जयपुर. सचिन पायलट का कहना है कि वे फिलहाल दोहरी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं और इसमें कई चुनौतियां हैं तो उन से पार पाना भी उन्हें आता है. यह जिम्मेदारी उन्होंने राहुल गांधी के निर्देश पर संभाली है और जब तक आलाकमान का निर्देश होगा वे दोनों पदों पर कायम रहेंगे. राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के सवाल पर सचिन पायलट ने कहा कि इस मसले पर उनकी व्यक्तिगत राय से ज्यादा पार्टी के एक राय होने पर यह फैसला निर्भर करता है. आईए जानते हैं ईटीवी भारत के सवाल और सचिन पायलट के जवाब...
प्रदेश अध्यक्ष पद पर 6 साल का अनुभव कैसा रहा?
एक चुनौती पूर्ण वातावरण में मुझे ज़िम्मेदारी दी गई थी. यह मेरे राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी पूंजी है. बहुत कम लोगों को उम्मीद थी कि इतना लंबा सफर तय होगा. हमने सभी चुनावों में कार्यकर्ताओं के दम पर जीत दर्ज की. सत्ता में आए. इस दौरान कई उतार-चढ़ाव देखे.
विपक्ष में रहे और फिर सत्ता में आए, हमेशा सड़कों पर नजर आए?
राजनीतिक कार्यकर्ता का काम कभी समाप्त नहीं होता. दोगलापन मेरी फितरत में नहीं है, चाहे मैं सत्ता में हूं या विपक्ष में. जनता के मुद्दे तो वही हैं. मैं उनकी पीड़ा समझता हूं और इसलिए आम जनता का पक्ष बेबाकी से रखता हूं. आज हम सरकार में हैं तो हमारी ज़िम्मेदारी और भी ज्यादा है. इसलिए आम जनता को लगना भी चाहिए कि हमने कहीं वोट देकर कोई गलती तो नहीं की.
सत्ता में जोखिम से कोई भय?
इसमें कैसा भय. जिन्होंने हमें वोट दिया, एक विश्वास पर दिया. जनता के विश्वास को तोड़ना कभी मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता. न ही किसी राजनीतिज्ञ को करना चाहिए. इसलिए मैंने विपक्ष में रहकर भी मुद्दे उठाए, जिन मुद्दों की हमने आलोचना की आज जब सत्ता में हैं तो उनका काम करने की ज़िम्मेदारी भी बनती है. इसलिए मैं बेबाकी से जनता की बात करता हूं.
पार्टी कार्यकर्ताओं को जो वादे किए, उनका क्या?
जिन कार्यकर्ताओं ने काम किया हमने उनका मान-सम्मान रखा है. कई कार्यकर्ताओं को टिकट दिए हैं. कुछ विधायक बने हैं, कुछ प्रधान बने हैं. जिन लोगों ने हमारी जीत के लिए खून-पसीना बहाया है, उनके सम्मान और भागीदारी में कोई कमी नहीं होगी. यह मेरा वादा है.
उप मुख्यमंत्री और विभाग, दोनों में भूमिका कैसे देखते हैं?
जो-जो विभाग मेरे पास हैं कोशिश करता हूं कि उनका काम प्राथमिकता से हो. लेकिन नीति-निर्माण के साथ उन योजनाओं का आम जनता को लाभ पहुंचे. ग्रामीण विकास ऐसा मंत्रालय है जो तमाम ग्राम पंचायतों से जुड़ा है, उन पंचायतों को मजबूत करना, उनका विकास करना, बजट का पहुंचना. यह सब मेरी प्राथमिकताएं हैं और मुझे संतोष है कि विभाग के माध्यम से मैं लोकतंत्र की इस जड़ से जुड़कर काम कर रहा हूं.
पंचायती राज विभाग बड़ा है और चुनौतियां भी बड़ी?
किसी के काम में कोई बाधा नहीं होगी. जो नीतियां और योजनाएं हैं, उनका सबको लाभ मिलेगा. विभाग का मुखिया होने के नाते मेरी ज़िम्मेदारी है कि उनकी आवाज को मजबूत करूं, उनका विकास करूं. जैसे महात्मा गांधी कहते थे, 'गांव को मजबूत करना देश को मजबूत करना है", ऐसे में हमारी तरफ से सरकार हर तरह से प्रतिबद्ध है.
