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World Zoonosis Day : जानवरों से मनुष्य में फैलने वाली खतरनाक बीमारियां, हर साल लाखों लोग होते हैं इनका शिकार - Reasons of spreading Zoonotic Diseases

वर्ल्ड जूनोसिस डे हर साल 6 जुलाई को मनाया जाता है. जूनोसिस ऐसे संक्रमण को कहा जाता है, जो जानवरों से इंसानों में फैलता है. इनफ्लुएंजा, प्लेग, ब्रूसेलोसिस, लैप्टोस्पायरोसिस, निपाह, टेक्सोप्लाज्मोसिस, क्रीमियन कांगो जैसी जानलेवा बीमारियां जूनोसिस से जुड़े उदाहरण (Zoonotic Diseases) हैं. इस संबंध में चिकित्सकों का कहना है कि हर साल लाखों लोग ऐसी बीमारियों का शिकार बन जाते हैं. कुछ मामलों में संक्रमितों की मौत तक हो जाती है.

World Zoonosis Day, know the reasons of spreading zoonotic diseases
जानवरों से मनुष्य में फैलने वाली खतरनाक बीमारियां, हर साल लाखों लोग होते हैं इनका शिकार
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Published : Jul 6, 2022, 6:08 AM IST

जयपुर. 6 जुलाई वर्ल्ड जूनोसिस डे के रूप में (World Zoonosis Day 2022) मनाया जाता है. जूनोसिस ऐसी बीमारियां हैं जो जानवरों से इंसानों में फैलती हैं. विश्व में हर साल इन बीमारियों के कारण लाखों लोगों की मौत होती है. चिकित्सकों का कहना है कि ऐसे कई जरिए हैं जिनके माध्यम से जानवरों से बीमारियां इंसानों में फैल सकती हैं. जिनमें से कुछ बीमारियां तो ऐसी हैं, जो इंसान की जान तक ले सकती हैं.

विश्व जूनोसिस दिवस के मौके पर लोगों को संक्रामक बीमारियों के बारे में जागरूक किया जाता है. इनमें ऐसी बीमारियां शामिल हैं, जो जानवरों या पक्षियों से मनुष्य में पहुंचती हैं. जिनमें इनफ्लुएंजा, प्लेग, ब्रूसेलोसिस, लैप्टोस्पायरोसिस, निपाह, टेक्सोप्लाज्मोसिस, क्रीमियन कांगो जैसी जानलेवा बीमारियां शामिल हैं. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. मनोज शर्मा का कहना है कि जूनोसिस ऐसी बीमारियों को कहा जाता है जो जानवरों या पक्षियों से मनुष्य में पहुंचती हैं. अब तक 200 प्रकार की बीमारियों की खोज की जा चुकी (200 types of Zoonotic Diseases) है. मनुष्य में यह बीमारी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कांटेक्ट से आ सकती हैं.

जूनोसिस बीमारियों के बारे में क्या कहना है एसएमएस के चिकित्सक का...

पढ़ें: Treatment Of Rare Diseases: प्रदेश में दुर्लभ बीमारियों का इलाज होगा, सरकार बनाने जा रही क्राउडफंडिंग पोर्टल

डॉक्टर शर्मा का कहना है कि किसी भी जानवर के डायरेक्ट कांटेक्ट में आने के बाद कई बार मनुष्य जूनोसिस बीमारियों की चपेट में आ जाता है. डायरेक्ट कांटेक्ट में जानवरों का ब्लड, यूरीन, लार और मल के माध्यम से या फिर कई बार जानवरों से खरोच लगने पर मनुष्य में बीमारी पहुंच जाती हैं. जबकि इनडायरेक्ट कांटेक्ट में वाटर एक्वेरियम, नॉनवेज खाने से और कई बार पेड़-पौधे और मिट्टी के माध्यम से भी वायरस मानव शरीर में प्रवेश कर जाते (Reasons of spreading Zoonotic Diseases) हैं.

