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Special : उपचुनाव में सहानुभूति कार्ड चलेगा या उल्टा पड़ेगा दांव, यहां समझिये पूरा समीकरण

उपचुनाव में कांग्रेस का सहानुभूति कार्ड चलेगा या नहीं, यह भविष्य के गर्भ में है. लेकिन अब तक हुए 23 उपचुनाव में से 20 उपचुनाव में जनता ने सहानुभूति के नाम पर वोट नहीं दिया. हालांकि, इस साल हुए तीनों उपचुनाव में जनता ने सहानुभूति दिखाई थी. ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि क्या इस बार भी दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में सहानुभूति की लहर जिता पाएगी या दांव उल्टा पड़ेगा. देखिये जयपुर से ये रिपोर्ट...

by election in rajasthan
धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव
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Published : Oct 7, 2021, 6:31 PM IST

Updated : Oct 7, 2021, 7:52 PM IST

जयपुर. राजस्थान में कोरोना महामारी ने कितना नुकसान प्रदेश को पहुंचाया है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इतिहास में पहली बार राजस्थान में 6 महीने में 5 विधयकों के निधन के उपचुनाव होंगे और 5 नए विधायक उपचुनावों के जरिए 6 महीने में राजस्थान को मिलेंगे. जहां इसी साल मई महीने में सुजानगढ़, सहाड़ा और राजसमंद में विधायकों के निधन के चलते हुए उपचुनाव के बाद नए विधायक चुने जा चुके हैं तो बाकी बची 2 विधानसभा सीटों वल्लभनगर और धरियावद में 30 अक्टूबर को उप चुनाव होंगे, जिनके लिए कांग्रेस पार्टी ने आज अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. 2 नवंबर को यह सामने आ जाएगा कि उपचुनाव में किस पार्टी ने बाजी मारी है.

आपको बता दें कि राजस्थान में अब तक विधायकों या सामान्य चुनाव में ही किसी विधायक प्रत्याशी के निधन के चलते 23 बार उपचुनाव हुए हैं. इनमें से 11 उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव जीता है, 9 बार भारतीय जनता पार्टी ने उपचुनाव में जीत दर्ज की है तो दो बार जनता पार्टी और एक बार एनसीजे पार्टी के विधायक बने हैं. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इन 23 उपचुनाव में जिन विधायकों का निधन हुआ तो उनकी जगह जब उनके परिजनों को टिकट दिया गया, इस साल हुए 3 उपचुनावों को छोड़कर 20 उपचुनावों में जनता ने उन्हें नकारा है.

क्या है राजस्थान उपचुनाव का समीकरण...

1965 में राजाखेड़ा विधायक प्रताप सिंह के निधन के बाद उनके बेटे एम. सिंह ने चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए. इसके बाद 1978 में रूपवास विधायक ताराचंद के निधन के बाद उनके बेटे ने चुनाव लड़ा, वह भी चुनाव हार गए. इसके बाद 1988 में खेतड़ी विधायक मालाराम के निधन के बाद उनके बेटे एच. लाल को टिकट दिया गया, लेकिन वह भी चुनाव हार गए.

पढ़ें : राजस्थान उपचुनाव 2021: कांग्रेस ने किया प्रत्याशियों के नामों का ऐलान

इसी तरीके से साल 1995 में बयाना विधानसभा से विधायक बृजराज सिंह के निधन के बाद उनके बेटे शिव चरण सिंह को टिकट दिया गया, लेकिन वह भी चुनाव हार गए. यहां तक कि साल 1995 में बांसवाड़ा विधानसभा के विधायक पूर्व मुख्यमंत्री हरदेव जोशी के निधन के बाद जब उनके बेटे दिनेश जोशी को पार्टी ने टिकट दिया तो वह भी चुनाव नहीं जीत सके. यही हाल साल 2000 में हुआ, जब लूणकरणसर विधायक भीमसेन के निधन के बाद उनके बेटे वीरेंद्र को टिकट दिया गया, लेकिन वह चुनाव हार गए तो वहीं साल 2002 में सागवाड़ा विधायक भीखाभाई के निधन के बाद उनके बेटे सुरेंद्र कुमार को टिकट दिया गया, लेकिन वह भी चुनाव हार गए. साल 2005 में लूणी विधायक रामसिंह विश्नोई के निधन के बाद उनके बेटे मलखान विश्नोई को टिकट दिया गया, लेकिन वह भी चुनाव हार गए.

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इस साल हुए 3 उपचुनावों में जनता ने दिया सहानुभूति के नाम पर वोट...

