जयपुर. जिले में रविवार को पंचायती राज संस्थान में आयोजित पूर्व विधायकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहन प्रकाश ने कहा कि विधायक बनने के लिए क्या क्या पापड़ बेलने पड़ते हैं. उन्होंने कहा कि शादी विवाह में तो एक बार खानदान को देखा जाता है, लेकिन राजनीति में लोग आप पर 24 घंटे नजर बनाए रखते हैं. ऐसे में नेताओं को 24 घंटे परीक्षा देनी पड़ती हैं.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोहन प्रकाश ने कहा कि हर महीने की 26 से 28 तारीख के बीच जब सुबह उठकर मोबाइल में 25 हजार रुपये खाते में जमा होने का मैसेज मिलता है तो बड़ी प्रसन्नता होती है. इसके लिए मोहन प्रकाश ने हरिमोहन की टीम को धन्यवाद दिया. प्रकाश ने कहा कि अभूतपूर्व को प्रणाम करते रहना चाहिए क्योंकि वही वर्तमान और भूतपूर्व बनाते हैं.
उन्होंने कहा कि हम किसी भी पार्टी में हों, लेकिन जिस रास्ते में आए थे वहां आज खतरा है. जिन सवालों के लिए लड़ते-लड़ते हम आए थे आज क्या वे सवाल उठ रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के मूल्य अगर नहीं बचेंगे तो ना तो आम आदमी के सवाल उठेंगे और ना ही आम लोग जिंदगी से निकलकर विधानसभा और संसद में पहुंचेंगे. हम सामान्य बसों में चढ़कर एमएलए बने हैं. पहले गिनती की डीलक्स बसे चला करती थीं, जो दिल्ली जाती थी और आती थी.
मोहन प्रकाश ने कहा कि 5 साल एमएलए बनने के लिए क्या-क्या पापड़ बेलने पड़ते हैं. उन्होंने कहा कि शादी विवाह में तो एक बार खानदान को देखा जाता है, लेकिन राजनीति में 24*7 समय लोग नेता को वॉच करते रहते हैं. जिसके लिए नेताओं को 24 घंटे परीक्षा देनी पड़ती है.
उन्होंने कहा यदि कोई नेता अच्छे कपड़े पहनकर पान की थड़ी पर खड़ा हो जाता है, तो लोग कहते हैं कि वह पैसे कमा रहा है और यदि किसी व्यक्ति ने नमस्ते किया और नहीं देखा तो कहते हैं कि दिमाग चढ़ गया. मोहन प्रकाश ने पूर्व विधायकों के सम्मेलन में कहा कि आप से पहले की पीढ़ी ने आपको राजनीतिक संस्कृति दी और यही राजनीतिक संस्कृति को हमें और आगे बढ़ा सकते हैं.
मोहन प्रकाश ने पूर्व विधायक के सम्मेलन में सीपी जोशी के लिए भी कहा कि उदाहरण तो अच्छा नहीं है कि एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा. इसी तरह एक तो स्पीकर दूसरा अध्यापक. इसी तरह मोहन प्रकाश ने गुलाब चंद कटारिया के लिए भी कहा कि गुलाब जी भी कम नहीं हैं, क्षेत्र में ही कह देते हैं वोट देना है तो दे नहीं तो चला जा.
मुख्यमंत्री भी चाहेंगे कि पूर्व विधायकों के लिए सुविधाएं और बढ़े. पहले के मुकाबले आवश्यकताएं भी बढ़ी हैं. उन्होंने मोबाइल दिखाते हुए कहा कि यह लेंगे तो कितने रुपए लगेंगे. यह जरूरी भी है. मोहन प्रकाश ने कहा कि आज के परिदृश्य में मजदूर किसान और सामाजिक समरसता की चर्चा नहीं हो पा रही है. उन्होंने कहा कि समाज को 70 सालों में कितना समझाया कि दंड देने का अधिकार न्यायालय को है, लेकिन लोग फिर हजारों साल पहले के समाज में जा रहे हैं और दंड देंने के लिए जान से मार डाल रहे हैं और यह हर धर्म और समाज में हो रहा है.