पढ़ें: SPECIAL: 100 साल पहले भी भरतपुर में आई थी एक महामारी, लोग डर से घरों में हो गए थे कैद

इसके अलावा मच्छरों के काटने से डेंगू, मलेरिया, स्क्रब, टायफस जैसी बीमारियों की चपेट में भी मनुष्य आ जाते हैं. वहीं कच्चा दूध, कच्चा अंडा और कच्चे मांस के सेवन से भी लोग संक्रमित बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. जिसमें लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी प्रमुख है. जबकि वाटरबोर्न बीमारियों की बात करें तो इसमें टाइफाइड और आंतरिक ज्वर शामिल है. चिकित्सकों का कहना है कि इनमें से कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जो काफी घातक हैं और समय पर इनका इलाज नहीं किया जाए तो मरीज की मौत तक हो जाती है. एक समय ऐसा भी था जब देश में प्लेग महामारी बन कर सामने आया था और काफी बड़ी संख्या में लोगों की मौत इस बीमारी के कारण हुई थी. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में वायरसजनित रोगों से निपटने से जुड़े कदम तेज हुए हैं और वैक्सीनेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है.

पढ़ें: SPECIAL: कोरोना से पहले तबाही मचा चुकी हैं ये महामारियां, देखें रिपोर्ट

इसी दिन बनी थी पहली जूनोसिस वैक्सीन: फ्रांसीसी माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉक्टर लुइ पाश्चर ने 6 जुलाई, 1885 को जानवरों से इंसानों में फैलने वाली वायरस जनित बीमारियों का पहला टीका विकसित किया (First vaccine of Zoonotic diseases) था. फादर ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के नाम से मशहूर डॉक्टर लुइ पाश्चर ने रेबीज का टीका विकसित किया था. जिसके बाद लगातार जूनोसिस बीमारियों से जुड़े कारणों का पता लगाया जा रहा है और इनकी वैक्सीन बनाई जा रही है. पिछले 2 सालों में कोरोना जैसी महामारी का दंश भी पूरे विश्व ने झेला है. इसे भी जूनोसिस बीमारी ही माना जा रहा है. हालांकि अभी तक इसके कारणों का पूर्णरूप से पता नहीं लग पाया है.

World Zoonosis Day, know the reasons of spreading zoonotic diseases
जूनोसिस ऐसे संक्रमण को कहा जाता है, जो जानवरों से इंसानों में फैलता है

पढ़ें: विशेष लेख : इतिहास की पांच घातक महामारियां, जिनका अस्तित्व अब मिट चुका है

बचाव जरूरी: चिकित्सकों का कहना है कि बैक्टीरिया, वायरस या प्रोटोजोआ से फैलने वाली बीमारियों को लेकर विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत होती है. आमतौर पर घरों में पालतू जानवर पाले जाते हैं, तो ऐसे में हमेशा सतर्कता बनाए रखना जरूरी है. इसके अलावा साफ पानी और पूर्णरूप से पके हुए भोजन का सेवन ही इन बीमारियों को दूर रख सकता है.

जयपुर. 6 जुलाई वर्ल्ड जूनोसिस डे के रूप में (World Zoonosis Day 2022) मनाया जाता है. जूनोसिस ऐसी बीमारियां हैं जो जानवरों से इंसानों में फैलती हैं. विश्व में हर साल इन बीमारियों के कारण लाखों लोगों की मौत होती है. चिकित्सकों का कहना है कि ऐसे कई जरिए हैं जिनके माध्यम से जानवरों से बीमारियां इंसानों में फैल सकती हैं. जिनमें से कुछ बीमारियां तो ऐसी हैं, जो इंसान की जान तक ले सकती हैं.

