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Uproar in Jaipur Municipal Corporations: बजट पर चर्चा किए बिना अनुमोदन के लिए भेजा राज्य सरकार के पास, विपक्ष के साथ 'अपने' पार्षद भी नाराज - nagar nigam heritage

राजधानी के दोनों नगर निगम ने बजट पर बहस किए बिना इसे अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को भिजवा दिया है. निगम के मेयर का ये फैसला पदाधिकारियों समेत पार्षदों को खटक (Uproar in Jaipur Municipal Corporations) रहा है. निगम पर काबिज पार्टी के अपने लोग इस फैसले की मुखालफत कर रहे हैं.

Uproar in Jaipur Municipal Corporations
विपक्ष के साथ 'अपने' पार्षद भी नाराज
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Published : Mar 2, 2022, 9:05 AM IST

Updated : Mar 2, 2022, 9:55 AM IST

जयपुर. राजधानी के दोनों नगर निगम ने बजट पर बहस किए बिना इसे अनुमोदन के लिए राज्य सरकार (Uproar in Jaipur Municipal Corporations) को भिजवा दिया है. पार्षद इसे अपनी अनदेखी मान रहे हैं. विपक्ष के साथ निगम सीट पर काबिज पार्टी के अपने पार्षद भी मेयर के इस फैसले से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे.

ग्रेटर निगम में जहां पार्षद, चेयरमैन से लेकर उपमहापौर तक ने सवाल खड़े किए. कहा कि बजट को कर्मकांड की तरह डॉक्यूमेंट बनाकर राज्य सरकार को भेज दिया गया. तो वहीं हेरिटेज नगर निगम में भी कांग्रेस पार्षदों ने भी अपनी मेयर के इस फैसले पर असंतोष जताया. जबकि पिछली साधारण सभा से असंतुष्ट चल रहे विपक्ष ने चुटकी लेते हुए कहा कि शायद राज्य सरकार और महापौर को बोर्ड गिरने का डर सता रहा था.

विपक्ष के साथ 'अपने' पार्षद भी नाराज

बजट किसी भी संस्थान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसके आधार पर ही विकास का रोड मैप तैयार होता है. एक प्रक्रिया के तहत पेश होता है, निगम सदस्य चर्चा करते हैं फिर अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को भेजा जाता है. लेकिन इस बार शहर के दोनों ही निगम का बजट साधारण सभा में पारित होने के बजाए सीधे राज्य सरकार को अनुमोदन के लिए भेज दिया गया.

पढ़ें- Executive Committee Meeting : BVG को बाहर का रास्ता दिखाने और JCTSL में मेयर को चेयरमैन बनाने जैसे एजेंडे रहेंगे प्रमुख

कांग्रेस पार्षद बोले- ये लोकतंत्र की हत्या: बगैर चर्चा राज्य सरकार को स्वीकृति के लिए भेजना विपक्ष को खटक रहा है. ग्रेटर निगम में विपक्ष में बैठे कांग्रेस के पार्षद करण शर्मा ने कहा कि ग्रेटर निगम में बीजेपी का बोर्ड है. यहां बीजेपी की मेयर और बीजेपी के चेयरमैन लोकतंत्र की हत्या करने में लगे हुए हैं.

नहीं बुलाई गई साधारण सभा: नाराज पार्षदों का तर्क है कि 1 साल से ज्यादा का समय बीत गया है. साधारण सभा की बैठक नहीं बुलाई गई. जनता के मुद्दों और विकास कार्य पर विपक्ष को बात करनी थी, लेकिन साधारण सभा की बैठक ही नहीं बुलाई जा रही. विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी बोर्ड सदन में बातचीत से डरता है क्योंकि वो जानता है कि उनकी कमजोरियां उजागर हो जाएंगी.

भाजपा पार्षदों में भी रोष: हेरिटेज नगर निगम में बीजेपी से मेयर प्रत्याशी रहीं कुसुम यादव ने इस फैसले को जनप्रतिनिधियों के अधिकार का हनन बताया. आरोप लगाया कि राज्य सरकार सभी स्वायत्तशासी संस्थानों को कमजोर करने का काम कर रही है. सरकार और महापौर बोर्ड गिरने के डर से साधारण सभा नहीं करवा रहे. वो अपनों से ही डरे हुए हैं.

