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Jaipur Zoo बना स्टार कछुओं का घर, यहां से झालाना जंगल में छोड़े गए 30 कछुए..कछुआ संरक्षण को मिला बल

जयपुर में लेपर्ड्स के कुनबे के साथ-साथ कछुओं (Turtle) की तादाद भी बढ़ रही है. कछुआ संरक्षण (turtle protection) के वन विभाग के प्रयास सफल नजर आ रहे हैं. विभाग ने रेस्क्यू किए कछुओं को जयपुर चिड़ियाघर में रखा है. जयपुर चिड़ियाघर (Jaipur Zoo) स्टार कछुओं (star turtle) का घर बन गया है. चिड़ियाघर में जगह कम पड़ने की वजह से कई कछुए झालाना जंगल (jaipur jhalana forest) में भी छोड़े गए हैं.

जयपुर जू से झालाना जंगल में छोड़े जा रहे कछुए
जयपुर जू से झालाना जंगल में छोड़े जा रहे कछुए
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Published : Oct 11, 2021, 7:14 PM IST

Updated : Oct 11, 2021, 8:06 PM IST

जयपुर. जयपुर चिड़ियाघर में कछुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. वन विभाग ने शिकारियों से रेस्क्यू किए गए कछुए जयपुर जू में रखे हैं. कई बार लोग भी कछुओं को जयपुर जू में छोड़ जाते हैं. कछुआ संरक्षण के वन विभाग के प्रयास रंग ला रहे हैं.

जयपुर जू में अब 40 कछुए मौजूद है. जबकि पिछले दिनों वन विभाग करीब 30 कछुए झालाना जंगल में छोड़ चुका है. दरअसल वन्यजीव संरक्षण के कड़े नियम और कछुआ घर में पालने पर 7 साल की सजा का प्रावधान होने के कारण लोग अब संरक्षित वन्यजीवों को लेकर सतर्क हो गये हैं. लोग घरों में ऐसे वन्यजीव पालने से कतरा रहे हैं.

Jaipur Zoo स्टार कछुओं का घर

पहले लोग जयपुर के आस-पास जलीय इलाकों से कछुआ उठा लाते थे और घर में पालने लगते थे. इसके पीछे लोगों की तरह तरह की मान्यताएं और अंधविश्वास होते हैं. कुछ लोग मानते हैं कि घर में कछुआ पालने से आर्थिक उन्नति होती है, कुछ मानते हैं कि इससे आयु बढ़ती है. कुछ लोग इसे पौराणिक कहानियों से भी जोड़ते हैं. लेकिन अब लोगों में जागरुकता बढ़ रही है और लोग जानने लगे हैं कि कछुआ पालने से आर्थिक दशा सुधरे या न सुधरे, लेकिन वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत सजा जरूर हो सकती है.

इसका असर दिखने लगा है. लोग चोरी छुपे कछुओं को जयपुर जू के आस-पास छोड़ रहे हैं. पिछले दिनों इसी तरह से कछुए रेस्क्यू किये गये हैं. हालात ये हो गए कि जयपुर जू में कछुए रखने की जगह नहीं बची. कुछ कछुओं को झालाना जंगल में शिफ्ट करना पड़ा. वहां कछुओं को अनुकूल वातावरण और अधिक स्पेस मिल रहा है. इसका एक फायदा यह भी हुआ है कि झालाना जंगल में कछुए भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनने लगे हैं.

अगर वन्यजीव घर में पालना हो तो..

अगर कोई वन्यजीव पशु प्रेमी उस जानवार को घर में पालना चाहता है जो संरक्षित श्रेणी का है, तो उसे वन विभाग से जानवर का रजिस्ट्रेशन कराना होगा. अगर रजिस्ट्रेश के बिना वन्यजीव घर में पाया गया तो सजा का प्रावधान है.

