जयपुर. प्रदेश में मचे सियासी घमासान के बीच अब तक पर्दे से गायब रही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक बार फिर सक्रीय नजर आने वाली हैं. अपने दिल्ली प्रवास से लौटकर अब 11 अगस्त को होने वाली भाजपा विधायक दल की बैठक में वसुंधरा राजे शामिल होंगी. हालांकि मौजूदा विधानसभा सत्र और सियासी घमासान में उनकी भूमिका क्या रहेगी इस पर राजे और उनके समर्थक फिलहाल वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं. वेट एंड वॉच की स्थिति इसलिए क्योंकि बदलती राजनीतिक परिस्थितियों में सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा यह अभी तय होना बाकी है.
सियासी घटनाक्रम में अब रहेगा राज्य का दखल, समर्थक विधायक एक्टिव
प्रदेश के मौजूदा सियासी घटनाक्रम पर अब तक राजे ने चुप्पी साधे रखी थी. गाहे-बगाहे इस चुप्पी का फायदा उठा कर उनके विरोधियों ने इस पर निशाना भी साधा. बीच-बीच में कांग्रेस नेताओं ने अपने बयानों में वसुंधरा राज्य का जिक्र भी किया, लेकिन वसुंधरा राजे ने सब्र रखा. हालांकि राजे ने अपने मुंह खोला लेकिन पार्टी आलाकमान जेपी नड्डा, वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह और संगठन महामंत्री बी एल संतोष के सामने.
हाल ही में हुई तीन प्रमुख नेताओं से वसुंधरा राजे की मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. लेकिन राजे समर्थक विधायक कहने लगे हैं कि अब वसुंधरा राजे की राजस्थान में पार्टी के स्तर पर दमदार वापसी होगी और इस मौजूदा सियासी घटनाक्रम में पार्टी के स्तर पर लिए जाने वाले तमाम निर्णय में उनके सुझाव को तवज्जो दी जाएगी.
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बीजेपी विधायकों को गुजरात भेजा, लेकिन राजे से नहीं ली सलाह
यह भी बताया जा रहा है कि जिस तरह भाजपा प्रदेश नेतृत्व ने कुछ विधायकों को गुजरात भेजा, उसमें भी वसुंधरा राजे की सहमति नहीं ली गई. जिससे वसुंधरा राजे नाराज थीं और अपनी नाराजगी उन्होंने जेपी नड्डा, बीएल संतोष और राजनाथ सिंह को भी बता दी है. साथ ही वे लगातार प्रदेश में अपने समर्थक विधायकों से संपर्क में भी हैं. वहीं, दबी जुबान यह विधायक मीडिया को इसकी जानकारी दे रहे हैं.
बीजेपी में भी है आंतरिक द्वंद्व, लेकिन दिखाई नहीं देता
भाजपा अब तक कांग्रेस में ही आंतरिक कलह का आरोप लगाती है. लेकिन बीजेपी इससे अछूती नहीं है. जिस तरह भाजपा के कुछ विधायकों को गुजरात भेजा गया, ये इस बात का सबूत है. क्योंकि गाहे-बगाहे पार्टी विधायकों में चर्चा इस बात की भी है कि यह वह विधायक हैं जिन पर प्रदेश नेतृत्व को विश्वास नहीं था. या फिर इन पर प्रदेश सरकार की ओर से किसी ना किसी तरह का दबाव था. सूचना यह भी है कि वसुंधरा राजे समर्थक विधायकों ने बिना वसुंधरा की अनुमति के बाहर जाने से इंकार कर दिया. लेकिन कोई भी विधायक इस बात का खुलासा खुलकर मीडिया के सामने नहीं करता.
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बीजेपी वेट एंड वॉच की स्थिति में...
11 अगस्त को भाजपा विधायक दल की बैठक में वसुंधरा राजे शामिल होंगी, तो संभवत: उसके बाद माना जा रहा है कि पार्टी की ओर से जो भी निर्णय होगा, उसमें राजे का सुझाव रहेगा. वहीं, अब पार्टी 11 अगस्त को हाईकोर्ट द्वारा बीएसपी विधायकों के विलय को लेकर आने वाले निर्णय के इंतजार में है.
जिसके बाद 14 अगस्त को विधानसभा सत्र में सचिन पायलट और सीएम से जुड़े विधायकों का रुख देखा जाएगा. मतलब बीजेपी वेट एंड वॉच की स्थिति में है और उसके साथ ही वसुंधरा राजे भी उसी स्थिति में हैं, क्योंकि इस तमाम घटनाओं को सुधारा जा रहा है. जिसके बाद जो भी समीकरण बनेंगे उसके बाद ही वसुंधरा की सक्रियता का सियासी गुणा भाग लगाया जा सकता है. लेकिन उससे पहले प्रदेश संगठन अपने विधायकों को एकजुट करने में जुटा हुआ है और वसुंधरा राजे अपने समर्थक विधायकों को एकजुट करने में लगी हैं.