जयपुर. वन धन विकास केन्द्रों की व्यवसाय कार्य योजना तैयार करने के लिए 200 कर्मियों को दिया प्रशिक्षण गया. ट्राईफेड की वन धन योजना के लिए बीडीओ, राजीविका और वन अधिकारियों के लिये वेबिनार का आयोजन किया गया था. प्रमुख शासन सचिव टीएडी शिखरअग्रवाल के निर्देशन में ट्राईबल कॉपरेटिव मार्केटिगं फेडरेशन लिमिटेड नई दिल्ली ने शुक्रवार को राजसंघ के सहयोग से राज्य में वन धन विकास केन्द्रों की व्यवसाय योजना बनाने के लिए पंचायत समिति के अधिकारियों के लिए इस वेबिनार का आयोजन किया था.
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के आयुक्त जितेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि वेबिनार 2 चरणों में हुई. इनमें 8 जिलों उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सिरोही, बांरा, प्रतापगढ़, कोटा और झालावाड़ जिले के लगभग 100-100 पंचायत समिति विकास अधिकारियों, डेटा एन्ट्री ऑपरेटरर्स, राजीविका एवं वन विभाग के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया. उपाध्याय ने बताया कि वेबिनार के दोनों चरणों में ट्राईफेड की सीनियर प्रोग्राम एसोशियेट हलीमा सदफ और राजस्थान जनजाति क्षेत्रीय विकास सहकारी संघ (राजससंघ), उदयपुर के महाप्रबंधक लियाकत हुसैन ने वन धन विकास केन्द्रों के डेटा ट्राईफेड के पोर्टल पर डाले जाने और वन धन विकास केन्द्रों की व्यवसाय कार्य योजना बनाने हेतु गहन प्रशिक्षण दिया.
वेबिनार के जरिए दिये गये इस प्रशिक्षण को प्रमुख शासन सचिव टीएडी शिखर अग्रवाल ने भी देखा. आयुक्त, टीएडी ने बताया कि वन धन विकास योजनान्तर्गत जनजाति उपयोजना, सहरिया तथा माडा क्षेत्र के 8 जिलों में अनुमानित 350 से 375 वन धन विकास केन्द्रों के गठन के प्रस्ताव तैयार किये जाएंगे. उन्हाेंने बताया कि एक वन धन विकास केन्द्र पर लगभग 300 सदस्य क्षेत्र में लघु वनउपजों, कृषि उपजों, आयुर्वेदिक औषधियों का संग्रहण, मूल्य संवर्धन, पैकिगं एवं विपणन कार्य करेंगे. जिससे इन केन्द्रों को आय अर्जित हो सकेगी.
उपाध्याय ने बताया कि ट्राईफेड की ओर से 300 सदस्यीय वन धन केन्द्र पर प्रशिक्षण एवं टूल किट मद में क्रमशः 5 एवं 10 लाख रूपये व्यय किये जाएंगे.