जयपुर. JDA की वेस्ट-वे हाइट्स योजना से प्रभावित काश्तकार/खातेदारों ने रिट याचिकाओं को वापस लेने के लिए समर्पण पत्र भरे. जेडीए की ओर से योजना की रिप्लानिंग की गई और अब प्रभावितों को लॉटरी से भूखंड का आवंटन किया जा रहा है.
साल 1989 में अजमेर रोड पर ट्रक टर्मिनल योजना के तहत लैंड एक्विजिशन की कार्रवाई शुरू की गई थी. इसके बाद सेकेंड फेज में 2002 में लैंड एक्विजिशन की गई, लेकिन काश्तकार-किसान और जेडीए के बीच मुआवजे को लेकर विवाद चल रहे थे, जिसमें तकरीबन 25 याचिका उच्च न्यायालय में दर्ज हैं. कुछ में स्थगन आदेश भी थे. उनमें काश्तकारों के साथ बैठ समझौता बनाया गया, जिस पर एंपावर्ड कमेटी की बैठक में अनुमति दी गई.
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में आयोजित हुई एंपावर्ड कमेटी की बैठक में लिए गए निर्णय की पालना में जेडीए की ओर से वेस्ट-वे हाइट्स योजना के प्रभावित काश्तकारों और खातेदारों की मांगे मानते हुए, सहमति के आधार पर समर्पण पत्र/ शपथ पत्र पेश किए.
यह भी पढ़ेंः किसानों को मनाएं या खुद मान जाए, लेकिन आंदोलन को खत्म कराए केंद्र सरकार : सीएम गहलोत
जेडीसी गौरव गोयल ने बताया कि इस योजना से प्रभावित काश्तकारों/ खातेदारों के साथ बैठक कर जेडीए की ओर से योजना की रिप्लानिंग की गई और प्रभावितों को लॉटरी से भूखंडों का आवंटन करने की मांग को मानते हुए, उनकी सहमति से समर्पणनामा, समझौता पत्र के बाद आरक्षण पत्र जारी किए जाने के लिए योजना स्थल पर ही शिविर आयोजित करने का निर्णय लिया गया था. शनिवार को सात प्रभावितों में रिट याचिकाओं को वापस लेने के लिए समर्पण पत्र और शपथ पत्र प्रस्तुत किए.
उधर, जेडीए के प्रवर्तन दस्ते की ओर से पीआरएन उत्तर में जेडीए की बिना अनुमति और स्वीकृति अवैध निर्माण किया गया था. यहां सेटबैक और बायलॉज का गंभीर वायलेशन करते हुए अवैध मकान बनाया गया था, जिसे रोकने के लिए पहले जेडीए एक्ट की धारा 32, 33 के नोटिस भी दिए गए थे. बावजूद इसके निर्माण कार्य जारी रखा गया. ऐसे में शनिवार को जेडीए की प्रवर्तन शाखा ने अवैध निर्माण पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की.