जयपुर. विधानसभा सत्र से पहले भाजपा कांग्रेस पर अंतर्विरोध और अंतर कलह का आरोप लगा रही थी, लेकिन प्रदेश भाजपा भी फिलहाल विपक्ष के रूप में एक मुखी और एकजुट नजर नहीं आ रही. जिसका उदाहरण है भाजपा का 'हल्ला बोल' कार्यक्रम, जिससे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दूर ही रहीं. आलम ये रहा कि धरातल पर विरोध-प्रदर्शन ही नहीं, वर्चुअल तरीके से किए गए विरोध से भी वसुंधरा राजे ने दूरी बनाए रखी, जो अब चर्चा का विषय है.
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डिजिटल अभियान से राजे की दूरी...
बीजेपी ने 28 अगस्त को फेसबुक लाइव और 29 अगस्त को ट्विटर पर 'गहलोत कुर्सी छोड़ो' का डिजिटल अभियान चलाया. जिससे वसुंधरा ने दूरी बनाए रखा. ना तो उन्होंने डिजिटल अभियान का हिस्सा बनते हुए कोई पोस्ट किया और ना ही जुबानी हमला बोला. यह स्थिति तब है जब प्रदेश के लगभग हर बड़े नेता और राजस्थान से आने वाले केंद्रीय नेताओं ने भी इन अभियानों में बढ़ चढ़कर भाग लिया.
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भाजपा में सबकुछ ठीक ?
मौजूदा घटनाक्रम इस बात का सबूत है कि प्रदेश भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं है. ये कह सकते हैं कि प्रदेश भाजपा नेता फिलहाल दो खेमे में बंटे हुए नजर आ रहे हैं. एक जो पार्टी प्रदेश नेतृत्व के साथ दिख रहा है और दूसरा पूर्व मुख्यमंत्री के साथ नजर आ रहा है.
हालांकि, यह सब पर्दे के पीछे नजर आने वाली चीज है. सामने से पार्टी नेता एक दूसरे के साथ और एकजुट होने की बात कहते हैं, लेकिन पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का डिजिटल अभियान में भी हिस्सा ना लेना अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है. फिलहाल, राजे की ये दूरी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है.