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उपचुनाव की जंग में किसका रहेगा 'नेतृत्व', भाजपा के गलियारों में बस यही चर्चा - discussion in BJP corridors

प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को लेकर भाजपा ने चुनावी शंखनाद कर दिया है. हाल ही में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ता सम्मेलन करके इसकी शुरुआत भी कर दी और अब गुरुवार और शुक्रवार को राजसमंद और सहाड़ा विधानसभा क्षेत्रों का भी दौरा कर सभाओं को संबोधित करेंगे, लेकिन सियासी गलियारों में इन दिनों चर्चा एक ही है कि आखिर उपचुनाव किसके नेतृत्व में लड़े जाएंगे या फिर इसमें किसका चेहरा आगे रखा जाएगा. सियासत में इस तरह की चर्चा होना लाजमी भी है क्योंकि उपचुनाव के परिणाम ही तय करेंगे कि साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का रुख किसकी और होगा.

discussion in BJP corridors, राजस्थान में उपचुनाव
भाजपा के गलियारों में चर्चा
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Published : Jan 21, 2021, 2:28 PM IST

जयपुर. प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को लेकर भाजपा ने चुनावी शंखनाद कर दिया है. हाल ही में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ता सम्मेलन करके इसकी शुरुआत भी कर दी और अब गुरुवार और शुक्रवार को राजसमंद और सहाड़ा विधानसभा क्षेत्रों का भी दौरा कर सभाओं को संबोधित करेंगे, लेकिन सियासी गलियारों में इन दिनों चर्चा एक ही है कि आखिर उपचुनाव किसके नेतृत्व में लड़े जाएंगे या फिर इसमें किसका चेहरा आगे रखा जाएगा.

सियासत में इस तरह की चर्चा होना लाजमी भी है क्योंकि उपचुनाव के परिणाम ही तय करेंगे कि साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का रुख किसकी और होगा. ऐसे में इस उपचुनाव में जिन नेताओं के पसीने से भाजपा रूपी कमल का फूल खिलेगा उन नेताओं पर ही अगले विधानसभा चुनाव का बहुत कुछ दारोमदार रहेगा. यही प्रमुख कारण है कि भाजपा के सियासी गलियारों में यह चर्चा आम हो चुकी है कि उपचुनाव किसके नेतृत्व और चेहरे पर लड़ा जाएगा.

यह भी पढ़ेंः राजस्थान के लिए गर्व का अवसर: गणतंत्र दिवस पर पहली बार महिला फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्वाति राठौड़ करेंगी नेतृत्व

चुनावी आगाज और दौरों की शुरुआत में केवल पूनिया ही आगे

जिस तरह सालासर बालाजी के दर्शनों के बाद पूनिया ने उपचुनाव का सियासी शंखनाद किया और सुजानगढ़ में कार्यकर्ता सम्मेलन को भी संबोधित किया. वो प्रदेश में भाजपा की ओर से उप चुनाव का आगाज ही था अब शुक्रवार और शनिवार को सतीश पूनिया राजसमंद और सहाड़ा विधानसभा क्षेत्र में भी चुनावी दौरा करके सभा और बैठक को संबोधित करेंगे. इसके सीधे तौर पर सियासी मायने यही है कि प्रदेश भाजपा की ओर से पार्टी के मुखिया पूनिया ने उपचुनाव की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है और अपने परिश्रम का पसीना बहाना भी शुरू कर दिया है ताकि भाजपा का कमल उपचुनाव में खिल सके. हालांकि. यह अभी शुरुआत है और भाजपा के अन्य प्रदेश के नेता भी उपचुनाव में अपना पसीना भारतीय देखेंगे लेकिन उसकी रणनीति प्रदेश नेतृत्व ही तय करेगा.

यह भी पढ़ेंः आज पंचतत्व में विलीन होंगे गजेंद्र सिंह शक्तावत, सचिन पायलट समेत सरकार के कई मंत्री होंगे शामिल

'मोदी का चेहरा और कमल का निशान यही होगा उपचुनाव में भाजपा का नेतृत्व और चेहरा'

सियासी धरातल पर उपचुनाव की भाग दौड़ में केवल बड़े नेताओं के नाम पर सतीश पूनिया की भागदौड़ ही पार्टी में नजर आ रही है. वहीं, पूनिया से जब इस बारे में सवाल पूछा गया तो जवाब था कि इन चुनावों में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा और कमल का निशान आगे रहेगा जिसके पीछे तमाम भाजपा के कार्यकर्ता रहेंगे. मतलब साफ है मोदी के चेहरे और कमल के निशान पर ही बीजेपी ये उपचुनाव लड़ने जा रही है.

