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Water crisis in Jaipur: सूरज की पहली किरण के साथ ही 'पानी की जंग' लड़ने को मजबूर...4 किमी का सफर तय कर बुझाते हैं प्यास

जल जीवन मिशन का मुद्दा केंद्र और राज्य सरकार के बीच गरमाया हुआ है. दोनों सरकार (Water Scarcity in Rajasthan) जल जीवन मिशन के जरिए ग्रामीण इलाकों में पानी पहुंचाने का दावा करती है, लेकिन आजादी के 75 साल बाद आज भी गांव के हालात जस के तस हैं. जल जीवन मिशन सहित कई योजनाएं बनाई तो गई हैं, लेकिन सिर्फ कागजों पर. धरातल की हकीकत तो कुछ और ही है...

Water crisis in Jaipur
जयपुर में पानी के लिए लोग लड़ रहे जंग
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Published : May 6, 2022, 6:15 PM IST

जयपुर. राजस्थान के कई जिलों में लोग जल संकट की समस्या से जूझ रहे हैं. लोग धरने-प्रदर्शन करते हैं, समाधान का आश्वसन भी मिलता है. लेकिन स्थिति आज भी जस की तस है. सरकार जल जीवन मिशन के तहत हर गांव में पेयजल उपलब्ध करवाने का दावा करती तो है, लेकिन धरातल पर इस योजना की हकीकत बिल्कुल अलग है. राजधानी जयपुर से महज 70 से 75 किलोमीटर दूर स्थित गांवों के हालात कुछ ऐसे ही हैं. इन ग्रामीण क्षेत्रों में पानी लाने का जतन सूरज की पहली किरण से शुरू होकर दिन ढलने तक चलता है. ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे, जवान, बुजुर्ग, महिलाएं, पुरुष सभी लोग अपनी और अपनों की प्यास बुझाने के लिए जतन करने को मजबूर हैं.

दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां भूजल स्तर काफी नीचे जा चुका है, या पानी आता भी है तो खारा. जयपुर (Water crisis in Jaipur) जिले के सांभर उपखंड क्षेत्र के गांव में लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी से ज्यादा चिंता प्यास बुझाने की रहती है. सांभर उपखंड के बडडोती, रुड़की, कोरसीना, कुच्या की ढाणी, आसलपुर सहित दर्जनों गांव में ग्रामीण आज भी पानी के लिए जद्दोजहद करते नजर आते हैं. यहां के लोग तेज धूप में भी पानी के लिए 3 से 4 किलोमीटर दूर जाते हैं.

जयपुर में पानी के लिए लोग लड़ रहे जंग

पढ़ें-Water Crisis in Alwar : गर्मी के साथ जल संकट भी शुरू, महिलाओं ने रोका अधिकारियों का रास्ता...

इधर सरकार कहती है कि उसके राज में सब कुछ ठीक-ठाक है. लोगों को मूलभूत सुविधाएं आसानी (Villagers Facing problem of drinking water in Jaipur) से उपलब्ध हो रही हैं. ग्रामीणों ने सरपंच से लेकर जिला कलेक्टर तक पानी की समस्या को लेकर गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. ग्रामीण क्षेत्रों के रसूखदार लोग तो टैंकरों से पानी मंगवा कर अपना गुजारा कर लेते हैं. लेकिन दूसरी ओर आम नागरिक आज भी पानी के लिए रोज एक नई जंग लड़ रहा है.

10 साल से समस्या का नहीं हुआ समाधान: हर दिन सिर पर पानी ढोकर लाने वाली 65 वर्षीय महिला मोहनी देवी ने बताया कि पीने, खाना बनाने, नहाने और मवेशियों के लिए पानी की जरूरत होती है. यहां 10 साल से पानी की समस्या बनी हुई है. जनप्रतिनिधियों को भी कई बार गुहार लगाई लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है. भंवरी देवी ने बताया कि चुनाव के दौरान नेता वोट लेने तो आते हैं, लेकिन जीतने के बाद फिर दोबारा मुंह नहीं दिखाते. काफी सालों से पानी की समस्या बनी हुई है. घर के बच्चे-बहुएं शर्म के मारे पानी लेने नहीं जाती, इसलिए घर के बुजुर्गों को ही पानी लाने के लिए दूर अलग-अलग ढाणियों पर जाना पड़ता है.