इतिहास में भले ही उपचुनाव में जनता ने उन प्रत्याशियों को नकारा हो जिन्होंने अपने परिजन के निधन होने पर चुनाव लड़ा, लेकिन साल 2021 में हुए सुजानगढ़, सहाड़ा और राजसमंद विधानसभा उपचुनाव में जनता ने इस बार केवल सहानुभूति के आधार पर ही वोट दिया. यही कारण था कि चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, तीनों ही उन प्रत्याशियों को जीत मिली जिनके परिजनों का निधन हुआ था.

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जहां सुजानगढ़ से दिवंगत विधायक मास्टर भंवरलाल मेघवाल की जगह उनके बेटे मनोज मेघवाल ने चुनाव जीता तो सहाड़ा से दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री त्रिवेदी ने चुनाव जीता. इसी तरह से राजसमंद विधानसभा सीट से भाजपा की दिवंगत विधायक किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति माहेश्वरी को जनता ने अपनी सहानुभूति दिखाते हुए विधायक बनाया.

पढ़ें : भाजपा ने उपचुनाव के लिए प्रत्याशी किए घोषित, वल्लभनगर से हिम्मत सिंह और धरियावद से खेत सिंह को बनाया प्रत्याशी

कांग्रेस ने फिर खेला सहानुभूति कार्ड, लेकिन भाजपा ने परिवारवाद से बनाई दूरी...

राजस्थान में अब 2 विधानसभा सीट वल्लभनगर और धरियावद में उपचुनाव होने हैं ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर सहानुभूति कार्ड खेलते हुए दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी प्रीति शक्तावत को कांग्रेस प्रत्याशी बनाया है तो वहीं भाजपा ने परिवारवाद से दूरी बनाते हुए विधायक गौतम लाल के परिजनों को टिकट नहीं दिया है. अब जीत में सहानुभूति एक बार फिर अभी होती है या फिर नहीं यह 2 नवंबर को ही साफ होगा.

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यह रहे विधायकों के निधन पर हुए उपचुनाव के नतीजे, सबसे ज्यादा उपचुनाव इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में...

1965 - कांग्रेस की सरकार थी मोहनलाल सुखाड़िया मुख्यमंत्री थे : विधायक प्रताप सिंह के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के दामोदर व्यास राजाखेड़ा से उपचुनाव जीते.

1970 - सरकार कांग्रेस की थी मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया थे : नसीराबाद विधानसभा के विधायक वी. सिंह के निधन के बाद हुए उपचुनाव में एनसीजे पार्टी के एस. सिंह उपचुनाव जीते.

1978 - जनता पार्टी के भैरों सिंह शेखावत मुख्यमंत्री थे : रूपवास विधानसभा सीट से विधायक ताराचंद के निधन के बाद जनता पार्टी के टिकट पर डी. राम उपचुनाव जीते. जबकि बनेड़ा विधानसभा सीट पर विधायक उमराव सिंह डाबरिया के निधन के बाद हुए उपचुनाव में जनता पार्टी की टिकट पर कल्याण सिंह कालवी चुनाव जीते.

1982 - कांग्रेस की सरकार थी मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर थे : सरदारशहर विधानसभा में विधायक मोहनलाल शर्मा के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के कृष्ण चंद ने चुनाव जीते.

1984 - कांग्रेस की सरकार थी मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर थे : थानागाजी विधानसभा के विधायक शोभाराम के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के डी. लाल चुनाव जीते.

1985 - सरकार कांग्रेस की थी : करणपुर विधानसभा में सामान्य चुनाव में प्रत्याशी रहे गुम दयाल सिंह के निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुए. जिनमें कांग्रेस की उम्मीदवार आई. कौर उपचुनाव जीतीं.

1988 - कांग्रेस की सरकार थी मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर थे : खेतड़ी विधानसभा के विधायक मालाराम के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के डॉ. जितेंद्र सिंह जीते.

1994 - भाजपा की सरकार थी मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत थे : राजाखेड़ा विधानसभा में जब सामान्य चुनाव चल रहे थे तो एक प्रत्याशी महेंद्र सिंह की मृत्यु के चलते चुनाव टले और इसके बाद हुए उपचुनाव पर बीजेपी की मनोरमा सिंह ने चुनाव जीता.

1995 - भाजपा की सरकार थी मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत थे : भीलवाड़ा विधानसभा के विधायक जगदीश चंद्र दरक का निधन होने पर हुए उपचुनाव में बीजेपी की टिकट पर राम रिचपाल नुवाल चुनाव जीते. वहीं, बांसवाड़ा विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरदेव जोशी के निधन होने पर हुए उपचुनाव में भाजपा के भवानी जोशी चुनाव जीते. जबकि बयाना विधानसभा सीट से विधायक रहे बृजराज सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हुए, जिनमें कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह सूपा चुनाव जीते.

