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तंबाकू निषेध दिवस 2020ः धूम्रपान से हर रोज कम होती जिंदगी...भारत में हर साल 13 लाख लोगों की होती है मौत

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Published : May 30, 2020, 8:33 PM IST

Updated : May 31, 2020, 6:54 AM IST

कोरोना संक्रमण से बचने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से विश्वभर में लोगों को अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने की सलाह दी जा रही है. वहीं, दूसरी ओर देश में करोड़ों लोग हैं, जो हर दिन किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि तंबाकू का उपयोग करने वाले लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा सामान्य व्यक्तियों के मुकाबले करीब 50 फीसदी अधिक होता है. तम्बाकू के उपयोग से व्यक्ति का श्वसन तंत्र और फेफड़े कमजोर पड़ जाते हैं और कोरोना वायरस का पहला अटैक मानव शरीर में इन्हीं अंगों पर होता है.

jaipur news, जयपुर समाचार
विश्व तंबाकू दिवस

जयपुर. राजधानी में स्थित भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एवं अनुसंधान केन्द्र के चिकित्सकों ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने बताया कि तंबाकू का उपयोग फेफड़े, मुंह व गले, आहार नलिका, यकृत, पेट, पैनक्रियाज, ऑतों और गर्भाशय और ग्रीवा सहित कई प्रकार के कैंसर का कारण बनता है. तम्बाकू उत्पादों में कई रसायन होते हैं, जो डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे कैंसर होता है. करीब 40 फीसदी कैंसर और करीब 30 फीसदी दिल के दौरे तंबाकू की वजह से होते हैं. जो लोग धुएं रहित तंबाकू (चबाने वाले तंबाकू, गुटका) का उपयोग करते हैं. उनमें मुंह के कैंसर (जीभ, गाल, जबड़े की हड्डी) का खतरा सबसे अधिक होता है.

कैंसर हॉस्पिटल के चिकित्सकों से खास बातचीत

इसके लक्षणों में मुंह का कम खुलना, बार-बार छालें होना, आवाज में बदलाव, लगातार खांसी और वजन का कम होना शामिल है. अधिकांश लोग 11-16 साल की आयु के बीच तम्बाकू की आदतें शुरू करते हैं. पेसिव स्मोकिंग से भी हमारे शरीर में कैंसर रोग की संभावना बढ़ जाती है. यदि परिवार में एक व्यक्ति धूम्रपान करता है तो उसका धुआं अन्य परिवारजनों को भी नुकसान पहुंचाता है.

देश भर में हर रोज 3500 लोग अकाल मौत के शिकार

वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ नरेश लेडवानी ने बताया कि कैंसर का प्रमुख कारण माने जाने वाले तंबाकू से हर रोज देश में 3,500 लोगों की मृत्यु हो रही है. वहीं विश्वभर में हर साल तंबाकू की वजह से 80 लाख लोगों की जान जाती है. वहीं भारत में हर वर्ष 13 लाख और राजस्थान में 77 हजार लोग तंबाकू के कारण अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार तंबाकू उपयोग करने वाला हर दूसरा व्यक्ति अकाल मौत का शिकार होता है. यह मौत तंबाकू में मौजूद होने वाले 4 हजार से ज्यादा कैमिकल्स के शरीर के विभिन्न अंगों पर डालने वाले नकारात्मक प्रभावों की वजह से होती है.

ये हैं आकंड़े...

  • 80 लाख लोग विश्व में प्रतिवर्ष तंबाकू की वजह से अकाल मौत का हो रहे हैं शिकार
  • 13 लाख लोग देशभर में प्रतिवर्ष तंबाकू की वजह से अकाल मौत का हो रहे हैं शिकार
  • 77 हजार मौत राजस्थान में प्रतिवर्ष तंबाकू के उपयोग से अकाल मौत का हो रहे हैं शिकार
  • 3,500 लोग तंबाकू से होने वाले कैंसर की वजह से प्रतिदिन अकाल मौत का हो रहे शिकार
  • 4,000 हजार से ज्यादा कैमिकल्स मौजूद होते हैं तंबाकू और उससे बने उत्पादों में

पढ़ें- इन ट्रेनों का 1 जून से होगा जयपुर रेलवे स्टेशन पर ठहराव...देखें पूरी लिस्ट

विश्व में सभी मादक द्रव्यों के सेवन में तंबाकू सेवन सबसे अधिक प्रचलित एवं घातक है. अगर आंकड़ों को देखें तो भारत में करीब 34.6 प्रतिशत वयस्क वर्तमान में धूम्रपान का सेवन करते हैं. करीब 25 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गुटखा एवं जर्दा की लत के शिकार हैं. विश्व में भारत में सबसे अधिक धुआं रहित तंबाकू का सेवन किया जाता है. गुटका प्रतिबंध हटते ही पिछले कुछ दिनों में गुटका बिक्री करने वालों के पास सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करती भीड़ हमारे समाज में इसके दुष्प्रभाव का संकेत है.

एक अनुमान के मुताबिक...

