जयपुर. कृष्णजन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न रुप देखने को मिल रहे है. जहां कई बच्चें विभिन्न लीलाओं के परिधान में नजर आए तो वहीं विशेषयोग्यजन जो पैरों से चल नहीं पाते, वो भी व्हीलचेयर पर बैठकर ठाकुरजी के दरबार मे हाजरी लगा रहे है.
कान्हा के स्वागत में छोटीकाशी ने पलक पावडे़ बिछा दिए हैं. सभी कृष्ण मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी उल्लास के साथ मनाई जा रही है. गोविंद देव जी मंदिर से लेकर कृष्ण बलराम मंदिर तक नंदलाला के आने की खुशी में नंदगांव बना हुआ है. ठाकुरजी का दरबार बांदरवाल और ध्वज के कारण नंदगांव की तरह सजा हुआ है. पूरा परिसर रंगबिरंगी रोशनी से चमक रहा है. मंदिर परिसर में ही नहीं बल्कि सभी मुख्य बाजार जन्माष्टमी के कारण सजाए गए हैं. 'नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की' जय घोष सुनाई दे रहे हैं.
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हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल के जय घोष के साथ भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा व्रन्दावन से लेकर छोटी काशी गोविन्ददेव तक सुनाई दे रहे है. मंगला झांकी से लेकर संध्या झांकी तक भक्तों के आने का सिलसिला जारी है. आराध्य ठाकुरजी के मंदिर में रात 12 बजे तक करीब 7 लाख लोगों के दर्शन करने के अनुमान है. हर कोई भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन है. छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग में ठाकुरजी की एक झलक पाने की होड़ मची हुई है.
जहां छोटे छोटे बच्चे कान्हा के जन्मदिन को सेलेब्रेट करने के लिए सुबह से तैयारी कर रहे है. तो कुछ बच्चें भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप में नजर आ रहे है. इस दौरान दो छोटे-छोटे जुड़वा कन्हैया भी ठाकुरजी के दरबार मे धोक लगाने आए. जिनका भी कृष्ण कन्हैया के साथ आज ही के दिन जन्मदिवस था. नंदलाला की बांसुरी हाथ मे लेकर भगवान कृष्ण की पोशाक में नजर भी आए. तो कुछ लोगो ने लड्डू गोपाल लेकर मंदिरों में पहुंच कर पूजा अर्चना की. इतना ही नहीं विशेषयोग्यजन जो पैरों से चल नही पाते वो भी व्हीलचेयर पर बैठकर ठाकुरजी के दरबार मे हाजरी लगा रहे है. ठाकुरजी की एक झलक पाकर भक्त इतने प्रफुल्लित है कि उनकी खुशी का कोई ठिकाना नही हैं.
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गोविन्ददेव जी का विग्रह भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात स्वरूप है. पौराणिक इतिहास के साथ साथ किदवंती और कथाओं की माने तो कहा जाता है कि श्रीगोविन्द का विग्रह हूबहू श्रीकृष्ण के सुंदर और न्याभिराम मुख मंडल और नयनों से मिलता है. भगवान श्रीकृष्ण के तीन विग्रह बनाए गए और तीनों ही विग्रह राजस्थान के अलग अलग मंदिरों में विराजमान है. दो विग्रह तो जयपुर में है और एक विग्रह करौली के मदन मोहन जी मंदिर में है. जयपुर के श्रीगोविन्द देवजी के अलावा गोपीनाथ जी का विग्रह है. ये विग्रह उतना ही पूजनीय और श्रद्धावान है. जितने गोविन्ददेव जी और मदनमोहन जी के विग्रह है. तीनो ही विग्रह भगवान श्री कृष्ण का साक्षात स्वरूप माने जाते है. तीनों विग्रह के साथ दर्शन करने से सुखद की प्राप्ति होती है.
मनमोहक छटा बिखेर रहे बच्चें
सैकड़ों की संख्या में भक्त गोविंद देव जी के दर्शन करने पहुंच रहे हैं. यह भक्त अपने साथ अपने बच्चों को भी राधा-कृष्ण का रूप धारण कर गोविंद देव जी के दर्शन कराने ला रहे हैं. राधा कृष्ण की वेशभूषा में यह बच्चे मनमोहक लग रहे हैं. कृष्ण की वेशभूषा में बच्चे मोर पंख, तिलक लगाकर, मुकुट पहन और हाथों में बांसुरी लेकर गोविन्ददेव जी के मंदिर आ रहे हैं. दूसरी ओर छोटी बालिकाएं भी राधा की तरह कपड़े पहनकर मंदिर में पहुंच रही है. मंदिर भजन की धुन पर यह बच्चे नाच रहे हैं और ऐसा लगता है कि इन्हीं में कृष्ण और राधा विराजमान हैं.