विश्व जूनोसिस दिवस के मौके पर लोगों को संक्रामक बीमारियों के बारे में जागरूक किया जाता है. इनमें ऐसी बीमारियां शामिल हैं, जो जानवरों या पक्षियों से मनुष्य में पहुंचती हैं. जिनमें इनफ्लुएंजा, प्लेग, ब्रूसेलोसिस, लैप्टोस्पायरोसिस, निपाह, टेक्सोप्लाज्मोसिस, क्रीमियन कांगो जैसी जानलेवा बीमारियां शामिल हैं. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. मनोज शर्मा का कहना है कि जूनोसिस ऐसी बीमारियों को कहा जाता है जो जानवरों या पक्षियों से मनुष्य में पहुंचती हैं. अब तक 200 प्रकार की बीमारियों की खोज की जा चुकी (200 types of Zoonotic Diseases) है. मनुष्य में यह बीमारी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कांटेक्ट से आ सकती हैं.

जूनोसिस बीमारियों के बारे में क्या कहना है एसएमएस के चिकित्सक का...

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डॉक्टर शर्मा का कहना है कि किसी भी जानवर के डायरेक्ट कांटेक्ट में आने के बाद कई बार मनुष्य जूनोसिस बीमारियों की चपेट में आ जाता है. डायरेक्ट कांटेक्ट में जानवरों का ब्लड, यूरीन, लार और मल के माध्यम से या फिर कई बार जानवरों से खरोच लगने पर मनुष्य में बीमारी पहुंच जाती हैं. जबकि इनडायरेक्ट कांटेक्ट में वाटर एक्वेरियम, नॉनवेज खाने से और कई बार पेड़-पौधे और मिट्टी के माध्यम से भी वायरस मानव शरीर में प्रवेश कर जाते (Reasons of spreading Zoonotic Diseases) हैं.

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इसके अलावा मच्छरों के काटने से डेंगू, मलेरिया, स्क्रब, टायफस जैसी बीमारियों की चपेट में भी मनुष्य आ जाते हैं. वहीं कच्चा दूध, कच्चा अंडा और कच्चे मांस के सेवन से भी लोग संक्रमित बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. जिसमें लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी प्रमुख है. जबकि वाटरबोर्न बीमारियों की बात करें तो इसमें टाइफाइड और आंतरिक ज्वर शामिल है. चिकित्सकों का कहना है कि इनमें से कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जो काफी घातक हैं और समय पर इनका इलाज नहीं किया जाए तो मरीज की मौत तक हो जाती है. एक समय ऐसा भी था जब देश में प्लेग महामारी बन कर सामने आया था और काफी बड़ी संख्या में लोगों की मौत इस बीमारी के कारण हुई थी. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में वायरसजनित रोगों से निपटने से जुड़े कदम तेज हुए हैं और वैक्सीनेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है.

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इसी दिन बनी थी पहली जूनोसिस वैक्सीन: फ्रांसीसी माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉक्टर लुइ पाश्चर ने 6 जुलाई, 1885 को जानवरों से इंसानों में फैलने वाली वायरस जनित बीमारियों का पहला टीका विकसित किया (First vaccine of Zoonotic diseases) था. फादर ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के नाम से मशहूर डॉक्टर लुइ पाश्चर ने रेबीज का टीका विकसित किया था. जिसके बाद लगातार जूनोसिस बीमारियों से जुड़े कारणों का पता लगाया जा रहा है और इनकी वैक्सीन बनाई जा रही है. पिछले 2 सालों में कोरोना जैसी महामारी का दंश भी पूरे विश्व ने झेला है. इसे भी जूनोसिस बीमारी ही माना जा रहा है. हालांकि अभी तक इसके कारणों का पूर्णरूप से पता नहीं लग पाया है.

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जूनोसिस ऐसे संक्रमण को कहा जाता है, जो जानवरों से इंसानों में फैलता है

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बचाव जरूरी: चिकित्सकों का कहना है कि बैक्टीरिया, वायरस या प्रोटोजोआ से फैलने वाली बीमारियों को लेकर विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत होती है. आमतौर पर घरों में पालतू जानवर पाले जाते हैं, तो ऐसे में हमेशा सतर्कता बनाए रखना जरूरी है. इसके अलावा साफ पानी और पूर्णरूप से पके हुए भोजन का सेवन ही इन बीमारियों को दूर रख सकता है.

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