जयपुर जू में स्टार कछुए

कछुए की लगभग 160 प्रजातियां होती हैं. जयपुर जू में स्टार कछुआ भी देखने को मिलता है. स्टार कछुए जमीन के अंदर रहते हैं. इस कछुए के पोल पर स्टार बना होता है. सोफ्ट सेल टाइटल कछुए मीठे पानी में रहने वाले होते हैं, इनके उपर का पोल सोफ्ट होता है. टेरापीन कछुए खारे पानी में पाए जाते हैं, इनके ऊपर का पोल हार्ड होता है.

पढ़ें- आखरी बार महारानी गायत्री देवी ने किया था बाघ का शिकार...अब बघेरों की दहाड़ गुंजती है झालाना लेपर्ड रिजर्व...एक दशक में बनाई खास पहचान

कछुए को तस्करी से बचाना है, क्योंकि..

विदेशों में पालतू जानवर के रूप में कछुए की मांग बढ़ी है. ऐसे में भारत से खास प्रजातियों के कछुओं की अवैध तस्करी भी होती है. अवैध तस्करी के जरिये कछुओं को पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश पहुंचाया जाता है. इसके बाद चीन, हांगकांग, मलेशिया, थाईलैंड समेत अन्य देशों में सप्लाई कर दिया जाता है. पालतू जानवर तक तो ठीक, लेकिन कुछ देशों में कछुए का मांस, सूप और चिप्स तक बनाई और खाई जाती है. कछुए के पोल यानी सख्त त्वचा से भी कई तरह के प्रोडेक्ट बनाए जाते हैं.

जयपुर जू के वन्यजीव चिकित्सक डॉ.अशोक तंवर कहते हैं कि लोगों के घरों से कछुए रेस्क्यू किये गए हैं. सूचना मिलने पर जयपुर जू की टीम घर जाकर कछुओं का रेस्क्यू करती है. घर में कछुआ मिलने पर कार्रवाई भी की जाती है. कछुए को घर में पालने पर पाबंदी है. ऐसा करने वाले आरोपी के खिलाफ वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है. झालाना रेंजर जनेश्वर चौधरी भी कहते हैं कि स्टार कछुए को घर में रखना गैरकानूनी है. स्टार कछुए संरक्षित प्रजाति के तहत आते हैं. इन्हें इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (International Union for Conservation of Nature) की लुप्तप्राय प्रजातियों की लाल सूची में अतिसंवेदनशील के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

जनेश्वर चौधरी ने कहा कि यह प्रजाति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (Wildlife Protection Act 1972) की अनुसूची चार में भी सूचीबद्ध है और इस प्रजाति का स्वामित्व रखना और व्यावसायिक रूप से व्यापार या तस्करी करना अवैध है. इसे घर में रखने पर कैद का प्रावधान है.

जयपुर. जयपुर चिड़ियाघर में कछुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. वन विभाग ने शिकारियों से रेस्क्यू किए गए कछुए जयपुर जू में रखे हैं. कई बार लोग भी कछुओं को जयपुर जू में छोड़ जाते हैं. कछुआ संरक्षण के वन विभाग के प्रयास रंग ला रहे हैं.

जयपुर जू में अब 40 कछुए मौजूद है. जबकि पिछले दिनों वन विभाग करीब 30 कछुए झालाना जंगल में छोड़ चुका है. दरअसल वन्यजीव संरक्षण के कड़े नियम और कछुआ घर में पालने पर 7 साल की सजा का प्रावधान होने के कारण लोग अब संरक्षित वन्यजीवों को लेकर सतर्क हो गये हैं. लोग घरों में ऐसे वन्यजीव पालने से कतरा रहे हैं.

Jaipur Zoo स्टार कछुओं का घर

पहले लोग जयपुर के आस-पास जलीय इलाकों से कछुआ उठा लाते थे और घर में पालने लगते थे. इसके पीछे लोगों की तरह तरह की मान्यताएं और अंधविश्वास होते हैं. कुछ लोग मानते हैं कि घर में कछुआ पालने से आर्थिक उन्नति होती है, कुछ मानते हैं कि इससे आयु बढ़ती है. कुछ लोग इसे पौराणिक कहानियों से भी जोड़ते हैं. लेकिन अब लोगों में जागरुकता बढ़ रही है और लोग जानने लगे हैं कि कछुआ पालने से आर्थिक दशा सुधरे या न सुधरे, लेकिन वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत सजा जरूर हो सकती है.