2000 - कांग्रेस की सरकार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे : लूणकरणसर विधानसभा शिव विधायक भीम सेन के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के मानिकचंद सुराणा चुनाव जीते.

2002 - कांग्रेस की सरकार थी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे : बानसूर विधानसभा से विधायक जगत सिंह दायमा के निधन के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के रोहिताश शर्मा चुनाव जीते. वहीं, सागवाड़ा विधानसभा से विधायक भीखाभाई के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के कनकमल कटारा उपचुनाव जीते. जबकि अजमेर पश्चिम विधानसभा शिव विधायक किशन मोटवानी के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के नानकराम जगत राय उपचुनाव में जीते.

2005 - सरकार भाजपा की थी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थीं : लूणी विधानसभा के विधायक रामसिंह विश्नोई के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के जोगाराम पटेल विधायक बने.

2006 - भाजपा की सरकार थी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थीं : डीग विधानसभा शिव विधायक अरुण सिंह के निधन के चलते हुए उपचुनाव में बीजेपी की दिव्या सिंह उपचुनाव में जीतीं. वहीं, डूंगरपुर विधानसभा के विधायक नाथूराम अहारी के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के पूंजीलाल परमार विधायक बने.

2017 - सरकार भाजपा की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थीं : भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के चलते मांडलगढ़ विधानसभा में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के विवेक धाकड़ उपचुनाव में जीते.

2018 - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रहे और सरकार कांग्रेस की है ओर 3 उपचुनाव के नतीजे मई 2021 में आ चुके हैं : सुजानगढ़ से कांग्रेस विधायक मास्टर भंवरलाल के निधन पर उपचुनाव में उनके बेटे मनोज मेघवाल चुनाव जीते. वहीं, सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन के बाद उपचुनाव में उनकी पत्नी गायत्री त्रिवेदी चुनाव जीतीं. जबकि राजसमंद से भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी के निधन के बाद उपचुनाव में उनकी बेटी दीप्ति महेश्वरी चुनाव जीतीं.

congress candidates in rajasthan bypoll
कांग्रेस उम्मीदवार प्रीति शक्तावत और नगराज मीणा

अब कांग्रेस ने फिर खेला सहानुभूति कार्ड...

कांग्रेस ने एक बार फिर सहानुभूति कार्ड खेलते हुए वल्लभनगर विधानसभा से दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी प्रीति शक्तावत को टिकट दिया है. जबकि धरियावद में भाजपा ने ऐसा नहीं किया है.

जयपुर. राजस्थान में कोरोना महामारी ने कितना नुकसान प्रदेश को पहुंचाया है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इतिहास में पहली बार राजस्थान में 6 महीने में 5 विधयकों के निधन के उपचुनाव होंगे और 5 नए विधायक उपचुनावों के जरिए 6 महीने में राजस्थान को मिलेंगे. जहां इसी साल मई महीने में सुजानगढ़, सहाड़ा और राजसमंद में विधायकों के निधन के चलते हुए उपचुनाव के बाद नए विधायक चुने जा चुके हैं तो बाकी बची 2 विधानसभा सीटों वल्लभनगर और धरियावद में 30 अक्टूबर को उप चुनाव होंगे, जिनके लिए कांग्रेस पार्टी ने आज अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. 2 नवंबर को यह सामने आ जाएगा कि उपचुनाव में किस पार्टी ने बाजी मारी है.

आपको बता दें कि राजस्थान में अब तक विधायकों या सामान्य चुनाव में ही किसी विधायक प्रत्याशी के निधन के चलते 23 बार उपचुनाव हुए हैं. इनमें से 11 उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव जीता है, 9 बार भारतीय जनता पार्टी ने उपचुनाव में जीत दर्ज की है तो दो बार जनता पार्टी और एक बार एनसीजे पार्टी के विधायक बने हैं. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इन 23 उपचुनाव में जिन विधायकों का निधन हुआ तो उनकी जगह जब उनके परिजनों को टिकट दिया गया, इस साल हुए 3 उपचुनावों को छोड़कर 20 उपचुनावों में जनता ने उन्हें नकारा है.

क्या है राजस्थान उपचुनाव का समीकरण...