कुसुम यादव बोलीं- जो पार्षद दिन-रात अपने क्षेत्र में रहता है. उसे अपने वार्ड की समस्याओं का पता है. उसे ये जानकारी भी है कि किस मद में कितना पैसा खर्च होना चाहिए. लेकिन पार्षद की कोई सलाह नहीं ली गई. न ही पार्षदों की कोई मीटिंग बुलाई गई. ये महज विधानसभा सत्र की दुहाई दे रहे हैं. सवाल करती हैं कि जब विधानसभा सत्र की डेट पहले से ही तय थी, तो पहले निगम बोर्ड बैठक क्यों नहीं बुलाई गई?

पढ़ें : Termination Confirm : ग्रेटर नगर निगम से BVG कंपनी की विदाई तय, पेनल्टी के 90 करोड़ भी वसूले जाएंगे

पढ़ें : Jaipur Municipal Corporation Greater : ग्रेटर निगम की 11 समितियां शक्ति विहीन, कैसे हो विकास कार्य?

अपने ही खफा: साधारण सभा में बजट पारित कराए बिना ही राज्य सरकार को अनुमोदन के लिए भेजना विपक्ष ही नहीं सत्तारूढ़ पार्टी के जनप्रतिनिधियों को भी रास नहीं आया. ग्रेटर नगर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने कहा कि बजट साधारण सभा में लाया जाना चाहिए था. इससे पहले कार्यकारी समिति में इस पर विचार होता, लेकिन वित्त समिति के प्रस्ताव पर ही बिना चर्चा किए राज्य सरकार को अनुमोदन के लिए भेज दिया गया, जो आश्चर्यजनक है.

उपमहापौर संस्था की गरिमा को अहम मानते हैं. कहते हैं - हर संस्था की अपनी गरिमा होती है, वो बनी रहनी चाहिए और जब साल भर का बजट विभिन्न मदों में आवंटित करते हैं, तो इसमें सभी पार्षदों की सहभागिता होनी चाहिए. इस बार एक कर्मकांड की तरह बजट का डॉक्यूमेंट बनाकर सरकार को भेज दिया गया. वो भी तब जब ये सरकार बीते सवा साल से ग्रेटर नगर निगम के साथ दुर्व्यवहार कर रही है. ऐसे में सरकार से उम्मीद करना महज नासमझी है.

निंदनीय और चिंतनीय: विद्युत समिति चेयरमैन सुप्रीत बंसल ने कहा कि बिना साधारण सभा के बजट पास कर देना ना सिर्फ निंदनीय है, बल्कि चिंतनीय विषय भी है. नगर निगम ग्रेटर के विकास का पहिया किस तरफ घूमेगा ये वार्षिक बजट तय करता है लेकिन जब इसमें जनप्रतिनिधि का ही रोल नहीं रहेगा तो विकास कैसे करेंगे? बिना वार्डों की जरूरतें जाने बजट अनुमोदन के लिए भेजना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि जब सौम्या गुर्जर दोबारा महापौर की कुर्सी पर बैठीं, तो उन्होंने वार्डों के विकास कार्य के लिए प्लान मांगे. हैरानी इस बात की है कि उन सुझावों की अवहेलना करते हुए बजट को अनुमोदन के लिए सरकार को भेज दिया गया.

मेयर ने विशेषाधिकार का किया प्रयोग: हेरिटेज निगम में कांग्रेस बोर्ड के अपने ही पार्षदों ने ही यह स्पष्ट कर दिया कि न तो उनसे बजट को लेकर के कोई चर्चा की गई, और न ही उनसे कोई एजेंडा मांगा गया. पार्षद उत्तम शर्मा ने कहा कि मेयर ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए डायरेक्ट सरकार को बजट अनुमोदन के लिए भेज दिया.

सिस्टम की बात करते हैं. कहते हैं- बजट पास कराने का एक सिस्टम होता है. पार्षदों से राय ली जाती है, उनके क्षेत्र में किस तरह के विकास कार्य कितने बजट से कराए जाने हैं इस पर चर्चा की जाती है. लेकिन इस संबंध में कोई चर्चा नहीं की गई. शायद मेयर की कोई मंशा रही होगी, इसे लेकर पार्षदों में नाराजगी जरूर है. हेरिटेज निगम के उपमहापौर अपनी मेयर को डिफेंड करते दिखे. इस सबके बीच जब उनसे पूछा कि बजट कितने करोड़ का है तो उन्होंने असमर्थता जता दी.

