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निकाय प्रमुखों के चुनाव पर सरकार के फैसले को जयपुर मेयर बोले- जनता का मत, डिप्टी मेयर ने बताया हार का डर - जयपुर मेयर

प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने निकाय प्रमुखों के डायरेक्ट चुनाव के अपने ही फैसले को आज वापस ले लिया. जिसके बाद राजनीतिक हलकों में वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया है. एक तरफ जयपुर मेयर विष्णु लाटा ने इसे जनता का मत बताया तो वहीं डिप्टी मेयर ने इसे हार के डर से फैसला लेने की बात कही है.

direct election of heads of local bodies, निकाय प्रमुखों के डायरेक्ट चुनाव
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Published : Oct 14, 2019, 6:05 PM IST

जयपुर. कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणापत्र में निकाय प्रमुखों के चुनाव प्रक्रिया को प्रत्यक्ष करने की घोषणा को शामिल किया था. इसके बाद सरकार बनने पर विधेयक भी लाया गया और इसे पास भी करा लिया गया. लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस ने अब अपने इस फैसले को वापस लिया है. सोमवार को कैबिनेट की बैठक में धारीवाल कमेटी की रिपोर्ट पेश होने के बाद डायरेक्ट चुनाव का फैसला वापस लिया गया.

निकाय प्रमुखों के अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव पर सरकार के फैसले को लेकर सियासी दलों में वार-पलटवार का दौर शुरू

इस पर नगर निगम के सियासी नुमाइंदों के बीच छींटाकशी का दौर शुरू हो गया है. डिप्टी मेयर मनोज भारद्वाज ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने ही घोषणा पत्र के विपरीत जाकर कैबिनेट में ये फैसला लिया, जो थूक कर चाटने जैसी बात है. उन्होंने कहा कि कहीं ना कहीं कांग्रेस में डर है कि बीते 10 महीने में जनता में बहुत नकारात्मक ऊर्जा पैदा हो गई है, जो चुनाव के जरिए निकलेगी. उन्होंने इसे हार के डर से लिया गया फैसला बताया.

पढ़ेंः Etv Bharat की खबर पर लगी मुहरः अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही होंगे प्रदेश में महापौर और सभापति के होने वाले चुनाव

उधर, कांग्रेस के हुए मेयर विष्णु लाटा ने पार्टी का बचाव करते हुए कहा कि जो जनता चाहती है, जो जनता का मत होता है, उसी के अनुसार सरकार निर्णय बदल लेती है. एक सर्वे में भी 67 फीसदी जनता अप्रत्यक्ष चुनाव के पक्ष में थी. जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है.

पढ़ेंः मीसाबंदी पेंशन पर गहलोत सरकार का ब्रेक...कटारिया ने कहा- जो 18 दिन जेल में नहीं रहे वो आज 18 महीने तक जेल में यातना झेलने वालों की बात कर रहे हैं

बहरहाल, जिसका डर था कांग्रेस के लिए शायद वो घड़ी आ गई. कांग्रेस के एक वर्ग ने कदम पीछे लेने को कांग्रेस के खिलाफ चुनाव में माहौल बनने और भाजपा की ओर से इसे मुद्दा बनाने की बात कही गई थी. और अब ऐसा होता हुआ नजर भी आ रहा है.

जयपुर. कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणापत्र में निकाय प्रमुखों के चुनाव प्रक्रिया को प्रत्यक्ष करने की घोषणा को शामिल किया था. इसके बाद सरकार बनने पर विधेयक भी लाया गया और इसे पास भी करा लिया गया. लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस ने अब अपने इस फैसले को वापस लिया है. सोमवार को कैबिनेट की बैठक में धारीवाल कमेटी की रिपोर्ट पेश होने के बाद डायरेक्ट चुनाव का फैसला वापस लिया गया.

