जयपुर. अतिरिक्त मुख्य सचिव जनजाति क्षेत्रीय विकास राजेश्वर सिंह ने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि वे सहरिया जनजाति के विकास हेतु चलाये जा रहे कार्यक्रमों में शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास पर बल दें जिससे की इस समुदाय के लोग शिक्षित व प्रशिक्षित होकर प्रदेश के शैक्षणिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, सामाजिक विकास में भागीदारी निभा सकें.
राजेश्वर सिंह ने सोमवार को जनजाति क्षेत्र विकास विभाग की प्रगति की समीक्षा बैठक में विभाग के अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सहरिया क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा छात्रावास, विद्यालय, कौशल विकास प्रशिक्षण, एकीकृत विकास, स्वास्थ्य, जनश्री बीमा योजना एवं कृषि विकास आदि योजनाओं से जुड़े जो कार्य प्राथमिकता से करवाए जा रहे हैं, इनका अधिक से अधिक लाभ इस समुदाय के लोगों को मिले, इस पर विशेष ध्यान दें.
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि सहरिया जनजाति एकीकृत विकास के लिए संचालित 29 आश्रम छात्रावासों में 1455 छात्र-छात्राओं को 567 लाख रुपए की लागत से समस्त सुविधाएं मुहैया करवाई गई हैं. इसके तहत वर्ष 2020-21 में 634 लाख का प्रावधान रखा गया है जिसमें से लगभग 215 लाख रुपए खर्च किये जा चुके हैं. सिंह ने बताया कि सहरिया आदिम जनजाति के बालक-बालिकाओं को एक ही स्थान पर आवास एवं शिक्षा की सुविधा प्रदान करने हेतु संचालित 7 विद्यालयों में अगस्त 2020 तक राशि 702 लाख व्यय कर 1093 छात्रों को लाभान्वित किया गया. वर्ष 2020-21 में प्रावधित 832 लाख में से 306 लाख रुपए खर्च किये गए हैं.
इसके साथ ही सहरिया समुदाय के विद्यार्थियों को पीएमटी, नीट, आईआईटी, प्रतियोगी परीक्षा आदि की कोचिंग के लिए 1.64 लाख रुपए व्यय किए गए. उन्होंने बताया कि सहरियाओं का एकीकृत विकास हेतु पात्र परिवारों को प्रतिमाह प्रति व्यक्ति देशी घी, दाल और सोया तेल उपलब्ध करवाकर 1 लाख 17 हजार 750 यूनिट को लाभान्वित किया गया.
महिलाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता पर जोर
विभाग की तरफ से बांरा जिले में सहरिया आदिम जनजाति के लिये 201 मां-बाड़ी केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं. डे-केयर के रूप में संचालित इन केन्द्रों का मुख्य उद्देश्य 6 से 12 वर्ष की उम्र के शिक्षा से वंचित बालक-बालिकाओं को प्राथमिक और अनौपचारिक शिक्षा से जोड़ना है. मां बाड़ी केन्द्रों के संचालन पर मार्च 2020 तक 840 लाख रुपए, वर्ष 2020-21 में अगस्त 2020 तक 160 लाख रुपए व्यय किये जा चुके हैं.
पढ़ें: मुख्यमंत्री गहलोत ने 1,332 करोड़ की 68 परियोजनाओं का किया शिलान्यास और लोकार्पण
उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित योजना के तहत जिला बांरा में सहरिया आदिम जनजाति के लिये 140 मां-बाड़ी केन्द्र संचालित हैं. इसके तहत वर्ष 2019-20 में मार्च 2020 में 576 लाख व वर्ष 2020-21 में 139 लाख रुपए व्यय किए जिससे योजना का व्यापक लाभ इस समुदाय की बालक-बालिकाओं और महिलाओं को पहुंचाया गया है. इस योजना से इस समुदाय की महिलाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के संबंध में जागरूकता पैदा की जा रही है, जिसके बहुआयामी व सुखद परिणाम इस समुदाय की महिलाओं में दृष्टिगोचर हो रहे हैं.
सिंह ने बताया कि बांरा जिले में एक एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय हनोतिया(शाहबाद) में संचालित किया जा रहा है. जिसकी विद्यार्थी क्षमता 350 है और वर्ष 2019-20 में शत-प्रतिशत 192 लाख 78 रुपए व्यय किए गए और वर्ष 2020-21 में माह अगस्त, 2020 तक 56 लाख 37 हजार रुपए व्यय कर विद्यार्थियों को लाभान्वित किया गया है. इसके साथ ही जनश्री बीमा योजना, सहरिया इनोवेटिव योजना, ड्राप आउट सहरिया छात्राओं हेतु शिक्षा, आश्रम छात्रावासों व आवासीय विद्यालयों का संचालन, मुफ्त स्टेशनरी व फीस, छात्रवृति, कृषि विकास जनजाति बस्तियों को सेवा केंद्र से जोड़ने एवं बालिकाओं को आर्थिक सहायता आदि के प्रभावी क्रियान्वयन पर विशेष जोर दिया.