जयपुर. राजस्थान के 6 जिलों में 6 जिला प्रमुख और 78 प्रधान कौन होंगे यह साफ हो गया है. इन चुनावों में भले ही भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Comgress) एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करें, लेकिन हकीकत यह है कि इन चुनावों में आधी आबादी को पूरा हक मिला है. जहां 6 जिला प्रमुख में जयपुर और जोधपुर जिला प्रमुख का पद जनरल महिला के लिए रिजर्व था, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने सवाई माधोपुर में भी जिला प्रमुख सुदामा देवी को बनाया है.
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इस तरीके से 6 में से 3 जिला प्रमुख पद महिलाओं के खाते में गए हैं, जिनमें जोधपुर से कांग्रेस की लीला मदेरणा, जयपुर से भाजपा की रमा चोपड़ा ओर सवाई माधोपुर से कांग्रेस (Rajasthan Congress) की सुदामा देवी जिला प्रमुख बनी हैं. वहीं, प्रधान की बात करें तो इस बार 78 में से 46 प्रधान महिलाएं बनी हैं, जो करीब 60 फीसदी है. ऐसे में 6 जिलों के चुनाव आधी आबादी के लिए उनका पूरा हक लेकर आई है.
एक भी जिला प्रमुख या प्रधान नहीं है अनपढ़
राजस्थान (Rajasthan) में जिला प्रमुख और प्रधान के चुनाव में एक बात और साफ हो गई कि भले ही अब इन चुनावों में साक्षर होना जरूरी नहीं है, लेकिन अब चाहे पार्टियां हो या जनता अपने लिए प्रधान और जिला प्रमुख जैसे पद पढ़े लिखों को ही देती है. इसका उदाहरण इन आए परिणामों में भी दिखाई दे रहा है. जहां 6 जिला प्रमुख और 78 प्रधान में से एक भी अनपढ़ नहीं है. इसका मतलब साफ है कि इस बार इन 6 जिलों में तो कम से कम यह शिकायत नहीं आएगी की किसी प्रधान ने जिला प्रमुख को हस्ताक्षर भी करने नहीं आते हैं.
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युवाओं के हाथ में 6 जिले...विराटनगर की पूजा चौधरी 21 साल की प्रधान
राजस्थान में आए जिला प्रमुख और प्रधान के नतीजे एक बात और बता रहे हैं कि अब आने वाला समय युवाओं का है. यही कारण है कि 78 में से 14 प्रधान ऐसे हैं, जो 21 से 25 साल के हैं. जहां अब तक कई प्रधान और जिला प्रमुख 80 साल के होते थे, वहां इस बार सर्वाधिक उम्र के प्रधान 70 साल के रामफूल गुर्जर हैं तो 61 साल की लीला मदेरणा सबसे उम्रदराज जिला प्रमुख हैं. विराट नगर से भाजपा की प्रधान पूजा चौधरी सबसे कम उम्र की प्रधान बनी हैं जो केवल 21 साल की हैं.
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परिवारवाद को पार्टियों ने बैठाया सर माथे पर
राजस्थान में भले ही प्रधान और जिला प्रमुख बनाने में इस बार महिलाओं, युवाओं और पढ़े-लिखे लोगों को वरीयता दी गई है. लेकिन एक वरीयता ऐसी भी है जो कल भी प्रथम वरीयता पर थी, आज भी प्रथम वरीयता पर है और संभवत: आगे भी प्रथम वरीयता में रहेगी. हम बात कर रहे हैं परिवारवाद की जो इस बार भी जिला प्रमुख चुनाव में हावी रहा है.
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केवल खंडार विधायक अशोक बैरवा के बेटे संजय बैरवा एकमात्र ऐसे बदकिस्मत नेता रहे जो विधायक पिता के होते हुए भी चुनाव हार गए. इसके अलावा कांग्रेस पार्टी के सभी 6 विधायक परिजन चुनाव जीत गए हैं. ऐसे विधायकों के परिजनों की बात की जाए तो मंत्री भजन लाल जाटव की बहू साक्षी जाटव वैर पंचायत समिति की प्रधान बनी हैं.
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कामां विधायक जाहिदा की बेटी डॉक्टर शाहनवाज कामां पंचायत समिति की प्रधान बनी हैं, तो कामां विधायक जाहिदा खान के ही बेटे साजिद खान पहाड़ी पंचायत समिति के प्रधान बने हैं. इसी तरीके से उच्चैन पंचायत समिति के प्रधान नदबई से विधायक जोगिंदर अवाना के बेटे हैं. तो पीपाड़ सिटी से पूर्व सांसद बद्री जाखड़ की पोती सोनिया जयंत चौधरी प्रधान बनी हैं. इसी तरीके से जिला प्रमुखों की बात की जाए तो मदेरणा परिवार की बहू और विधायक दिव्या मदेरणा की मां लीला मदेरणा जोधपुर की जिला प्रमुख बनी हैं.