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प्रमोशन का 'बोझ' : कस्बे बने नगर पालिका, लेकिन नगरों जैसी सुविधाएं नहीं...यूडी टैक्स और रजिस्ट्री का भार सिर पड़ा

राजस्थान में 17 नई नगर पालिकाओं का गठन किया गया है. इन नगर पालिकाओं में अभी इलेक्शन नहीं हुए हैं. साथ ही नगरों जैसी सुविधाओं से भी ये नगर पालिकाएं फिलहाल महरूम हैं. लेकिन लोग अब यूडी टैक्स (UD tax) और रजिस्ट्री (registry) जैसे टैक्स के दायरे में आ चुके हैं.

नवगठित नगर पालिकाओं की समस्या
नवगठित नगर पालिकाओं की समस्या
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Published : Aug 24, 2021, 7:14 PM IST

Updated : Aug 24, 2021, 7:22 PM IST

जयपुर. राजस्थान में हाल ही में 17 नई नगर पालिकाओं (newly formed municipalities) का गठन किया गया है. जिनमें 50 से ज्यादा गांव शामिल कर दिए गए हैं. हालांकि इनमें से अधिकतर में शहरी सुविधाएं हाशिए पर हैं.

लेकिन नगरीय निकायों में शामिल होने के कारण यहां के बाशिंदों पर नगरीय विकास कर लागू हो गया है. साथ ही कृषि भूमि की रजिस्ट्री कराना भी महंगा सौदा साबित हो रहा है. इससे राज्य सरकार को तो फायदा मिल रहा है. लेकिन आम आदमी की जेब कट रही है.

नई नगर पालिकाओं पर यूडी टैक्स का बोझ

स्वायत्त शासन विभाग ने जनसंख्या, प्रति व्यक्ति आय, आजीविका और दूसरे मानकों के आधार पर विभिन्न ग्राम पंचायतों को जोड़ते हुए 17 नई नगर पालिकाओं का गठन कर दिया.

नवगठित नगर पालिकाओं की समस्या
नई नगर पालिकाओं पर यूडी टैक्स और रजिस्ट्री का बोझ

नई नगर पालिका के लिए तय मानक

क्षेत्र की जनसंख्या10 हजार/ अधिक
जनसंख्या घनत्व200 व्यक्ति/ वर्ग km या अधिक

राजस्व प्राप्ति के स्रोत या

औसत प्रति व्यक्ति आय

10 हजार रुपये/व्यक्ति या अधिक
कृषि नियोजन का प्रतिशत10 प्रतिशत या अधिक
आर्थिक महत्वशहरी विकास की संभावना व अन्य बिंदू

ये हैं नई नगर पालिकाएं

जिला नगरपालिका का नाम
जयपुरबस्सी, पावटा
अलवररामगढ़, बानसूर, लक्ष्मणगढ़
दौसामंडावर
सवाई माधोपुरबामनवास
जोधपुरभोपालगढ़
सिरोहीजावाल
भरतपुरउच्चैन, सीकरी
धौलपुर सरमथुरा, बसेड़ी
करौलीसपोटरा
कोटासुल्तानपुर
बारांअटरू
श्रीगंगानगरलालगढ़ जाटान

अब नगरीय विकास कर की मार

नई नगर पालिकाओं के गठन के बाद से स्थानीय लोगों की नगरीय विकास कर के नाम पर जेब कटना शुरू हो गई है. नगरीय सीमा में शामिल होते ही ग्रामीण इलाका नगरीय विकास के दायरे में आ गया. ऐसे में 300 वर्गगज से अधिक क्षेत्रफल का व्यक्तिगत मकान, 1500 वर्ग फीट से ज्यादा का फ्लैट, 100 वर्गगज से बड़ी कमर्शियल और औद्योगिक संपत्ति के नाम पर यूडी टैक्स वसूला जाता है.

पढ़ें- थम गया चुनावी शोर : पंचायत चुनाव के लिए थमा चुनाव प्रचार...अब डोर-टू-डोर प्रचार, पहले चरण में 6 जिलों में 26 अगस्त को सुबह 7:30 बजे से मतदान

वहीं नगरीय सीमा में शामिल होने के बाद 1000 वर्गगज की कृषि भूमि की रजिस्ट्री पर डीएलसी की 3 गुणा गणना की जाती है. जबकि इसके परे सरकार ने नवगठित निकायों में सुविधाओं का ब्लूप्रिंट तक तैयार नहीं किया है. ऐसे में सुविधाओं से ज्यादा जमीनों की डीएलसी से लेकर टैक्स का बोझ बढ़ गया है.

नवगठित नगर पालिकाओं की समस्या
नगर पालिका बना दिया लेकिन सुविधाएं नहीं

इस संबंध में एलएसजी सचिव भवानी सिंह देथा ने कहा कि अभी नवगठित 17 नगर पालिकाओं के इलेक्शन होना बाकी है. वहां फिलहाल कार्यवाहक अधिकारी लगाए गए हैं. उन्हें फंड भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं. यहां सुविधाएं विस्तार होने में समय लगेगा.

