लाल और पीला रंग पसंद है, इसलिए उनका मनपसंद भोग नारियल, खीर और पंचामृत का भोग लगाएं. वहीं लाल चुनरी ओढ़ाकर श्रृंगार पिटारी अर्पित करें. नवमी के दिन चंडी हवन करने काफी शुभ माना गया है. वहीं यह भी मान्यता है कि, भगवान शिव ने सिद्धिदात्री की कृपा से ही अनेकों सिद्धियां प्राप्त की थी. मां की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था. इसी कारण शिव अर्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए. इसीलिए कहा जाता है कि अगर भक्त सच्चे मन से माँ सिद्धिदात्री की पूजा करें तो यह सभी सिद्धियां उन्हें भी मिल सकती हैं.

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