  • WHO (2018) के अनुसार, भारत में हर साल 1 मिलियन से अधिक लोग तम्बाकू से मरते हैं (सभी मृत्यु का 9.5 प्रतिशत). अधिकांश मौतें हृदय संबंधी विकारों (लगभग 48 प्रतिशत) से होती हैं.
  • 90 प्रतिशत से अधिक धूम्रपान करने वालों ने किशोरों के रूप में शुरू किया. कारण सहकर्मी दबाव, जिज्ञासु किशोर प्रकृति, बस दिखावा करने के लिए, कम आत्मसम्मान, धूम्रपान का पारिवारिक इतिहास, अन्य मादक द्रव्यों के सेवन, पारिवारिक या सामाजिक वातावरण है.
  • सिगरेट में 7,357 रासायन होते हैं, जिसमें से 70 ज्ञात कार्सिनोजेन्स हैं. एक सिगरेट में 6 से 11 मिलीग्राम निकोटीन होता है और प्रतिदिन एक पैक पीने से 20 से 40 मिलीग्राम निकोटीन अवशोषण प्रतिदिन होता है.
  • हुक्का/शीश बार युवाओं में लोकप्रिय है तथा उनके अनुसार आधुनिकता का प्रतीक है. इसमें सिगरेट के समान ही स्वास्थ्य संबंधी खतरा भी होता है.
  • विघटित तम्बाकू (dissolvable tobaco) धूम्रपान रहित उत्पाद हैं, जो मुंह में पिघल जाते हैं और कैंडी, लोजेंग या छड़ियों के रूप में बेचते हैं. विशेष रूप से किशोरों या स्कूली छात्रों को आकर्षित करने के लिए, इसमें नशे की लत होती है और शरीर पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
  • तम्बाकू- धूम्रपान के कारण हाइपरप्लासिया, मेटाप्लासिया, छोटी एल्वियोली का बलगम प्लगिंग, सिलिया का नुकसान कोरोनो वायरस संक्रमण और जटिलताओं के लिए जोखिम होता है.
  • तंबाकू का सेवन (बीड़ी, गुटखा, जर्दा, सिगरेट, हुक्का) किसी भी रूप में हो, शरीर के विभिन्न अंगों में कैंसर को जन्म देता है मुख्यतः मुख, फेफड़े, अग्नाशय, गर्भाशय, प्रोस्टेट.
  • तम्बाकू के सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और हृदय संबंधी उच्च रक्तचाप, मोटापा, श्वसन संबंधी बीमारियां हो जाती हैं, जो कोरोनो वायरस संक्रमण के लिए उच्च जोखिम का कारण बनती हैं.
  • धूम्रपान करने वालों में चिंता, अवसाद, मनोदशा संबंधी विकार, मादक द्रव्यों के सेवन आदि मानसिक समस्याएं दो से तीन गुना अधिक होती हैं.
  • हाल के विश्लेषण से पता चलता है कि तंबाकू के सेवन से न केवल नकारात्मक शारीरिक परिणाम होते हैं, बल्कि आत्मघाती विचार भी अधिक आते हैं.

जयपुर. राजधानी में स्थित भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एवं अनुसंधान केन्द्र के चिकित्सकों ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने बताया कि तंबाकू का उपयोग फेफड़े, मुंह व गले, आहार नलिका, यकृत, पेट, पैनक्रियाज, ऑतों और गर्भाशय और ग्रीवा सहित कई प्रकार के कैंसर का कारण बनता है. तम्बाकू उत्पादों में कई रसायन होते हैं, जो डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे कैंसर होता है. करीब 40 फीसदी कैंसर और करीब 30 फीसदी दिल के दौरे तंबाकू की वजह से होते हैं. जो लोग धुएं रहित तंबाकू (चबाने वाले तंबाकू, गुटका) का उपयोग करते हैं. उनमें मुंह के कैंसर (जीभ, गाल, जबड़े की हड्डी) का खतरा सबसे अधिक होता है.

कैंसर हॉस्पिटल के चिकित्सकों से खास बातचीत

इसके लक्षणों में मुंह का कम खुलना, बार-बार छालें होना, आवाज में बदलाव, लगातार खांसी और वजन का कम होना शामिल है. अधिकांश लोग 11-16 साल की आयु के बीच तम्बाकू की आदतें शुरू करते हैं. पेसिव स्मोकिंग से भी हमारे शरीर में कैंसर रोग की संभावना बढ़ जाती है. यदि परिवार में एक व्यक्ति धूम्रपान करता है तो उसका धुआं अन्य परिवारजनों को भी नुकसान पहुंचाता है.

देश भर में हर रोज 3500 लोग अकाल मौत के शिकार

वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ नरेश लेडवानी ने बताया कि कैंसर का प्रमुख कारण माने जाने वाले तंबाकू से हर रोज देश में 3,500 लोगों की मृत्यु हो रही है. वहीं विश्वभर में हर साल तंबाकू की वजह से 80 लाख लोगों की जान जाती है. वहीं भारत में हर वर्ष 13 लाख और राजस्थान में 77 हजार लोग तंबाकू के कारण अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार तंबाकू उपयोग करने वाला हर दूसरा व्यक्ति अकाल मौत का शिकार होता है. यह मौत तंबाकू में मौजूद होने वाले 4 हजार से ज्यादा कैमिकल्स के शरीर के विभिन्न अंगों पर डालने वाले नकारात्मक प्रभावों की वजह से होती है.