बजट इतने का!: जानकारों की माने तो हेरिटेज निगम ने 879 जबकि ग्रेटर निगम ने 987 करोड़ का बजट तैयार कर अनुमोदन के लिए भेजा है. लेकिन पार्षदों से विकास कार्य किस तरह का हो, वार्ड में जनता की क्या जरूरत है, ऐसे किसी मुद्दों पर चर्चा नहीं किए जाने और सीधे बजट अनुमोदन के लिए सरकार को भेजने से नाराजगी खुले में देखने को मिल रही है.

जयपुर. राजधानी के दोनों नगर निगम ने बजट पर बहस किए बिना इसे अनुमोदन के लिए राज्य सरकार (Uproar in Jaipur Municipal Corporations) को भिजवा दिया है. पार्षद इसे अपनी अनदेखी मान रहे हैं. विपक्ष के साथ निगम सीट पर काबिज पार्टी के अपने पार्षद भी मेयर के इस फैसले से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे.

ग्रेटर निगम में जहां पार्षद, चेयरमैन से लेकर उपमहापौर तक ने सवाल खड़े किए. कहा कि बजट को कर्मकांड की तरह डॉक्यूमेंट बनाकर राज्य सरकार को भेज दिया गया. तो वहीं हेरिटेज नगर निगम में भी कांग्रेस पार्षदों ने भी अपनी मेयर के इस फैसले पर असंतोष जताया. जबकि पिछली साधारण सभा से असंतुष्ट चल रहे विपक्ष ने चुटकी लेते हुए कहा कि शायद राज्य सरकार और महापौर को बोर्ड गिरने का डर सता रहा था.

विपक्ष के साथ 'अपने' पार्षद भी नाराज

बजट किसी भी संस्थान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसके आधार पर ही विकास का रोड मैप तैयार होता है. एक प्रक्रिया के तहत पेश होता है, निगम सदस्य चर्चा करते हैं फिर अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को भेजा जाता है. लेकिन इस बार शहर के दोनों ही निगम का बजट साधारण सभा में पारित होने के बजाए सीधे राज्य सरकार को अनुमोदन के लिए भेज दिया गया.

पढ़ें- Executive Committee Meeting : BVG को बाहर का रास्ता दिखाने और JCTSL में मेयर को चेयरमैन बनाने जैसे एजेंडे रहेंगे प्रमुख

कांग्रेस पार्षद बोले- ये लोकतंत्र की हत्या: बगैर चर्चा राज्य सरकार को स्वीकृति के लिए भेजना विपक्ष को खटक रहा है. ग्रेटर निगम में विपक्ष में बैठे कांग्रेस के पार्षद करण शर्मा ने कहा कि ग्रेटर निगम में बीजेपी का बोर्ड है. यहां बीजेपी की मेयर और बीजेपी के चेयरमैन लोकतंत्र की हत्या करने में लगे हुए हैं.

नहीं बुलाई गई साधारण सभा: नाराज पार्षदों का तर्क है कि 1 साल से ज्यादा का समय बीत गया है. साधारण सभा की बैठक नहीं बुलाई गई. जनता के मुद्दों और विकास कार्य पर विपक्ष को बात करनी थी, लेकिन साधारण सभा की बैठक ही नहीं बुलाई जा रही. विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी बोर्ड सदन में बातचीत से डरता है क्योंकि वो जानता है कि उनकी कमजोरियां उजागर हो जाएंगी.

भाजपा पार्षदों में भी रोष: हेरिटेज नगर निगम में बीजेपी से मेयर प्रत्याशी रहीं कुसुम यादव ने इस फैसले को जनप्रतिनिधियों के अधिकार का हनन बताया. आरोप लगाया कि राज्य सरकार सभी स्वायत्तशासी संस्थानों को कमजोर करने का काम कर रही है. सरकार और महापौर बोर्ड गिरने के डर से साधारण सभा नहीं करवा रहे. वो अपनों से ही डरे हुए हैं.

कुसुम यादव बोलीं- जो पार्षद दिन-रात अपने क्षेत्र में रहता है. उसे अपने वार्ड की समस्याओं का पता है. उसे ये जानकारी भी है कि किस मद में कितना पैसा खर्च होना चाहिए. लेकिन पार्षद की कोई सलाह नहीं ली गई. न ही पार्षदों की कोई मीटिंग बुलाई गई. ये महज विधानसभा सत्र की दुहाई दे रहे हैं. सवाल करती हैं कि जब विधानसभा सत्र की डेट पहले से ही तय थी, तो पहले निगम बोर्ड बैठक क्यों नहीं बुलाई गई?