इसका असर दिखने लगा है. लोग चोरी छुपे कछुओं को जयपुर जू के आस-पास छोड़ रहे हैं. पिछले दिनों इसी तरह से कछुए रेस्क्यू किये गये हैं. हालात ये हो गए कि जयपुर जू में कछुए रखने की जगह नहीं बची. कुछ कछुओं को झालाना जंगल में शिफ्ट करना पड़ा. वहां कछुओं को अनुकूल वातावरण और अधिक स्पेस मिल रहा है. इसका एक फायदा यह भी हुआ है कि झालाना जंगल में कछुए भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनने लगे हैं.

अगर वन्यजीव घर में पालना हो तो..

अगर कोई वन्यजीव पशु प्रेमी उस जानवार को घर में पालना चाहता है जो संरक्षित श्रेणी का है, तो उसे वन विभाग से जानवर का रजिस्ट्रेशन कराना होगा. अगर रजिस्ट्रेश के बिना वन्यजीव घर में पाया गया तो सजा का प्रावधान है.

जयपुर जू में स्टार कछुए

कछुए की लगभग 160 प्रजातियां होती हैं. जयपुर जू में स्टार कछुआ भी देखने को मिलता है. स्टार कछुए जमीन के अंदर रहते हैं. इस कछुए के पोल पर स्टार बना होता है. सोफ्ट सेल टाइटल कछुए मीठे पानी में रहने वाले होते हैं, इनके उपर का पोल सोफ्ट होता है. टेरापीन कछुए खारे पानी में पाए जाते हैं, इनके ऊपर का पोल हार्ड होता है.

पढ़ें- आखरी बार महारानी गायत्री देवी ने किया था बाघ का शिकार...अब बघेरों की दहाड़ गुंजती है झालाना लेपर्ड रिजर्व...एक दशक में बनाई खास पहचान

कछुए को तस्करी से बचाना है, क्योंकि..

विदेशों में पालतू जानवर के रूप में कछुए की मांग बढ़ी है. ऐसे में भारत से खास प्रजातियों के कछुओं की अवैध तस्करी भी होती है. अवैध तस्करी के जरिये कछुओं को पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश पहुंचाया जाता है. इसके बाद चीन, हांगकांग, मलेशिया, थाईलैंड समेत अन्य देशों में सप्लाई कर दिया जाता है. पालतू जानवर तक तो ठीक, लेकिन कुछ देशों में कछुए का मांस, सूप और चिप्स तक बनाई और खाई जाती है. कछुए के पोल यानी सख्त त्वचा से भी कई तरह के प्रोडेक्ट बनाए जाते हैं.

जयपुर जू के वन्यजीव चिकित्सक डॉ.अशोक तंवर कहते हैं कि लोगों के घरों से कछुए रेस्क्यू किये गए हैं. सूचना मिलने पर जयपुर जू की टीम घर जाकर कछुओं का रेस्क्यू करती है. घर में कछुआ मिलने पर कार्रवाई भी की जाती है. कछुए को घर में पालने पर पाबंदी है. ऐसा करने वाले आरोपी के खिलाफ वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है. झालाना रेंजर जनेश्वर चौधरी भी कहते हैं कि स्टार कछुए को घर में रखना गैरकानूनी है. स्टार कछुए संरक्षित प्रजाति के तहत आते हैं. इन्हें इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (International Union for Conservation of Nature) की लुप्तप्राय प्रजातियों की लाल सूची में अतिसंवेदनशील के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

जनेश्वर चौधरी ने कहा कि यह प्रजाति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (Wildlife Protection Act 1972) की अनुसूची चार में भी सूचीबद्ध है और इस प्रजाति का स्वामित्व रखना और व्यावसायिक रूप से व्यापार या तस्करी करना अवैध है. इसे घर में रखने पर कैद का प्रावधान है.

Last Updated : Oct 11, 2021, 8:06 PM IST
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