ये हैं आकंड़े...

  • 80 लाख लोग विश्व में प्रतिवर्ष तंबाकू की वजह से अकाल मौत का हो रहे हैं शिकार
  • 13 लाख लोग देशभर में प्रतिवर्ष तंबाकू की वजह से अकाल मौत का हो रहे हैं शिकार
  • 77 हजार मौत राजस्थान में प्रतिवर्ष तंबाकू के उपयोग से अकाल मौत का हो रहे हैं शिकार
  • 3,500 लोग तंबाकू से होने वाले कैंसर की वजह से प्रतिदिन अकाल मौत का हो रहे शिकार
  • 4,000 हजार से ज्यादा कैमिकल्स मौजूद होते हैं तंबाकू और उससे बने उत्पादों में

पढ़ें- इन ट्रेनों का 1 जून से होगा जयपुर रेलवे स्टेशन पर ठहराव...देखें पूरी लिस्ट

विश्व में सभी मादक द्रव्यों के सेवन में तंबाकू सेवन सबसे अधिक प्रचलित एवं घातक है. अगर आंकड़ों को देखें तो भारत में करीब 34.6 प्रतिशत वयस्क वर्तमान में धूम्रपान का सेवन करते हैं. करीब 25 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गुटखा एवं जर्दा की लत के शिकार हैं. विश्व में भारत में सबसे अधिक धुआं रहित तंबाकू का सेवन किया जाता है. गुटका प्रतिबंध हटते ही पिछले कुछ दिनों में गुटका बिक्री करने वालों के पास सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करती भीड़ हमारे समाज में इसके दुष्प्रभाव का संकेत है.

एक अनुमान के मुताबिक...

  • WHO (2018) के अनुसार, भारत में हर साल 1 मिलियन से अधिक लोग तम्बाकू से मरते हैं (सभी मृत्यु का 9.5 प्रतिशत). अधिकांश मौतें हृदय संबंधी विकारों (लगभग 48 प्रतिशत) से होती हैं.
  • 90 प्रतिशत से अधिक धूम्रपान करने वालों ने किशोरों के रूप में शुरू किया. कारण सहकर्मी दबाव, जिज्ञासु किशोर प्रकृति, बस दिखावा करने के लिए, कम आत्मसम्मान, धूम्रपान का पारिवारिक इतिहास, अन्य मादक द्रव्यों के सेवन, पारिवारिक या सामाजिक वातावरण है.
  • सिगरेट में 7,357 रासायन होते हैं, जिसमें से 70 ज्ञात कार्सिनोजेन्स हैं. एक सिगरेट में 6 से 11 मिलीग्राम निकोटीन होता है और प्रतिदिन एक पैक पीने से 20 से 40 मिलीग्राम निकोटीन अवशोषण प्रतिदिन होता है.
  • हुक्का/शीश बार युवाओं में लोकप्रिय है तथा उनके अनुसार आधुनिकता का प्रतीक है. इसमें सिगरेट के समान ही स्वास्थ्य संबंधी खतरा भी होता है.
  • विघटित तम्बाकू (dissolvable tobaco) धूम्रपान रहित उत्पाद हैं, जो मुंह में पिघल जाते हैं और कैंडी, लोजेंग या छड़ियों के रूप में बेचते हैं. विशेष रूप से किशोरों या स्कूली छात्रों को आकर्षित करने के लिए, इसमें नशे की लत होती है और शरीर पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
  • तम्बाकू- धूम्रपान के कारण हाइपरप्लासिया, मेटाप्लासिया, छोटी एल्वियोली का बलगम प्लगिंग, सिलिया का नुकसान कोरोनो वायरस संक्रमण और जटिलताओं के लिए जोखिम होता है.
  • तंबाकू का सेवन (बीड़ी, गुटखा, जर्दा, सिगरेट, हुक्का) किसी भी रूप में हो, शरीर के विभिन्न अंगों में कैंसर को जन्म देता है मुख्यतः मुख, फेफड़े, अग्नाशय, गर्भाशय, प्रोस्टेट.
  • तम्बाकू के सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और हृदय संबंधी उच्च रक्तचाप, मोटापा, श्वसन संबंधी बीमारियां हो जाती हैं, जो कोरोनो वायरस संक्रमण के लिए उच्च जोखिम का कारण बनती हैं.
  • धूम्रपान करने वालों में चिंता, अवसाद, मनोदशा संबंधी विकार, मादक द्रव्यों के सेवन आदि मानसिक समस्याएं दो से तीन गुना अधिक होती हैं.
  • हाल के विश्लेषण से पता चलता है कि तंबाकू के सेवन से न केवल नकारात्मक शारीरिक परिणाम होते हैं, बल्कि आत्मघाती विचार भी अधिक आते हैं.
Last Updated : May 31, 2020, 6:54 AM IST
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