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जयपुर में RSS ने नहीं निकाला पथ संचलन, 29 जगह शस्त्र पूजन और शारीरिक प्रदर्शन

कोरोना प्रोटोकॉल के चलते मुख्य मार्गों पर पथ संचलन नहीं करते हुए पौन्ड्रिक उद्यान के अंदर ही स्वयंसेवकों ने संचलन का प्रदर्शन किया. इस दौरान मौजूद रहे सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के लोगों ने स्वयंसेवकों पर पुष्प वर्षा की. गहलोत सरकार ने कोरोना गाइडलाइन को हवाला देकर पथ संचलन की अनुमति नहीं दी थी.

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Published : Oct 15, 2021, 11:26 AM IST

Updated : Oct 15, 2021, 12:17 PM IST

जयपुर न्यूज , राजस्थान न्यूज
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) 15 अक्टूबर को 96 साल का हो गया. संघ के स्थापना दिवस पर जयपुर में 29 स्थानों पर शस्त्र पूजन और शारीरिक प्रदर्शन का कार्यक्रम हुआ. हालांकि, इस बार कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर के चलते मुख्य मार्गों पर पथ संचलन (संघ की परेड) नहीं हुई. लेकिन संघ स्थान परिधि क्षेत्र में ही स्वयं सेवकों ने संचलन का प्रदर्शन जरूर किया.

जयपुर में RSS ने नहीं निकाला पथ संचलन

असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयादशमी पर ही 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहली शाखा नागपुर के मोहितों के बाड़े में लगाई गई थी. तब से लेकर अब तक हर वर्ष संघ का स्थापना दिवस विजयादशमी पर मनाया जाता है. शुक्रवार को विजयादशमी के मौके पर ही राजधानी जयपुर में 29 स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किया गया. जहां स्वयंसेवकों ने वर्ष पर्यंत संघ की शाखाओं में सीखे गए शारीरिक कार्यक्रम (दंड, योग, सूर्य-नमस्कार) का प्रदर्शन किया.

स्वयंसेवकों पर पुष्प वर्षा

इस दौरान संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं और मुख्य अतिथियों ने शस्त्र पूजन भी किया. वहीं जयपुर महानगर के पौन्ड्रिक नगर में स्वयंसेवकों ने घोष (संघ का बैंड) का भी विशेष प्रदर्शन किया. वहीं कोरोना प्रोटोकॉल के चलते मुख्य मार्गों पर पथ संचलन नहीं करते हुए पौन्ड्रिक उद्यान के अंदर ही स्वयंसेवकों ने संचलन का प्रदर्शन भी किया. इस दौरान मौजूद रहे सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के लोगों ने स्वयंसेवकों पर पुष्प वर्षा की.

पढ़ें- RSS Vijayadashmi Utsav 2021 में भागवत बोले- तालिबान भले ही बदले, पाक नहीं

पौन्ड्रिक नगर के संघचालक वैद्य केदार शर्मा ने बताया कि संघ प्रमुख रूप से छह उत्सव मनाता है. इनमें से एक विजयादशमी है, जो हिंदू समाज का प्रमुख उत्सव है. इस पर्व पर शक्ति की उपासना होती है. उन्होंने बताया कि संघ का ध्येय है हिंदू समाज को संगठित करके एक अभेद्य संगठन शक्ति का निर्माण करना. उस के माध्यम से राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाना. कार्यक्रम में वीरता के प्रतीक शस्त्रों का पूजन किया गया. संघ में सीखे जाने वाले कार्यक्रमों का आम जनता के सामने प्रदर्शन किया गया.

वहीं कोरोना प्रोटोकॉल के चलते मुख्य मार्गों पर पथ संचलन नहीं करते हुए, स्वयंसेवकों में अनुशासन और सम्यकता बनी रहे इसके लिए संघस्थान परिधि में ही संचलन निकाला गया. आपको बता दें कि 2025 में संघ का शताब्दी वर्ष है. इसमें घोष के साथ कई बड़े आयोजनों की तैयारी अभी से ही शुरू कर दी गई है.

जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) 15 अक्टूबर को 96 साल का हो गया. संघ के स्थापना दिवस पर जयपुर में 29 स्थानों पर शस्त्र पूजन और शारीरिक प्रदर्शन का कार्यक्रम हुआ. हालांकि, इस बार कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर के चलते मुख्य मार्गों पर पथ संचलन (संघ की परेड) नहीं हुई. लेकिन संघ स्थान परिधि क्षेत्र में ही स्वयं सेवकों ने संचलन का प्रदर्शन जरूर किया.

जयपुर में RSS ने नहीं निकाला पथ संचलन

असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयादशमी पर ही 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहली शाखा नागपुर के मोहितों के बाड़े में लगाई गई थी. तब से लेकर अब तक हर वर्ष संघ का स्थापना दिवस विजयादशमी पर मनाया जाता है. शुक्रवार को विजयादशमी के मौके पर ही राजधानी जयपुर में 29 स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किया गया. जहां स्वयंसेवकों ने वर्ष पर्यंत संघ की शाखाओं में सीखे गए शारीरिक कार्यक्रम (दंड, योग, सूर्य-नमस्कार) का प्रदर्शन किया.

स्वयंसेवकों पर पुष्प वर्षा

इस दौरान संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं और मुख्य अतिथियों ने शस्त्र पूजन भी किया. वहीं जयपुर महानगर के पौन्ड्रिक नगर में स्वयंसेवकों ने घोष (संघ का बैंड) का भी विशेष प्रदर्शन किया. वहीं कोरोना प्रोटोकॉल के चलते मुख्य मार्गों पर पथ संचलन नहीं करते हुए पौन्ड्रिक उद्यान के अंदर ही स्वयंसेवकों ने संचलन का प्रदर्शन भी किया. इस दौरान मौजूद रहे सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के लोगों ने स्वयंसेवकों पर पुष्प वर्षा की.

पढ़ें- RSS Vijayadashmi Utsav 2021 में भागवत बोले- तालिबान भले ही बदले, पाक नहीं

पौन्ड्रिक नगर के संघचालक वैद्य केदार शर्मा ने बताया कि संघ प्रमुख रूप से छह उत्सव मनाता है. इनमें से एक विजयादशमी है, जो हिंदू समाज का प्रमुख उत्सव है. इस पर्व पर शक्ति की उपासना होती है. उन्होंने बताया कि संघ का ध्येय है हिंदू समाज को संगठित करके एक अभेद्य संगठन शक्ति का निर्माण करना. उस के माध्यम से राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाना. कार्यक्रम में वीरता के प्रतीक शस्त्रों का पूजन किया गया. संघ में सीखे जाने वाले कार्यक्रमों का आम जनता के सामने प्रदर्शन किया गया.

वहीं कोरोना प्रोटोकॉल के चलते मुख्य मार्गों पर पथ संचलन नहीं करते हुए, स्वयंसेवकों में अनुशासन और सम्यकता बनी रहे इसके लिए संघस्थान परिधि में ही संचलन निकाला गया. आपको बता दें कि 2025 में संघ का शताब्दी वर्ष है. इसमें घोष के साथ कई बड़े आयोजनों की तैयारी अभी से ही शुरू कर दी गई है.

Last Updated : Oct 15, 2021, 12:17 PM IST
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