राहुल गांधी का विधानसभा सत्र के बीच दौरा, क्या मकसद है?
आज आर्थिक मंदी चरम पर है. बेरोज़गारी है, महंगाई है और अर्थव्यवस्था चौपट है. केन्द्र सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही, जबकि इतना बहुमत मिला है. आर्थिक मंदी का सबसे अधिक प्रहार गरीब तबके को होता है. 1 फरवरी को आम बजट है और उससे पहले राहुल गांधी यहां 28 जनवरी को आएंगे और देश के युवाओं और गरीब तबके के लोगों को संदेश देंगे कि वे इन मुद्दों पर उनके साथ हैं.
राजस्थान विधानसभा में CAA के खिलाफ प्रस्ताव लाने की चर्चा क्यों?
एआईसीसी ने तय किया है कि जहां-जहां कांग्रेस की सरकारें हैं वहां विधानसभा में प्रस्ताव पास किया जाएगा. केन्द्र ने बहुमत होने के चलते कानून तो बना दिया है, लेकिन जगह-जगह विरोध हो रहा है ऐसे में जनभावना का भी संज्ञान लेना पड़ेगा. अगल विधानसभा से कोई प्रस्ताव पास होता है तो केन्द्र सरकार को भी विचार करना पड़ेगा. हालांकि, इस पर निर्णय तो सुप्रीम कोर्ट ही लेगा कि ये संवैधानिक है या नहीं.
केरल के राज्यपाल के बयान को कैसे देखते हैं?
अलग-अलग विकल्प हमारे पास मौजूद हैं. लेकिन पहले तो विधानसभा में प्रस्ताव पास करने का विकल्प है. सरकार होने के नाते हम जनता के नुमाइंदे हैं. सदन में हम अपना मत रखेंगे. इसका मकसद केन्द्र सरकार को ये बताना है कि जो आपने कानून बनाया है, इससे सभी लोग सहमत नहीं हैं.
कांग्रेस को पूर्णकालिक अध्यक्ष का इंतजार, कब पूरा होगा?
ये निर्णय कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) का है. अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं. जब भी निर्णय होगा, सही दिशा में होगा. मेरी मंशा पार्टी के साथ है, व्यक्तिगत निर्णय पार्टी में मायने नहीं रखता. लेकिन नौजवानों को पार्टी के हर स्तर पर प्राथमिकता मिले यही मेरी मंशा है, और इसमें कांग्रेस कभी पीछे नहीं हटती.
बतौर प्रदेशाध्यक्ष दूसरी टर्म भी चाहेंगे?
6 साल पहले पार्टी ने जो काम दिया था, उसे पूरी शिद्दत से काम कर रहा हूं. राहुल गांधी के निर्देश पर मैंने जिम्मेदारी संभाली है और जब तक आला कमान का निर्देश होगा, मंत्री और प्रदेशाध्यक्ष दोनों पदों पर कायम रहूंगा. इतना जरूर मैं कहना चाहूंगा, जो भी मैं करता हूं खुले मन से करता हूं, बेबाकी से करता हूं. काम करने की कोई सीमा नहीं है. जो रिश्ते मैंने कायम किए हैं, मेरी ज़िम्मेदारी है कि उनको निभाऊं और आम जनता की जिंदगी बेहतर बना सकूं.
आखिरी सवाल, दो ध्रुवीय राजनीति पर आपकी राय?
सत्ता और संगठन दोनों में अलग-अलग राय आती है, इसमें कोई दिक्कत नहीं. हमारी पार्टी में सब लोग अलग-अलग राय रखते हैं. लेकिन उसपर सहमति बन जाती है तब कोई दिक्कत नहीं होती. सबके पास अलग-अलग ज्ञान होता है. राज्य के लिए क्या अच्छा रहेगा, इस पर मीटिंग्स के जरिए चर्चा होती रहनी चाहिए. लोकतंत्र में चर्चा और डिबेट होती रहनी चाहिए.