जयपुर. चैत्र नवरात्रि पर्व का सोमवार को छठा दिन है. ऐसे में इस दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. पुराणों के अनुसार कात्यायनी देवी की गृहस्थ और विवाह के इच्छुक युवकों के साथ-साथ शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयासरत भक्तों के लिए भी बहुत ही लाभदायक है क्योंकि मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी है.
बता दें कि ऋषि कात्यान के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें कात्यायनी के नाम से जाना जाता है. नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की उपासना और पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है. दुश्मनों का संहार करने के लिए मां शक्ति प्रदान करती हैं. इनका ध्यान गोधूलि बेला मतलब की शाम के समय में करना चाहिए. इसलिए रविवार की शाम श्रद्धालु इनकी आराधना शुभ मुहूर्त में करेंगे. मन की शक्ति की देवी माता कात्यायनी की उपासना से मनुष्य सभी इंद्रियों को वश में कर सकता है. दुर्गा मां के रूप में प्रकट होने की इनकी बड़ी अद्भुत कथा है.
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यह देवी का वो स्वरूप है, जिन्होंने महिषासुर का वध किया था. इसलिए यह दानवों, असुरों और पापी जीवधारियों का नाश करने वाली देवी कहलाती है. मां कात्यायनी की पूजा में शहद का बहुत महत्व होता है. जिसका इस्तेमाल प्रसाद में किया जाना चाहिए. जिससे इसके प्रभाव से आप को सुंदर रूप में मिल सके. आज के दिन सबसे पहले मां कात्यायनी की तस्वीर के आगे लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखे. उसके बाद मां की पूजा उसी तरह करें, जैसे कि नवरात्रि के बाकी दिनों में होती हैं.
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इसके साथ ही हाथों में लाल फूल लेकर मां की 108 बार मंत्र का जाप कर करें. अपने वाहन सिंह पर सवार मां कात्यायनी देवी का शरीर सोने की भांति चमकीला है. चार भुजा वाली मां कात्यानी के एक हाथ में तलवार, दूसरे हाथ में कमल का फूल सुशोभित हैं. साथ ही दूसरे दोनों हाथों में वरमुद्रा और अभयमुद्रा है.