जयपुर. पीसीसी चीफ और प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को स्कूल संचालकों द्वारा 10 करोड़ की मानहानि का नोटिस दिए जाने के मामले पर सियासत गर्म है. मामला शिक्षा मंत्री और निजी स्कूल संचालकों के बीच का है, लेकिन अब इसमें पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी भी कूद गए हैं. देवनानी ने कहा है कि शिक्षा धंधा नहीं सेवा कार्य है और जो कुछ डोटासरा ने कहा है वो शिक्षा मंत्री को शोभा नहीं देता.
जयपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान वासुदेव देवनानी ने कहा कि हो सकता है कुछ लोग सीमित मात्रा में कहीं ना कहीं शिक्षा के क्षेत्र में कोई कमी पेशी कर रहे हो. लेकिन सब को एक साथ धंधेबाज कहना उचित नहीं. उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री शैक्षणिक संस्थाओं की समस्या के समाधान के लिए प्रयास करें, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में ऐसा लगता नहीं कि शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा इन समस्याओं के निस्तारण के लिए गंभीर है. देवनानी ने कहा कि स्कूल खोले जाने की तारीख आगे बढ़ाते रहना समस्या का समाधान नहीं बल्कि काम ऐसा होना चाहिए जिससे बच्चों की शिक्षा भी ना रुके और उनके स्वास्थ्य के साथ कोई खिलवाड़ भी ना हो.
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निजी स्कूल संचालकों को पूर्व शिक्षा मंत्री की नसीहत
वहीं पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने निजी स्कूल संचालकों को यह भी नसीहत दी है कि मौजूदा समय में स्कूल संचालक चाहते हैं कि शत-प्रतिशत फीस उन्हें मिल जाए. ऐसा संभव नहीं है क्योंकि अभिभावकों की स्थिति भी ऐसी नहीं है कि वो शत-प्रतिशत फीस जमा करवा पाए. ऐसे में शिक्षा मंत्री को चाहिए की बेवजह की बयानबाजी में अपना टाइम पास छोड़ एक अनुकूल वातावरण में इस समस्या का अनुकूल समाधान निकालें.