जयपुर. राजधानी जयपुर में लीकेज के कारण दो फीसदी पानी व्यर्थ बह जाता है. पानी के अवैध दोहन, बिलिंग के पानी सप्लाई, अवैध कनेक्शन और फिजिकली लीकेज से कुल 25 फीसदी पानी व्यर्थ बह जाता है. जयपुर शहर दो जोन में बंटा हुआ है, जयपुर शहर उत्तर और जयपुर शहर दक्षिण. जयपुर शहर उत्तर की बात की जाए तो यहां दक्षिण के मुकाबले ज्यादा लीकेज होते हैं. क्योंकि दक्षिण जोन में इन्फ्राट्रक्चर ज्यादा मजबूत हैं. जब लॉकडाउन हुआ था, तब जल भवन में शिकायतों के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया था. तब से 31 जुलाई तक कंट्रोल रूम में 2 हजार शिकायत दर्ज हुई है.
इन शिकायतों में से 84 फीसदी यानी करीब 1664 शिकायतें पानी के टैंकरों को लेकर थी. दस फीसदी यानी करीब 216 शिकायत पानी के प्रेशर को लेकर थी. 2.3 फीसदी यानी 43 लीकेज, दो फीसदी यानी 46 शिकायत ट्यूबवेल को लेकर थी. 1.5 फीसदी शिकायत गंदे पानी को लेकर थी. जोन उत्तर के अधीक्षण अभियंता अजय सिंह राठौड़ ने बताया कि सबसे ज्यादा लीकेज की शिकायतें ग्राहक कनेक्शन को लेकर आती है. मुख्य लाइन से घरों तक जो कनेक्शन जाता है, उसमें सबसे अधिक लीकेज होता है. यह लीकेज करीब 80 प्रतिशत तक होता है. 10 प्रतिशत लीकेज एजेंसियां जैसे जेडीए आदि के काम करने के कारण होता है. बाकी 10 फीसदी लीकेज के अन्य कारणों से होता है.
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जयपुर शहर क्षेत्र की बात की जाए तो परकोटे में सबसे ज्यादा लीकेज की समस्या आती है. यहां कनेक्शन और पाइपलाइन कई साल पुरानी है, जिसके कारण यहां लीकेज अक्सर देखने को मिलता है. अधिकारियों की मानें तो यहां 40 साल पुरानी पाइप लाइनों से अभी तक पानी सप्लाई किया जा रहा है. परकोटे के बाद सबसे अधिक लीकेज विद्याधर नगर क्षेत्र में होता है.
अजय सिंह राठौड़ ने बताया कि लीकेज दो तरीके से होता है पहला फिजिकली, दूसरा बिना बिलिंग के उपयोग होने वाला पानी. उन्होंने बताया कि अवैध कनेक्शन, मीटर बंद होने के बावजूद भी पानी का उपयोग, बिल जमा नहीं कराने पर होने वाले नुकसान को भी लीकेज में ही गणना की जाती है. इस तरह से करीब 25 फीसदी पानी का नुकसान विभाग को हो रहा है. यानि 25 फीसदी पानी की बिलिंग विभाग नहीं कर पा रहा है.
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राठौड़ ने कहा कि यदि शहर में 100 लीटर पानी दिया जा रहा है तो उसमें से 75 फीसदी पानी की ही बिलिंग विभाग की ओर से की जा रही है. इससे विभाग को राजस्व का नुकसान हो रहा है. राठौड़ ने उदाहरण देते हुए बताया कि बनीपार्क में एनआरडब्ल्यू नॉन रेवेन्यू वाटर की मात्रा 38 फीसदी थी. इस पानी का राजस्व विभाग को नहीं मिल रहा था, इसके बाद विभाग ने बनीपार्क इलाके के सभी मीटर बदल दिए. मीटर बदलने से उपयोग में आने वाले पानी की गणना सही तरीके से हुई और एनआरडब्ल्यू की मात्रा घट कर 17 फीसदी ही रह गई. हालांकि इसके कारण जनता में आक्रोश जरूर पैदा हुआ, लेकिन समझाइश के बाद जनता ने माना कि जो मीटर लगाए गए हैं वह सही हैं.
राठौड़ ने कहा कि यदि पानी की सप्लाई रिसाव प्रूफ हो जाएगी तो इससे विभाग को कई फायदे होंगे, जितना पानी लोगों को सप्लाई किया जा रहा है. उसका उपयोग पूरी तरह से किया जा सकेगा. लोगों को शुद्ध पानी पीने के लिए मिलेगा. विभाग को लीकेज के कारण राजस्व का भी नुकसान होता है, वह भी नहीं होगा. पानी को लेकर आने वाली अन्य शिकायतें भी कम हो जाएगी और लोगों को शुद्ध पानी मिल सकेगा.
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पूर्व पार्षद विकास कोठारी ने बताया कि परकोटे में सीवरेज और पाइप लाइन सालों पुरानी है और दोनों एक दूसरे के समांतर ही हैं. इसके कारण जब सीवरेज लीकेज होती है तो घरों में गंदा पानी पहुंच जाता है. विभाग ने कई जगह सीवरेज लाइन बदली है तो कहीं पर पाइपलाइन को बदल दिया गया है. परकोटे में अमृत जल योजना के तहत सीवरेज और पाइपलाइन को बदलना था, लेकिन इसका काम अभी भी अधूरा पड़ा हुआ है. विकास कोठारी ने मांग किया है कि अमृत जल योजना का काम बड़े स्तर पर होना चाहिए. ताकि परकोटे की जो कई साल पुरानी पाइप लाइन और सीवरेज लाइन हैं, उनको बदला जा सके. ताकि लोगों को शुद्ध पानी मिल सके.