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राजस्थान उपचुनाव: भाजपा-कांग्रेस के लिए क्यों अहम है गुर्जरों का वोट

राजस्थान उपचुनावों में कांग्रेस और भाजपा दोनों गुर्जर वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही हैं. सतीश पूनिया की विजय बैंसला से मुलाकात के बाद बैंसला ने बीजेपी को उपचुनावों में समर्थन की बात कही. जिसके बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के 51 प्रतिनिधियों से मुलाकात की. कांग्रेस ने गुर्जरों को साधने का जिम्मा खेल मंत्री अशोक चांदना को दिया है. वहीं सचिन पायलट को वह कब प्रचार में उतारते हैं यह भी देखने वाली बात होगी.

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राजस्थान उपचुनाव में गुर्जर वोट
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Published : Mar 26, 2021, 5:01 PM IST

जयपुर. प्रदेश में 3 विधानसभा सीटों पर 17 अप्रैल को उपचुनाव होने जा रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने तीनों सीटों पर सत्ताधारी दल कांग्रेस से पहले जातिगत और सहानुभूति के आधार पर टिकट वितरण करते हुए कांग्रेस पर मानसिक बढ़त बना ली है. एक ओर जहां कांग्रेस ने अब तक टिकट घोषित नहीं किए हैं वहीं भाजपा ने कांग्रेस से पहले जातिगत समीकरण साधने की पहल कर दी है.

भाजपा-कांग्रेस के लिए क्यों अहम है गुर्जरों का वोट

भाजपा ने गुर्जरों को साधने की कोशिश की

जातिगत समीकरण साधने के लिए भाजपा ने 2 दिन पहले गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला का समर्थन इन चुनावों में लेते हुए गुर्जर वोट बैंक को साधने का प्रयास किया है. हालांकि राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को प्रदेश का ही नहीं देश का भी सबसे बड़ा गुर्जर नेता माना जाता है, लेकिन उनकी अघोषित नाराजगी कहीं ना कहीं इस वोट बैंक को डेंट कर सकती है. तो वही अगर कर्नल किरोड़ी बैसला भाजपा के समर्थन में खड़े हो जाते हैं तो गुर्जर वोट बैंक का फायदा भाजपा को मिल सकता है. गुर्जर मतदाता सहाड़ा और राजसमंद में हार जीत का फैसला करने में सक्षम हैं.

पढ़ें: उपचुनाव: सर्वे और फीडबैक के आधार पर आलाकमान ने तय किए टिकट, परिवार के लोग लड़ते हैं चुनाव: पूनिया

कांग्रेस का बैंसला पर हमला

ऐसे में अब कांग्रेस के गुर्जर नेताओं ने भी विजय बैंसला पर सीधा हमला किया है. प्रदेश कांग्रेस सचिव जसवंत गुर्जर ने कहा कि विजय बैंसला कोई समाज के ठेकेदार नहीं हैं. वह अपने व्यक्तिगत हितों की पूर्ति करने के लिए भाजपा का समर्थन कर रहे हैं. जबकि समाज किसी एक व्यक्ति विशेष से बंधा हुआ नहीं है. प्रदेश में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने गुर्जरों को आरक्षण देने का काम किया है. समाज की हर मांग को सरकार ने पूरा करने का प्रयास किया है. अब गुर्जर समाज प्रदेश में कांग्रेस के साथ खड़ा है, वह किसी के बहकावे में आने वाला नहीं है.

गुर्जर वोट बैंक को साधने की कांग्रेस की तैयारी

गुर्जर वोट बैंक को साधने के लिए कांग्रेस ने खेल मंत्री अशोक चांदना को तो लगा दिया है. लेकिन अब भी इंतजार इस बात का हो रहा है कि सचिन पायलट इन सीटों पर कब प्रचार के लिए जाते हैं. गुर्जर समाज को कांग्रेस के साथ बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के 51 प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की. इन नेताओं ने मुख्यमंत्री का एमबीसी आरक्षण पर एससी में मजबूत पैरवी करने के लिए उनका आभार व्यक्त किया. इसे भी गुर्जर मतदाताओं को साधने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है.

गुर्जर वोट इतने अहम क्यों हैं?

2018 के विधानसभा चुनावों में गुर्जर मतदाताओं ने कांग्रेस का साथ दिया था, लेकिन उस साथ के पीछे कहीं ना कहीं गुर्जर समाज की यह सोच थी कि सचिन पायलट प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं और लोकसभा चुनाव में गुर्जर मतदाता कांग्रेस से छूटता हुआ दिखाई दिया. इसके बाद हुए राजनीतिक उठापटक के बाद तो गुर्जर मतदाता कांग्रेस पार्टी से खासा नाराज दिखाई दे रहा है और सहाड़ा और राजसमंद में यह वोटर अगर कांग्रेस से छिटक जाता है तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान इन चुनावों में उठाना पड़ सकता है.

