जयपुर. कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणापत्र में निकाय प्रमुखों के चुनाव प्रक्रिया को प्रत्यक्ष करने की घोषणा को शामिल किया था. इसके बाद सरकार बनने पर विधेयक भी लाया गया और इसे पास भी करा लिया गया. लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस ने अब अपने इस फैसले को वापस लिया है. सोमवार को कैबिनेट की बैठक में धारीवाल कमेटी की रिपोर्ट पेश होने के बाद डायरेक्ट चुनाव का फैसला वापस लिया गया.
इस पर नगर निगम के सियासी नुमाइंदों के बीच छींटाकशी का दौर शुरू हो गया है. डिप्टी मेयर मनोज भारद्वाज ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने ही घोषणा पत्र के विपरीत जाकर कैबिनेट में ये फैसला लिया, जो थूक कर चाटने जैसी बात है. उन्होंने कहा कि कहीं ना कहीं कांग्रेस में डर है कि बीते 10 महीने में जनता में बहुत नकारात्मक ऊर्जा पैदा हो गई है, जो चुनाव के जरिए निकलेगी. उन्होंने इसे हार के डर से लिया गया फैसला बताया.
उधर, कांग्रेस के हुए मेयर विष्णु लाटा ने पार्टी का बचाव करते हुए कहा कि जो जनता चाहती है, जो जनता का मत होता है, उसी के अनुसार सरकार निर्णय बदल लेती है. एक सर्वे में भी 67 फीसदी जनता अप्रत्यक्ष चुनाव के पक्ष में थी. जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है.
बहरहाल, जिसका डर था कांग्रेस के लिए शायद वो घड़ी आ गई. कांग्रेस के एक वर्ग ने कदम पीछे लेने को कांग्रेस के खिलाफ चुनाव में माहौल बनने और भाजपा की ओर से इसे मुद्दा बनाने की बात कही गई थी. और अब ऐसा होता हुआ नजर भी आ रहा है.