हालांकि कलेक्टर स्तर पर गठित कमेटी ये तय कर सकती है कि शहरी सुविधाएं विकसित नहीं होने तक डीएलसी दरें नहीं बढ़ाई जाएं. बहरहाल, निकाय सीमा में शामिल जमीनों की डीएलसी दर ज्यादातर मामलों में ज्यादा रहती है, ऐसे में भले ही सुविधाएं ज्यादा न हों लेकिन अब यहां रजिस्ट्री पहले से महंगी हो गई है.

जयपुर. राजस्थान में हाल ही में 17 नई नगर पालिकाओं (newly formed municipalities) का गठन किया गया है. जिनमें 50 से ज्यादा गांव शामिल कर दिए गए हैं. हालांकि इनमें से अधिकतर में शहरी सुविधाएं हाशिए पर हैं.

लेकिन नगरीय निकायों में शामिल होने के कारण यहां के बाशिंदों पर नगरीय विकास कर लागू हो गया है. साथ ही कृषि भूमि की रजिस्ट्री कराना भी महंगा सौदा साबित हो रहा है. इससे राज्य सरकार को तो फायदा मिल रहा है. लेकिन आम आदमी की जेब कट रही है.

नई नगर पालिकाओं पर यूडी टैक्स का बोझ

स्वायत्त शासन विभाग ने जनसंख्या, प्रति व्यक्ति आय, आजीविका और दूसरे मानकों के आधार पर विभिन्न ग्राम पंचायतों को जोड़ते हुए 17 नई नगर पालिकाओं का गठन कर दिया.

नवगठित नगर पालिकाओं की समस्या
नई नगर पालिकाओं पर यूडी टैक्स और रजिस्ट्री का बोझ

नई नगर पालिका के लिए तय मानक

क्षेत्र की जनसंख्या10 हजार/ अधिक
जनसंख्या घनत्व200 व्यक्ति/ वर्ग km या अधिक

राजस्व प्राप्ति के स्रोत या

औसत प्रति व्यक्ति आय

10 हजार रुपये/व्यक्ति या अधिक
कृषि नियोजन का प्रतिशत10 प्रतिशत या अधिक
आर्थिक महत्वशहरी विकास की संभावना व अन्य बिंदू

ये हैं नई नगर पालिकाएं

जिला नगरपालिका का नाम
जयपुरबस्सी, पावटा
अलवररामगढ़, बानसूर, लक्ष्मणगढ़
दौसामंडावर
सवाई माधोपुरबामनवास
जोधपुरभोपालगढ़
सिरोहीजावाल
भरतपुरउच्चैन, सीकरी
धौलपुर सरमथुरा, बसेड़ी
करौलीसपोटरा
कोटासुल्तानपुर
बारांअटरू
श्रीगंगानगरलालगढ़ जाटान

अब नगरीय विकास कर की मार

नई नगर पालिकाओं के गठन के बाद से स्थानीय लोगों की नगरीय विकास कर के नाम पर जेब कटना शुरू हो गई है. नगरीय सीमा में शामिल होते ही ग्रामीण इलाका नगरीय विकास के दायरे में आ गया. ऐसे में 300 वर्गगज से अधिक क्षेत्रफल का व्यक्तिगत मकान, 1500 वर्ग फीट से ज्यादा का फ्लैट, 100 वर्गगज से बड़ी कमर्शियल और औद्योगिक संपत्ति के नाम पर यूडी टैक्स वसूला जाता है.

पढ़ें- थम गया चुनावी शोर : पंचायत चुनाव के लिए थमा चुनाव प्रचार...अब डोर-टू-डोर प्रचार, पहले चरण में 6 जिलों में 26 अगस्त को सुबह 7:30 बजे से मतदान

वहीं नगरीय सीमा में शामिल होने के बाद 1000 वर्गगज की कृषि भूमि की रजिस्ट्री पर डीएलसी की 3 गुणा गणना की जाती है. जबकि इसके परे सरकार ने नवगठित निकायों में सुविधाओं का ब्लूप्रिंट तक तैयार नहीं किया है. ऐसे में सुविधाओं से ज्यादा जमीनों की डीएलसी से लेकर टैक्स का बोझ बढ़ गया है.

नवगठित नगर पालिकाओं की समस्या
नगर पालिका बना दिया लेकिन सुविधाएं नहीं

इस संबंध में एलएसजी सचिव भवानी सिंह देथा ने कहा कि अभी नवगठित 17 नगर पालिकाओं के इलेक्शन होना बाकी है. वहां फिलहाल कार्यवाहक अधिकारी लगाए गए हैं. उन्हें फंड भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं. यहां सुविधाएं विस्तार होने में समय लगेगा.

हालांकि कलेक्टर स्तर पर गठित कमेटी ये तय कर सकती है कि शहरी सुविधाएं विकसित नहीं होने तक डीएलसी दरें नहीं बढ़ाई जाएं. बहरहाल, निकाय सीमा में शामिल जमीनों की डीएलसी दर ज्यादातर मामलों में ज्यादा रहती है, ऐसे में भले ही सुविधाएं ज्यादा न हों लेकिन अब यहां रजिस्ट्री पहले से महंगी हो गई है.

Last Updated : Aug 24, 2021, 7:22 PM IST
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