निकाय प्रमुखों के अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव पर सरकार के फैसले को लेकर सियासी दलों में वार-पलटवार का दौर शुरू

इस पर नगर निगम के सियासी नुमाइंदों के बीच छींटाकशी का दौर शुरू हो गया है. डिप्टी मेयर मनोज भारद्वाज ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने ही घोषणा पत्र के विपरीत जाकर कैबिनेट में ये फैसला लिया, जो थूक कर चाटने जैसी बात है. उन्होंने कहा कि कहीं ना कहीं कांग्रेस में डर है कि बीते 10 महीने में जनता में बहुत नकारात्मक ऊर्जा पैदा हो गई है, जो चुनाव के जरिए निकलेगी. उन्होंने इसे हार के डर से लिया गया फैसला बताया.

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उधर, कांग्रेस के हुए मेयर विष्णु लाटा ने पार्टी का बचाव करते हुए कहा कि जो जनता चाहती है, जो जनता का मत होता है, उसी के अनुसार सरकार निर्णय बदल लेती है. एक सर्वे में भी 67 फीसदी जनता अप्रत्यक्ष चुनाव के पक्ष में थी. जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है.

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बहरहाल, जिसका डर था कांग्रेस के लिए शायद वो घड़ी आ गई. कांग्रेस के एक वर्ग ने कदम पीछे लेने को कांग्रेस के खिलाफ चुनाव में माहौल बनने और भाजपा की ओर से इसे मुद्दा बनाने की बात कही गई थी. और अब ऐसा होता हुआ नजर भी आ रहा है.

Intro:जयपुर - प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने आज अपने ही फैसले को वापस लिया। निकाय प्रमुखों के डायरेक्शन के फैसले को वापस लेने के बाद अब राजनीतिक हलकों में वार पलटवार का दौर शुरू हो गया है। एक तरफ मेयर विष्णु लाटा ने इसे जनता का मत बताया। वहीं डिप्टी मेयर ने इसे थूक कर चाटने जैसी बात बताते हुए कहा कि कांग्रेस ने हार के डर से ये फैसला लिया है।


Body:कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणापत्र में निकाय प्रमुखों के चुनाव प्रक्रिया को प्रत्यक्ष करने की घोषणा को शामिल किया था। इसके बाद सरकार बनने पर विधेयक भी लाया गया। और इसे पास भी करा लिया गया। लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस ने अब अपने इस फैसले को वापस लिया है। आज कैबिनेट की बैठक में धारीवाल कमेटी की रिपोर्ट पेश होने के बाद डायरेक्ट इलेक्शन का फैसला वापस लिया गया। इस पर नगर निगम के सियासी नुमाइंदों के बीच छींटाकशी का दौर शुरू हो गया है। डिप्टी मेयर मनोज भारद्वाज ने कांग्रेस सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने ही घोषणा पत्र के विपरीत जाकर कैबिनेट में ये फैसला लिया। जो थूक कर चाटने जैसी बात है। उन्होंने कहा कि कहीं ना कहीं कांग्रेस में डर है कि बीते 10 महीने में जनता में बहुत नकारात्मक ऊर्जा पैदा हो गई है। जो चुनाव के जरिए निकलेगी। उन्होंने इसे हार के डर से लिया गया फैसला बताया।
बाइट - मनोज भारद्वाज, डिप्टी मेयर

उधर, कांग्रेस के हुए मेयर विष्णु लाटा ने पार्टी का बचाव करते हुए कहा कि जो जनता चाहती है, जो जनता का मत होता है, उसी के अनुसार सरकार निर्णय बदल लेती है। एक सर्वे में भी 67 फीसदी जनता अप्रत्यक्ष चुनाव के पक्ष में थी। जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है।
बाइट - विष्णु लाटा, मेयर


Conclusion:बहरहाल, जिसका डर था कांग्रेस के लिए शायद वो घड़ी आ गई। कांग्रेस के एक वर्ग ने कदम पीछे लेने को कांग्रेस के खिलाफ चुनाव में माहौल बनने और भाजपा की ओर से इसे मुद्दा बनाने की बात कही गई थी। और अब ऐसा होता हुआ नजर भी आ रहा है।
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