1965 में राजाखेड़ा विधायक प्रताप सिंह के निधन के बाद उनके बेटे एम. सिंह ने चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए. इसके बाद 1978 में रूपवास विधायक ताराचंद के निधन के बाद उनके बेटे ने चुनाव लड़ा, वह भी चुनाव हार गए. इसके बाद 1988 में खेतड़ी विधायक मालाराम के निधन के बाद उनके बेटे एच. लाल को टिकट दिया गया, लेकिन वह भी चुनाव हार गए.

पढ़ें : राजस्थान उपचुनाव 2021: कांग्रेस ने किया प्रत्याशियों के नामों का ऐलान

इसी तरीके से साल 1995 में बयाना विधानसभा से विधायक बृजराज सिंह के निधन के बाद उनके बेटे शिव चरण सिंह को टिकट दिया गया, लेकिन वह भी चुनाव हार गए. यहां तक कि साल 1995 में बांसवाड़ा विधानसभा के विधायक पूर्व मुख्यमंत्री हरदेव जोशी के निधन के बाद जब उनके बेटे दिनेश जोशी को पार्टी ने टिकट दिया तो वह भी चुनाव नहीं जीत सके. यही हाल साल 2000 में हुआ, जब लूणकरणसर विधायक भीमसेन के निधन के बाद उनके बेटे वीरेंद्र को टिकट दिया गया, लेकिन वह चुनाव हार गए तो वहीं साल 2002 में सागवाड़ा विधायक भीखाभाई के निधन के बाद उनके बेटे सुरेंद्र कुमार को टिकट दिया गया, लेकिन वह भी चुनाव हार गए. साल 2005 में लूणी विधायक रामसिंह विश्नोई के निधन के बाद उनके बेटे मलखान विश्नोई को टिकट दिया गया, लेकिन वह भी चुनाव हार गए.

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इस साल हुए 3 उपचुनावों में जनता ने दिया सहानुभूति के नाम पर वोट...

इतिहास में भले ही उपचुनाव में जनता ने उन प्रत्याशियों को नकारा हो जिन्होंने अपने परिजन के निधन होने पर चुनाव लड़ा, लेकिन साल 2021 में हुए सुजानगढ़, सहाड़ा और राजसमंद विधानसभा उपचुनाव में जनता ने इस बार केवल सहानुभूति के आधार पर ही वोट दिया. यही कारण था कि चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, तीनों ही उन प्रत्याशियों को जीत मिली जिनके परिजनों का निधन हुआ था.

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जहां सुजानगढ़ से दिवंगत विधायक मास्टर भंवरलाल मेघवाल की जगह उनके बेटे मनोज मेघवाल ने चुनाव जीता तो सहाड़ा से दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री त्रिवेदी ने चुनाव जीता. इसी तरह से राजसमंद विधानसभा सीट से भाजपा की दिवंगत विधायक किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति माहेश्वरी को जनता ने अपनी सहानुभूति दिखाते हुए विधायक बनाया.

पढ़ें : भाजपा ने उपचुनाव के लिए प्रत्याशी किए घोषित, वल्लभनगर से हिम्मत सिंह और धरियावद से खेत सिंह को बनाया प्रत्याशी

कांग्रेस ने फिर खेला सहानुभूति कार्ड, लेकिन भाजपा ने परिवारवाद से बनाई दूरी...

राजस्थान में अब 2 विधानसभा सीट वल्लभनगर और धरियावद में उपचुनाव होने हैं ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर सहानुभूति कार्ड खेलते हुए दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी प्रीति शक्तावत को कांग्रेस प्रत्याशी बनाया है तो वहीं भाजपा ने परिवारवाद से दूरी बनाते हुए विधायक गौतम लाल के परिजनों को टिकट नहीं दिया है. अब जीत में सहानुभूति एक बार फिर अभी होती है या फिर नहीं यह 2 नवंबर को ही साफ होगा.

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यह रहे विधायकों के निधन पर हुए उपचुनाव के नतीजे, सबसे ज्यादा उपचुनाव इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में...

1965 - कांग्रेस की सरकार थी मोहनलाल सुखाड़िया मुख्यमंत्री थे : विधायक प्रताप सिंह के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के दामोदर व्यास राजाखेड़ा से उपचुनाव जीते.

1970 - सरकार कांग्रेस की थी मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया थे : नसीराबाद विधानसभा के विधायक वी. सिंह के निधन के बाद हुए उपचुनाव में एनसीजे पार्टी के एस. सिंह उपचुनाव जीते.