पढ़ें : Termination Confirm : ग्रेटर नगर निगम से BVG कंपनी की विदाई तय, पेनल्टी के 90 करोड़ भी वसूले जाएंगे

पढ़ें : Jaipur Municipal Corporation Greater : ग्रेटर निगम की 11 समितियां शक्ति विहीन, कैसे हो विकास कार्य?

अपने ही खफा: साधारण सभा में बजट पारित कराए बिना ही राज्य सरकार को अनुमोदन के लिए भेजना विपक्ष ही नहीं सत्तारूढ़ पार्टी के जनप्रतिनिधियों को भी रास नहीं आया. ग्रेटर नगर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने कहा कि बजट साधारण सभा में लाया जाना चाहिए था. इससे पहले कार्यकारी समिति में इस पर विचार होता, लेकिन वित्त समिति के प्रस्ताव पर ही बिना चर्चा किए राज्य सरकार को अनुमोदन के लिए भेज दिया गया, जो आश्चर्यजनक है.

उपमहापौर संस्था की गरिमा को अहम मानते हैं. कहते हैं - हर संस्था की अपनी गरिमा होती है, वो बनी रहनी चाहिए और जब साल भर का बजट विभिन्न मदों में आवंटित करते हैं, तो इसमें सभी पार्षदों की सहभागिता होनी चाहिए. इस बार एक कर्मकांड की तरह बजट का डॉक्यूमेंट बनाकर सरकार को भेज दिया गया. वो भी तब जब ये सरकार बीते सवा साल से ग्रेटर नगर निगम के साथ दुर्व्यवहार कर रही है. ऐसे में सरकार से उम्मीद करना महज नासमझी है.

निंदनीय और चिंतनीय: विद्युत समिति चेयरमैन सुप्रीत बंसल ने कहा कि बिना साधारण सभा के बजट पास कर देना ना सिर्फ निंदनीय है, बल्कि चिंतनीय विषय भी है. नगर निगम ग्रेटर के विकास का पहिया किस तरफ घूमेगा ये वार्षिक बजट तय करता है लेकिन जब इसमें जनप्रतिनिधि का ही रोल नहीं रहेगा तो विकास कैसे करेंगे? बिना वार्डों की जरूरतें जाने बजट अनुमोदन के लिए भेजना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि जब सौम्या गुर्जर दोबारा महापौर की कुर्सी पर बैठीं, तो उन्होंने वार्डों के विकास कार्य के लिए प्लान मांगे. हैरानी इस बात की है कि उन सुझावों की अवहेलना करते हुए बजट को अनुमोदन के लिए सरकार को भेज दिया गया.

मेयर ने विशेषाधिकार का किया प्रयोग: हेरिटेज निगम में कांग्रेस बोर्ड के अपने ही पार्षदों ने ही यह स्पष्ट कर दिया कि न तो उनसे बजट को लेकर के कोई चर्चा की गई, और न ही उनसे कोई एजेंडा मांगा गया. पार्षद उत्तम शर्मा ने कहा कि मेयर ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए डायरेक्ट सरकार को बजट अनुमोदन के लिए भेज दिया.

सिस्टम की बात करते हैं. कहते हैं- बजट पास कराने का एक सिस्टम होता है. पार्षदों से राय ली जाती है, उनके क्षेत्र में किस तरह के विकास कार्य कितने बजट से कराए जाने हैं इस पर चर्चा की जाती है. लेकिन इस संबंध में कोई चर्चा नहीं की गई. शायद मेयर की कोई मंशा रही होगी, इसे लेकर पार्षदों में नाराजगी जरूर है. हेरिटेज निगम के उपमहापौर अपनी मेयर को डिफेंड करते दिखे. इस सबके बीच जब उनसे पूछा कि बजट कितने करोड़ का है तो उन्होंने असमर्थता जता दी.

बजट इतने का!: जानकारों की माने तो हेरिटेज निगम ने 879 जबकि ग्रेटर निगम ने 987 करोड़ का बजट तैयार कर अनुमोदन के लिए भेजा है. लेकिन पार्षदों से विकास कार्य किस तरह का हो, वार्ड में जनता की क्या जरूरत है, ऐसे किसी मुद्दों पर चर्चा नहीं किए जाने और सीधे बजट अनुमोदन के लिए सरकार को भेजने से नाराजगी खुले में देखने को मिल रही है.

Last Updated : Mar 2, 2022, 9:55 AM IST
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