जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बीवीजी कंपनी के नगर निगम पर बकाया 276 करोड़ रुपए के भुगतान के बदले बीस करोड़ की रिश्वत मांगने से जुडे़ मामले में आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम को गिरफ्तार करने पर एक सप्ताह की अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने निंबाराम को निर्देश दिए हैं कि वह सात दिन में अनुसंधान अधिकारी के समक्ष उपस्थित हो.
न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश निंबाराम क आपराधिक याचिका पर दिए. अदालत ने एसीबी के आलाधिकारियों को कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि प्रकरण की जांच बिना किसी बाहरी दबाव के निष्पक्ष तरीके से की जाए. वहीं अदालत ने नौ नवंबर को प्रकरण में किए गए अनुसंधान की रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि प्रकरण में दो आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश होकर याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच लंबित रखी गई है. ऐसे में फिलहाल एफआईआर को रद्द करने या उस पर अग्रिम अनुसंधान करने पर रोक नहीं लगाई जा सकती. याचिकाकर्ता से प्रताप गौरव केन्द्र के लिए दान देने को लेकर मीटिंग हुई या नहीं? और याचिकाकर्ता का आशय सिर्फ दान तक ही सीमित रहा या रिश्वत में लेनदेन में उसकी सक्रिय भूमिका रही? इन बिंदुओं पर जांच एजेन्सी को अनुसंधान करना है, लेकिन एजेन्सी का यह दायित्व है कि वह बिना किसी बाहरी दबाव के निष्पक्ष तरीके से जांच करें.
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याचिका में कहा गया कि प्रकरण में याचिकाकर्ता का नाम राजनीतिक द्वेषता के चलते शामिल किया गया है. बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि और राजाराम गुर्जर उसके पास राम मंदिर के चंदे का प्रस्ताव लेकर आए थे, लेकिन तब तक चंदा लेने की समयावधि पूरी हो चुकी थी. इस पर याचिकाकर्ता ने प्रताप गौरव केन्द्र के लिए चंदा देने का सुझाव दिया था. याचिकाकर्ता के साथ गत बीस अप्रैल को बैठक के दौरान कंपनी के प्रतिनिधियों ने चंदे के साथ ही कंपनी की समस्याओं के बारे में बताया था. इसके अलावा ऑडियो-वीडियो क्लिप में बदले की भावना से कांट-छांट की गई है.
याचिका में कहा गया कि पूरी कार्रवाई आरएसएस की छवि को खराब करने के लिए की गई है. सत्तारूढ़ पार्टी के नेता सार्वजनिक मंच पर उसके खिलाफ बयानबाजी कर प्रस्ताव पारित कर रहे हैं और उसकी गिरफ्तारी के बयान दे रहे हैं. एसीबी ने सत्ता के दबाव में आकर एफआईआर में याचिकाकर्ता का नाम शामिल किया है. एसीबी का दायित्व है कि वह मामले में निष्पक्ष जांच करे. जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील गणेश सैनी ने कहा कि कंपनी के बकाया भुगतान के बदले रिश्वत की बातचीत में निंबाराम की सक्रिय भागीदारी रही है. एसीबी के पास रिश्वत के पर्याप्त साक्ष्य हैं.
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वहीं याचिकाकर्ता अनुसंधान के लिए भी नहीं आया है. मामले में राजनीतिक द्वेषता का आरोप बेबुनियाद है जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने निंबाराम की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए दिशा-निर्देश जारी किए हैं.
वायरल वीडियो के आधार पर एसीबी ने पूर्व मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम, बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि ओमकार सप्रे, संदीप चौधरी और निंबाराम के खिलाफ मामला दर्ज किया था. एसीबी ने गत दिनों राजाराम और सप्रे के खिलाफ आरोप पत्र पेश करते हुए चौधरी व निंबाराम के खिलाफ जांच लंबित रखी है.
निंबाराम की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
राजस्थान हाईकोर्ट ने बीवीजी कंपनी के नगर निगम पर बकाया 276 करोड़ रुपए के भुगतान के बदले बीस करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. निंबाराम ने आपराधिक याचिका दायर कर अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर और एसीबी की कार्रवाई को रद्द करने की गुहार लगाई है.
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याचिका में कहा गया कि प्रकरण में याचिकाकर्ता का नाम राजनीतिक द्वेषता के चलते शामिल किया गया है. सत्तारूढ़ पार्टी के नेता सार्वजनिक मंच पर उसके खिलाफ बयानबाजी कर प्रस्ताव पारित कर रहे हैं और उसकी गिरफ्तारी के बयान दे रहे हैं. प्रकरण में बकाया भुगतान को लेकर जो वीडियो सामने आया है, उसमें भी रिश्वत को लेकर याचिकाकर्ता की ओर से कोई बातचीत नहीं है. एसीबी ने सत्ता के दबाव में आकर एफआईआर में याचिकाकर्ता का नाम शामिल किया है. इसलिए एफआईआर से याचिकाकर्ता का नाम हटाया जाए और उसके खिलाफ एसीबी की ओर से की जा रही जांच को रोका जाए.
वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि एफआईआर में जांच एजेन्सी ने याचिकाकर्ता को आरोपी माना है. फिलहाल प्रकरण में अनुसंधान जारी है. ऐसे में याचिका को खारिज किया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. वायरल वीडियो के आधार पर एसीबी ने पूर्व मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम, बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि ओमकार सप्रे, संदीप चौधरी और निंबाराम के खिलाफ मामला दर्ज किया था. एसीबी ने गत दिनों राजाराम और सप्रे के खिलाफ आरोप पत्र पेश करते हुए चौधरी व निंबाराम के खिलाफ जांच लंबित रखी है.