1978 - जनता पार्टी के भैरों सिंह शेखावत मुख्यमंत्री थे : रूपवास विधानसभा सीट से विधायक ताराचंद के निधन के बाद जनता पार्टी के टिकट पर डी. राम उपचुनाव जीते. जबकि बनेड़ा विधानसभा सीट पर विधायक उमराव सिंह डाबरिया के निधन के बाद हुए उपचुनाव में जनता पार्टी की टिकट पर कल्याण सिंह कालवी चुनाव जीते.

1982 - कांग्रेस की सरकार थी मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर थे : सरदारशहर विधानसभा में विधायक मोहनलाल शर्मा के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के कृष्ण चंद ने चुनाव जीते.

1984 - कांग्रेस की सरकार थी मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर थे : थानागाजी विधानसभा के विधायक शोभाराम के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के डी. लाल चुनाव जीते.

1985 - सरकार कांग्रेस की थी : करणपुर विधानसभा में सामान्य चुनाव में प्रत्याशी रहे गुम दयाल सिंह के निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुए. जिनमें कांग्रेस की उम्मीदवार आई. कौर उपचुनाव जीतीं.

1988 - कांग्रेस की सरकार थी मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर थे : खेतड़ी विधानसभा के विधायक मालाराम के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के डॉ. जितेंद्र सिंह जीते.

1994 - भाजपा की सरकार थी मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत थे : राजाखेड़ा विधानसभा में जब सामान्य चुनाव चल रहे थे तो एक प्रत्याशी महेंद्र सिंह की मृत्यु के चलते चुनाव टले और इसके बाद हुए उपचुनाव पर बीजेपी की मनोरमा सिंह ने चुनाव जीता.

1995 - भाजपा की सरकार थी मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत थे : भीलवाड़ा विधानसभा के विधायक जगदीश चंद्र दरक का निधन होने पर हुए उपचुनाव में बीजेपी की टिकट पर राम रिचपाल नुवाल चुनाव जीते. वहीं, बांसवाड़ा विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरदेव जोशी के निधन होने पर हुए उपचुनाव में भाजपा के भवानी जोशी चुनाव जीते. जबकि बयाना विधानसभा सीट से विधायक रहे बृजराज सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हुए, जिनमें कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह सूपा चुनाव जीते.

2000 - कांग्रेस की सरकार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे : लूणकरणसर विधानसभा शिव विधायक भीम सेन के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के मानिकचंद सुराणा चुनाव जीते.

2002 - कांग्रेस की सरकार थी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे : बानसूर विधानसभा से विधायक जगत सिंह दायमा के निधन के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के रोहिताश शर्मा चुनाव जीते. वहीं, सागवाड़ा विधानसभा से विधायक भीखाभाई के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के कनकमल कटारा उपचुनाव जीते. जबकि अजमेर पश्चिम विधानसभा शिव विधायक किशन मोटवानी के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के नानकराम जगत राय उपचुनाव में जीते.

2005 - सरकार भाजपा की थी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थीं : लूणी विधानसभा के विधायक रामसिंह विश्नोई के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के जोगाराम पटेल विधायक बने.

2006 - भाजपा की सरकार थी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थीं : डीग विधानसभा शिव विधायक अरुण सिंह के निधन के चलते हुए उपचुनाव में बीजेपी की दिव्या सिंह उपचुनाव में जीतीं. वहीं, डूंगरपुर विधानसभा के विधायक नाथूराम अहारी के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के पूंजीलाल परमार विधायक बने.

2017 - सरकार भाजपा की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थीं : भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के चलते मांडलगढ़ विधानसभा में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के विवेक धाकड़ उपचुनाव में जीते.

2018 - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रहे और सरकार कांग्रेस की है ओर 3 उपचुनाव के नतीजे मई 2021 में आ चुके हैं : सुजानगढ़ से कांग्रेस विधायक मास्टर भंवरलाल के निधन पर उपचुनाव में उनके बेटे मनोज मेघवाल चुनाव जीते. वहीं, सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन के बाद उपचुनाव में उनकी पत्नी गायत्री त्रिवेदी चुनाव जीतीं. जबकि राजसमंद से भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी के निधन के बाद उपचुनाव में उनकी बेटी दीप्ति महेश्वरी चुनाव जीतीं.

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कांग्रेस उम्मीदवार प्रीति शक्तावत और नगराज मीणा

अब कांग्रेस ने फिर खेला सहानुभूति कार्ड...

कांग्रेस ने एक बार फिर सहानुभूति कार्ड खेलते हुए वल्लभनगर विधानसभा से दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी प्रीति शक्तावत को टिकट दिया है. जबकि धरियावद में भाजपा ने ऐसा नहीं किया है.

Last Updated : Oct 7, 2021, 7:52 PM IST
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