जयपुर. राज्य की अशोक गहलोत सरकार की ओर से प्रदेश में आमजन को 5 लाख तक का निशुल्क इलाज (Free treatment up to 5 lakhs) मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत उपलब्ध कराया जा रहा है. यह सरकार की महत्वकांक्षी योजना है. इसमें सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों को शामिल किया गया है. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल (Sawai Mansingh Hospital Jaipur) की बात की जाए तो बड़े ऑपरेशन इस योजना के तहत किए जा रहे हैं.
जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में अब तक हजारों मरीज चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत इलाज करा चुके हैं. अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विनय मल्होत्रा (SMS Hospital Superintendent Dr. Vinay Malhotra) का कहना है कि सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को ठीक ढंग से लागू करने के लिए सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज (Sawai Mansingh Medical College) की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक मरीजों को इस योजना के तहत इलाज मुहैया हो.
उन्होंने कहा कि यह योजना अस्पताल में ठीक ढंग से लागू हो सके, इसके लिए एक नोडल ऑफिसर भी लगाया गया है. लेकिन हजारों की संख्या में अस्पताल के क्लेम अटक गए हैं. एसएमएस अस्पताल (SMS Hospital) के तकरीबन 2 हजार से अधिक क्लेम अटके हुए हैं. मामले को लेकर डॉ. विनय मल्होत्रा का कहना है कि कई बार जब मरीज अस्पताल में भर्ती होता है तो उसमें मल्टीपल डिजीज (multiple diseases) देखने को मिलती हैं. ऐसे में दो या तीन अलग-अलग विभागों में उसका इलाज चलता है. जब फाइल हो तैयार होकर इंश्योरेंस कंपनी के पास पहुंचती है तो उसका क्लेम अटक जाता है.
हालांकि अस्पताल की ओर से किसी भी तरह का चार्ज मरीज से नहीं लिया जाता. डॉ. मल्होत्रा का कहना है कि हर इलाज, आईसीयू, वार्ड इत्यादि को लेकर इंश्योरेंस कंपनी की ओर से कोड जनरेट किए गए हैं. ऐसे में जब कोड फाइल में उपलब्ध नहीं होते तो इंश्योरेंस कंपनी की ओर से क्वेरी (query) भेज दी जाती है. जिसके चलते अस्पताल के काफी क्लेम अभी तक अटके हुए हैं. इसके अलावा निजी अस्पतालों (private hospitals) के क्लेम भी बड़ी संख्या में अटके हुए हैं.
कम रजिस्टर हो रहे मरीज
सरकार की ओर से मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 5 लाख तक का इलाज निशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है. लेकिन अभी भी इस योजना के तहत काफी कम इलाज सवाई मान सिंह अस्पताल में हो पा रहा है. जिसे लेकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ विनय मल्होत्रा का कहना है कि बीते कुछ समय से देखने को मिल रहा है कि इस योजना के तहत कम मरीज रजिस्टर हो रहे हैं. ऐसे में हम यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि मरीज को आखिर परेशानी कहां आ रही है. इसे लेकर एक नोडल ऑफिसर अस्पताल में लगाया गया है.