सहाड़ा विधानसभा सीट पर कुल मतदाता 245400 हैं. इनमें गुर्जर मतदाताओं की संख्या 15 से 18 हजार के करीब है. वहीं राजसमंद में 221610 मतदाता हैं, इनमें से 20,000 से 23,000 गुर्जर मतदाता हैं. वोटों के लिहाज से गुर्जर मतदाता काफी अहम फैक्टर इन दोनों सीटों पर हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी को गुर्जर वोट बैंक को खुद से छिटकने से रोकने के लिए सचिन पायलट को उतारना होगा. सचिन पायलट का युवाओं में खासा क्रेज है साथ ही उनके कद का कोई गुर्जर नेता राजस्थान में फिलहाल नहीं है.

जयपुर. प्रदेश में 3 विधानसभा सीटों पर 17 अप्रैल को उपचुनाव होने जा रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने तीनों सीटों पर सत्ताधारी दल कांग्रेस से पहले जातिगत और सहानुभूति के आधार पर टिकट वितरण करते हुए कांग्रेस पर मानसिक बढ़त बना ली है. एक ओर जहां कांग्रेस ने अब तक टिकट घोषित नहीं किए हैं वहीं भाजपा ने कांग्रेस से पहले जातिगत समीकरण साधने की पहल कर दी है.

भाजपा-कांग्रेस के लिए क्यों अहम है गुर्जरों का वोट

भाजपा ने गुर्जरों को साधने की कोशिश की

जातिगत समीकरण साधने के लिए भाजपा ने 2 दिन पहले गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला का समर्थन इन चुनावों में लेते हुए गुर्जर वोट बैंक को साधने का प्रयास किया है. हालांकि राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को प्रदेश का ही नहीं देश का भी सबसे बड़ा गुर्जर नेता माना जाता है, लेकिन उनकी अघोषित नाराजगी कहीं ना कहीं इस वोट बैंक को डेंट कर सकती है. तो वही अगर कर्नल किरोड़ी बैसला भाजपा के समर्थन में खड़े हो जाते हैं तो गुर्जर वोट बैंक का फायदा भाजपा को मिल सकता है. गुर्जर मतदाता सहाड़ा और राजसमंद में हार जीत का फैसला करने में सक्षम हैं.

पढ़ें: उपचुनाव: सर्वे और फीडबैक के आधार पर आलाकमान ने तय किए टिकट, परिवार के लोग लड़ते हैं चुनाव: पूनिया

कांग्रेस का बैंसला पर हमला

ऐसे में अब कांग्रेस के गुर्जर नेताओं ने भी विजय बैंसला पर सीधा हमला किया है. प्रदेश कांग्रेस सचिव जसवंत गुर्जर ने कहा कि विजय बैंसला कोई समाज के ठेकेदार नहीं हैं. वह अपने व्यक्तिगत हितों की पूर्ति करने के लिए भाजपा का समर्थन कर रहे हैं. जबकि समाज किसी एक व्यक्ति विशेष से बंधा हुआ नहीं है. प्रदेश में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने गुर्जरों को आरक्षण देने का काम किया है. समाज की हर मांग को सरकार ने पूरा करने का प्रयास किया है. अब गुर्जर समाज प्रदेश में कांग्रेस के साथ खड़ा है, वह किसी के बहकावे में आने वाला नहीं है.

गुर्जर वोट बैंक को साधने की कांग्रेस की तैयारी

गुर्जर वोट बैंक को साधने के लिए कांग्रेस ने खेल मंत्री अशोक चांदना को तो लगा दिया है. लेकिन अब भी इंतजार इस बात का हो रहा है कि सचिन पायलट इन सीटों पर कब प्रचार के लिए जाते हैं. गुर्जर समाज को कांग्रेस के साथ बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के 51 प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की. इन नेताओं ने मुख्यमंत्री का एमबीसी आरक्षण पर एससी में मजबूत पैरवी करने के लिए उनका आभार व्यक्त किया. इसे भी गुर्जर मतदाताओं को साधने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है.

गुर्जर वोट इतने अहम क्यों हैं?

2018 के विधानसभा चुनावों में गुर्जर मतदाताओं ने कांग्रेस का साथ दिया था, लेकिन उस साथ के पीछे कहीं ना कहीं गुर्जर समाज की यह सोच थी कि सचिन पायलट प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं और लोकसभा चुनाव में गुर्जर मतदाता कांग्रेस से छूटता हुआ दिखाई दिया. इसके बाद हुए राजनीतिक उठापटक के बाद तो गुर्जर मतदाता कांग्रेस पार्टी से खासा नाराज दिखाई दे रहा है और सहाड़ा और राजसमंद में यह वोटर अगर कांग्रेस से छिटक जाता है तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान इन चुनावों में उठाना पड़ सकता है.

सहाड़ा विधानसभा सीट पर कुल मतदाता 245400 हैं. इनमें गुर्जर मतदाताओं की संख्या 15 से 18 हजार के करीब है. वहीं राजसमंद में 221610 मतदाता हैं, इनमें से 20,000 से 23,000 गुर्जर मतदाता हैं. वोटों के लिहाज से गुर्जर मतदाता काफी अहम फैक्टर इन दोनों सीटों पर हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी को गुर्जर वोट बैंक को खुद से छिटकने से रोकने के लिए सचिन पायलट को उतारना होगा. सचिन पायलट का युवाओं में खासा क्रेज है साथ ही उनके कद का कोई गुर्जर नेता राजस्थान में फिलहाल नहीं है.

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