जयपुर. वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी गणेश चतुर्थी पर्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान गणेश की विधिवत पूजा करेंगी. साथ ही व्रत रखते हुए रात में चांद को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करेंगी. क्योंकि भगवान गणेश विघ्नहर्ता है और सभी की मनोकामनाएं पूरी करते है. इसलिए इस दिन व्रत रखने से सभी प्रकार के संकटो से मुक्ति मिलती है.
ज्योतिषाचार्य पंडित गणपतलाल सेवग ने बताया संकष्टी चतुर्थी को विकट संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जानते है और इस दिन प्रथम पूज्य श्रीगणेश की पूजा का विधान है. कहा जाता है कि भगवान गजानंद जी की इस दिन विधि विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. इस बार शिव योग के साथ सिद्धि योग के शुभ संयोग में संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी.
पढ़ें- कोरोना काल में सादगी से मनाया रामनवमी पर्व, मंदिरों में हुई पूजा-अर्चना
ऐसे करें पूजन
वैशाख पर्व पर सुहागिनों ने पहले स्नानादि करके नए वस्त्र पहने और फिर भगवान गणेश को आसन पर विराजमान कर 'ॐ चतुराय नमः, ॐ गजाननाय नमः ॐ विघ्नराजाय नमः, ॐ प्रसन्नात्मने नमः' मंत्रो का जाप करें. साथ ही गणपति बप्पा को पूजा के समय शमी की पत्तियां अर्पित कर उनको प्रसन्न करें. वही उनको 21 दुर्वा चढ़ाकर 21 लड्डुओं का भोग लगाए. फिर अंत मे गणेश जी की आरती करें. बाद में प्रसाद ब्राह्मणों व परिजनों में बांटे. चतुर्थी के दिन सुबह से व्रत रखते हुए सुहागिनें चंद्रमा को रात में अर्घ्य देकर गणेश जी का स्मरण करें और उनसे अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करें. इससे भक्तों के बिगड़े काम बनेंगे और कार्यो में सफलता प्राप्त होगी. साथ ही सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होगी.