जयपुर. बहुजन समाज पार्टी के 6 विधायकों का कांग्रेस में विलय तो हो गया है, जिसके बाद प्रदेश सरकार भी बहुमत के आंकड़े से 6 कदम आगे निकल गई. लेकिन इस विलय कहां आने वाले निकाय चुनाव में कांग्रेस को कितना फायदा मिल पाएगा और बीजेपी को कितना नुकसान होगा इसका आकलन होना बाकी है. हालांकि इस विलय से भाजपा अपने वोट बैंक पर कोई असर नहीं पड़ने की बात कहती है तो वही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत निकाय चुनाव में इसके सियासी फायदे या नुकसान का निर्णय पब्लिक के मूड पर छोड़ते हैं.
इन क्षेत्रों में बसपा विधायकों का है प्रभाव
बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा उदयपुरवाटी से आते हैं, वहीं भरतपुर के नगर से आने वाले वाजिब अली और नदबई से आने वाले जोगेंद्र सिंह अवाना का भी अपने क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभाव है. इसी तरह अलवर के तिजारा से संदीप कुमार और किशनगढ़बास से दीपचंद खेरिया आते हैं, तो वहीं करौली से लाखन सिंह विधायक हैं.
मतलब करौली, भरतपुर और उदयपुरवाटी के कुछ इलाकों में कांग्रेस की स्थिति और मजबूत होगी जिसका सीधे तौर पर नुकसान बीजेपी को आगामी निकाय चुनाव में होने की संभावना है. हालांकि भाजपा नेता इस विलय से बीजेपी को आगामी निकाय चुनाव में किसी भी प्रकार के नुकसान से इनकार करते हैं. उनके अनुसार भाजपा का अपना वोट बैंक है और जिस तरह बसपा के विधायकों ने अपनी पार्टी छोड़कर जनता के साथ विश्वासघात किया है उसका भी फायदा निकाय चुनाव में बीजेपी को ही मिलेगा.
पढ़ेंः गहलोत की 'सर्जिकल स्ट्राइक' : ना बसपा को भनक लगी, ना राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पायलट को...
सियासी फायदा नुकसान जनता के मूड पर निर्भर- अशोक गहलोत
बसपा के 6 विधायक कांग्रेस में गए जिससे कांग्रेस का कुनबा भी बढ़ा लेकिन कुनबा बड़ा होने का फायदा निकाय चुनाव में होगा या नहीं इसको लेकर खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी आश्वस्त नहीं है. क्योंकि वे इसका निर्णय जनता पर छोड़ते हैं. मुख्यमंत्री से जब इस संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह पब्लिक के मूड पर निर्भर करता है लेकिन साथ में यह भी कहा कि जिस तरह का वातावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रवाद के नाम पर बनाया जा रहा है और यह साबित करने की कोशिश हो रही है यह केवल वही राष्ट्रवादी है बाकी और कोई नहीं उससे देश की जनता को बचना होगा.
पढ़ेंः 6 बसपा विधायकों के दल बदलने से मायावती का फूटा गुस्सा, कहा- कांग्रेस धोखेबाज पार्टी
बहराल इस साल के अंत में निकाय चुनाव होने हैं. निकाय चुनाव बेशक छोटे चुनाव होते हैं लेकिन स्थानीय विधायक और जनप्रतिनिधियों का उसमें दबदबा रहता है. अब जहां बहुजन समाज पार्टी के विधायकों का दबदबा था वे अपनी पार्टी से दूर कांग्रेस में चले गए. मतलब साफ है कि चुनाव में वे कांग्रेस की ही मदद करेंगे और इन क्षेत्रों में निकाय चुनाव में बसपा का झंडा उठाने वाले कार्यकर्ता भी शायद ही मिल पाए. मतलब इसका सबसे बड़ा नुकसान बसपा को होगा लेकिन फायदा कांग्रेस को मिलना हैं. इस बीच बीजेपी का दवा कितना सही बैठता है यह तो समय ही बताएगा.