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इन विधानसभा सीटों पर होने है उपचुनाव

प्रदेश में 4 विधानसभा सीटें विधायकों के निधन के चलते रिक्त हो चुकी है. इनमें सुजानगढ़, सहाड़ा, राजसमंद ओर अब वल्लभनगर इस सीट शामिल हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में इन चारों में से महज एक ही सीट राजसमंद भाजपा के खाते में गई थी, जहां वरिष्ठ नेता किरण माहेश्वरी ने अपनी जीत दर्ज की थी जबकि बची हुई 3 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था, जिनमें सुजानगढ़ में मास्टर भंवरलाल मेघवाल, सहाड़ा में कैलाश त्रिवेदी और वल्लभनगर में गजेंद्र सिंह शक्तावत कांग्रेस विधायक थे. चूंकि अब यह चारों ही विधायक इस दुनिया में नहीं रहे लिहाजा आगामी कुछ माह में इन सीटों पर उपचुनाव होना तय है.

जयपुर. प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को लेकर भाजपा ने चुनावी शंखनाद कर दिया है. हाल ही में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ता सम्मेलन करके इसकी शुरुआत भी कर दी और अब गुरुवार और शुक्रवार को राजसमंद और सहाड़ा विधानसभा क्षेत्रों का भी दौरा कर सभाओं को संबोधित करेंगे, लेकिन सियासी गलियारों में इन दिनों चर्चा एक ही है कि आखिर उपचुनाव किसके नेतृत्व में लड़े जाएंगे या फिर इसमें किसका चेहरा आगे रखा जाएगा.

सियासत में इस तरह की चर्चा होना लाजमी भी है क्योंकि उपचुनाव के परिणाम ही तय करेंगे कि साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का रुख किसकी और होगा. ऐसे में इस उपचुनाव में जिन नेताओं के पसीने से भाजपा रूपी कमल का फूल खिलेगा उन नेताओं पर ही अगले विधानसभा चुनाव का बहुत कुछ दारोमदार रहेगा. यही प्रमुख कारण है कि भाजपा के सियासी गलियारों में यह चर्चा आम हो चुकी है कि उपचुनाव किसके नेतृत्व और चेहरे पर लड़ा जाएगा.

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जिस तरह सालासर बालाजी के दर्शनों के बाद पूनिया ने उपचुनाव का सियासी शंखनाद किया और सुजानगढ़ में कार्यकर्ता सम्मेलन को भी संबोधित किया. वो प्रदेश में भाजपा की ओर से उप चुनाव का आगाज ही था अब शुक्रवार और शनिवार को सतीश पूनिया राजसमंद और सहाड़ा विधानसभा क्षेत्र में भी चुनावी दौरा करके सभा और बैठक को संबोधित करेंगे. इसके सीधे तौर पर सियासी मायने यही है कि प्रदेश भाजपा की ओर से पार्टी के मुखिया पूनिया ने उपचुनाव की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है और अपने परिश्रम का पसीना बहाना भी शुरू कर दिया है ताकि भाजपा का कमल उपचुनाव में खिल सके. हालांकि. यह अभी शुरुआत है और भाजपा के अन्य प्रदेश के नेता भी उपचुनाव में अपना पसीना भारतीय देखेंगे लेकिन उसकी रणनीति प्रदेश नेतृत्व ही तय करेगा.

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सियासी धरातल पर उपचुनाव की भाग दौड़ में केवल बड़े नेताओं के नाम पर सतीश पूनिया की भागदौड़ ही पार्टी में नजर आ रही है. वहीं, पूनिया से जब इस बारे में सवाल पूछा गया तो जवाब था कि इन चुनावों में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा और कमल का निशान आगे रहेगा जिसके पीछे तमाम भाजपा के कार्यकर्ता रहेंगे. मतलब साफ है मोदी के चेहरे और कमल के निशान पर ही बीजेपी ये उपचुनाव लड़ने जा रही है.

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