पढ़ें-Water crisis in Dausa: पानी की समस्या को लेकर सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने किया मटका फोड़ प्रदर्शन

3-4 किमी चलने पर मिलता है पानी: भंवरी देवी ने बताया कि पिछले दस साल से इसी तरह से 3 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार कागजों पर ही योजना बना कर इतिश्री कर लेती है. उसे अमल में नहीं लाती. जिसके कारण हम जैसे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. पंचायत स्तर के अलावा जिला स्तर पर भी ये समस्या उठा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है. नेता हमारे गांव में पानी की व्यवस्था ठीक कर दे तो हम लोग गंगा नहा लेंगे.

जयपुर. राजस्थान के कई जिलों में लोग जल संकट की समस्या से जूझ रहे हैं. लोग धरने-प्रदर्शन करते हैं, समाधान का आश्वसन भी मिलता है. लेकिन स्थिति आज भी जस की तस है. सरकार जल जीवन मिशन के तहत हर गांव में पेयजल उपलब्ध करवाने का दावा करती तो है, लेकिन धरातल पर इस योजना की हकीकत बिल्कुल अलग है. राजधानी जयपुर से महज 70 से 75 किलोमीटर दूर स्थित गांवों के हालात कुछ ऐसे ही हैं. इन ग्रामीण क्षेत्रों में पानी लाने का जतन सूरज की पहली किरण से शुरू होकर दिन ढलने तक चलता है. ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे, जवान, बुजुर्ग, महिलाएं, पुरुष सभी लोग अपनी और अपनों की प्यास बुझाने के लिए जतन करने को मजबूर हैं.

दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां भूजल स्तर काफी नीचे जा चुका है, या पानी आता भी है तो खारा. जयपुर (Water crisis in Jaipur) जिले के सांभर उपखंड क्षेत्र के गांव में लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी से ज्यादा चिंता प्यास बुझाने की रहती है. सांभर उपखंड के बडडोती, रुड़की, कोरसीना, कुच्या की ढाणी, आसलपुर सहित दर्जनों गांव में ग्रामीण आज भी पानी के लिए जद्दोजहद करते नजर आते हैं. यहां के लोग तेज धूप में भी पानी के लिए 3 से 4 किलोमीटर दूर जाते हैं.

जयपुर में पानी के लिए लोग लड़ रहे जंग

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इधर सरकार कहती है कि उसके राज में सब कुछ ठीक-ठाक है. लोगों को मूलभूत सुविधाएं आसानी (Villagers Facing problem of drinking water in Jaipur) से उपलब्ध हो रही हैं. ग्रामीणों ने सरपंच से लेकर जिला कलेक्टर तक पानी की समस्या को लेकर गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. ग्रामीण क्षेत्रों के रसूखदार लोग तो टैंकरों से पानी मंगवा कर अपना गुजारा कर लेते हैं. लेकिन दूसरी ओर आम नागरिक आज भी पानी के लिए रोज एक नई जंग लड़ रहा है.

10 साल से समस्या का नहीं हुआ समाधान: हर दिन सिर पर पानी ढोकर लाने वाली 65 वर्षीय महिला मोहनी देवी ने बताया कि पीने, खाना बनाने, नहाने और मवेशियों के लिए पानी की जरूरत होती है. यहां 10 साल से पानी की समस्या बनी हुई है. जनप्रतिनिधियों को भी कई बार गुहार लगाई लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है. भंवरी देवी ने बताया कि चुनाव के दौरान नेता वोट लेने तो आते हैं, लेकिन जीतने के बाद फिर दोबारा मुंह नहीं दिखाते. काफी सालों से पानी की समस्या बनी हुई है. घर के बच्चे-बहुएं शर्म के मारे पानी लेने नहीं जाती, इसलिए घर के बुजुर्गों को ही पानी लाने के लिए दूर अलग-अलग ढाणियों पर जाना पड़ता है.

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3-4 किमी चलने पर मिलता है पानी: भंवरी देवी ने बताया कि पिछले दस साल से इसी तरह से 3 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार कागजों पर ही योजना बना कर इतिश्री कर लेती है. उसे अमल में नहीं लाती. जिसके कारण हम जैसे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. पंचायत स्तर के अलावा जिला स्तर पर भी ये समस्या उठा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है. नेता हमारे गांव में पानी की व्यवस्था ठीक कर दे तो हम लोग गंगा नहा लेंगे.

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