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यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों का अगली कक्षा में होगा प्रमोशन, राज्य सरकार ने दिए निर्देश

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Published : Aug 1, 2020, 6:38 AM IST

सत्र 2019-20 की बकाया परीक्षाओं को लेकर राज्य सरकार ने विश्वविद्यालयों को कक्षाएं प्रमोट के लिए निर्देश जारी किए हैं. वार्षिक या सेमेस्टर की परीक्षाएं आयोजित करने में असमर्थ रहने पर परीक्षार्थियों को 50% अंक पिछले साल या समस्या के आधार पर, जबकि 50 फीसदी इंटरनल एसेसमेंट के जरिए जारी कर, अगली कक्षा में प्रमोट करने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को दसवीं और बारहवीं कक्षा के प्राप्तांक के आधार पर अंक देने के निर्देश दिए हैं.

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अशोक गहलोत

जयपुर. कोरोना संक्रमण काल में इन दिनों राजस्थान विश्वविद्यालय और तमाम संबद्ध कॉलेजों में ऑनलाइन एडमिशन का दौर जारी है. राजस्थान विश्वविद्यालय ने प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष और पीजी विभागों में अध्ययनरत सेकंड सेमेस्टर के विद्यार्थियों को प्रोविजनल रूप से अगली कक्षा में अस्थाई क्रमोन्नत के लिए री एडमिशन फॉर्म भरवाए, लेकिन अब राज्य सरकार ने छात्रों को प्रमोट करने के निर्देश जारी किए हैं.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा परीक्षाओं की कार्य योजना से संबंधित समिति का परामर्श है कि यदि विश्वविद्यालय सेमेस्टर की परीक्षाएं आयोजित करने में असमर्थ है, तो ऐसी स्थिति में भी परीक्षार्थियों को 50% अंक पिछले वर्ष में प्राप्त अंकों के आधार पर और 50% अंक आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर प्रदान कर, अगली कक्षा में प्रमोट करें.

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निर्देश की कॉपी

वहीं प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को दसवीं और बारहवीं कक्षा के प्राप्तांक के औसत के आधार पर अंक दिए जाएं. स्नातक द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रथम वर्ष में अर्जित अंकों के आधार पर और 5% बोनस अंक देकर प्रमोट किया जा सकता है, जबकि अंतिम वर्ष/टर्मिनल सेमेस्टर के परिसर, संघटक महाविद्यालयों और संबद्ध महाविद्यालयों में नियमित/ स्वयं पार्टी सभी वर्गों के विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए निर्धारित की गई व्यवस्था से विभाग को अवगत कराएं. इसके अलावा स्नातकोत्तर पूर्वार्द्ध के विद्यार्थियों को लघु शोध प्रबंध या असाइनमेंट देकर अंक आवंटित किए जा सकते हैं.

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निर्देश की कॉपी

यह भी पढे़ं : बाड़ेबंदी में बंद विधायकों के वेतन रोकने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर

इसके बाद भी यदि कोई विद्यार्थी उपयुक्त निर्धारित प्रणाली से प्राप्त अंकों से संतुष्ट नहीं है, तो उसे स्थिति सामान्य होने पर आगामी परीक्षा में अंक सुधार के लिए अवसर दिया जा सकता है. वहीं विधि संकाय में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के दिशा निर्देशों की पालना की जानी है, जबकि 1 वर्षीय डिप्लोमा कोर्सेज में परिस्थितियां अनुकूल होने पर परीक्षा आयोजित करवाई जाएगी. राज्य सरकार द्वारा दिए गए ये सुझाव नियमित स्वयंपाठी और पूर्व छात्र वर्गों के विद्यार्थियों पर लागू होंगे.

जयपुर. कोरोना संक्रमण काल में इन दिनों राजस्थान विश्वविद्यालय और तमाम संबद्ध कॉलेजों में ऑनलाइन एडमिशन का दौर जारी है. राजस्थान विश्वविद्यालय ने प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष और पीजी विभागों में अध्ययनरत सेकंड सेमेस्टर के विद्यार्थियों को प्रोविजनल रूप से अगली कक्षा में अस्थाई क्रमोन्नत के लिए री एडमिशन फॉर्म भरवाए, लेकिन अब राज्य सरकार ने छात्रों को प्रमोट करने के निर्देश जारी किए हैं.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा परीक्षाओं की कार्य योजना से संबंधित समिति का परामर्श है कि यदि विश्वविद्यालय सेमेस्टर की परीक्षाएं आयोजित करने में असमर्थ है, तो ऐसी स्थिति में भी परीक्षार्थियों को 50% अंक पिछले वर्ष में प्राप्त अंकों के आधार पर और 50% अंक आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर प्रदान कर, अगली कक्षा में प्रमोट करें.

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वहीं प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को दसवीं और बारहवीं कक्षा के प्राप्तांक के औसत के आधार पर अंक दिए जाएं. स्नातक द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रथम वर्ष में अर्जित अंकों के आधार पर और 5% बोनस अंक देकर प्रमोट किया जा सकता है, जबकि अंतिम वर्ष/टर्मिनल सेमेस्टर के परिसर, संघटक महाविद्यालयों और संबद्ध महाविद्यालयों में नियमित/ स्वयं पार्टी सभी वर्गों के विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए निर्धारित की गई व्यवस्था से विभाग को अवगत कराएं. इसके अलावा स्नातकोत्तर पूर्वार्द्ध के विद्यार्थियों को लघु शोध प्रबंध या असाइनमेंट देकर अंक आवंटित किए जा सकते हैं.

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इसके बाद भी यदि कोई विद्यार्थी उपयुक्त निर्धारित प्रणाली से प्राप्त अंकों से संतुष्ट नहीं है, तो उसे स्थिति सामान्य होने पर आगामी परीक्षा में अंक सुधार के लिए अवसर दिया जा सकता है. वहीं विधि संकाय में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के दिशा निर्देशों की पालना की जानी है, जबकि 1 वर्षीय डिप्लोमा कोर्सेज में परिस्थितियां अनुकूल होने पर परीक्षा आयोजित करवाई जाएगी. राज्य सरकार द्वारा दिए गए ये सुझाव नियमित स्वयंपाठी और पूर्व छात्र वर्गों के विद्यार्थियों पर लागू होंगे.

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